Madhya Pradesh: एमपी में नई तबादला नीति ने शिक्षक विहीन कर दिए सैकड़ों स्कूल, छात्रों की बढ़ी मुसीबत
मध्य प्रदेश में शिक्षकों की तबादला नीति के कारण स्कूलों में शिक्षा प्रभावित हुई है. इस नीति की वजह से कई स्कूलों में तो शिक्षक ही नहीं बचे हैं वहां पर गेस्ट टीचर को बुला कर पढ़ाई करवाई जा रही है.
अब जब स्कूलों में परीक्षाएं नजदीक आ गई हैं तो सरकार और स्कूल प्रशासन गेस्ट टीचर्स को बुला करके यहां पर पढ़ाई करवा रहे हैं और अब परीक्षाएं भी आयोजित करने जा रहे हैं.
एबीपी न्यूज ने की हाल जानने की कोशिश
तबादला नीति से प्रभावित होने वाले स्कूलों का हाल जानने के लिए जब एबीपी न्यूज़ भोपाल से पचास किलोमीटर दूर सीहोर जिले के नसरुल्लागंज ब्लाक के सेगांव प्राइमरी स्कूल पहुंचा तो वहां स्कूल के सामने बने शेड में पहली कक्षा लग रही थी और स्कूल की बिल्डिंग के अंदर चार कक्षाएं एक कमरे के अंदर लग रही थी.
पढाने वाले दो अतिथि शिक्षक थे. स्थाई पद वाले शिक्षक अपनी पसंदीदा जगहों पर तबादला लेकर जा चुके थे. स्कूल के शिक्षकों ने स्कूल की दूसरी समस्याएं भी गिनाईं. जब हमने पूछा कि कमरे बहुत हैं तो एक ही कमरे में तीन कक्षाएं क्यों तो पता चला कि बाकी के कमरे जर्जर हालत में हैं. इसलिये वहां बैठना कठिन है इसलिये बाहर की शेड में बच्चे बैठते हैं. बच्चों के स्कूल में नल से पानी की जगह मकड़ियां निकलती दिखाई दे रहीं थी.
स्कूल में भी पानी की किल्लत
इस स्कूल से थोड़ी दूरी पर खजूरी बंद गांव में एक परिसर में तीन स्कूल लगे थे. बाहर से चकाचक रंग रोगन वाली बिल्डिंग में प्राइमरी मिडिल और हाई स्कूल थे मगर मजे की बात ये थी कि हाईस्कूल के नाम पर चालीस विद्यार्थी हैं मगर उनके लिए कोई शिक्षक और भवन नहीं है. विद्यार्थियों को मिडिल स्कूल के शिक्षक पढ़ाते हैं और वहां पर प्राइमरी स्कूल के छात्र बैठते हैं. तीन स्कूलों के एक परिसर में पंद्रह की जगह सिर्फ चार स्थाई शिक्षक हैं जिनके भरोसे पढाई का जिम्मा है. प्राइमरी स्कूल के टीचर नंदलाल साहू ही हाईस्कूल के प्रधानाचार्य हैं.
इस स्कूल में भी जल जीवन मिशन योजना के तहत लगाए गए पानी के नल बंद पड़े मिले. प्रधानाचार्य ने बताया कि यहां पर पानी का लेवल नहीं है और उस पर भी यहां पानी की मोटर बंद पड़ी है.
सीहोर जिले के स्कूल में क्या हाल है?
सीहोर जिले के इछावर ब्लाक के झालपीपली गांव के स्कूल का है. इस मिडिल स्कूल में चालीस से ज्यादा बच्चे हैं और सिर्फ एक स्थाई शिक्षक हैं, और बाकी के तीन अतिथि शिक्षक हैं, जो एक हफ्ते पहले ही स्कूल में रखे गये हैं. यहां पर मौजूद शिक्षक भी मानते हैं कि इस वजह से बच्चों की पढ़ाई प्रभावित हुई है.
क्या तबादला नीति है जिम्मेदार?
मध्यप्रदेश के स्कूलों में शिक्षा विभाग की तबादला नीति के कारण पिछले महीने में हुई ऑनलाइन 26 हजार शिक्षकों ने उनकी मनचाही जगहों पर तबादले कर दिये गये. तबादला चाहने वाले शिक्षक 49 हजार थे मगर 23 हजार शिक्षकों के तबादले नहीं हो पाये. बीच सत्र में बड़े पैमाने पर हुए इन तबादलों ने अनेक जिलों के स्कूलों में शिक्षकों की संख्या को शून्य कर दिया है. कुछ स्कूलों में शिक्षकों की संख्या शून्य होने के कारण यहां पर ऐसी स्थिति पैदा हो गई.
किन जिलों में पड़ा प्रभाव?
विदिशा और राजगढ जिलों में 115 स्कूल बिना शिक्षकों के पाये गये हैं. अब आनन फानन में विभाग अतिथि शिक्षकों की भर्ती कर रहा है. सरकार ने दावा किया है कि अब यहां पर हालात सामान्य हो रहे हैं. जिन जगहों पर ज्यादा शिक्षक थे वहां पर भेजे जा रहे हैं. मगर बीच सत्र में हुए तबादलों ने स्कूल की पढाई व्यवस्था को चौपट कर दिया.