Electoral Bonds: 'चुनावी बॉन्ड मामले में SBI जानबूझकर कर रहा देरी, ये कंटेम्प्ट ऑफ कोर्ट', सुप्रीम कोर्ट से बोला ADR
ADR Plea on Electoral Bonds: एसबीआई ने 4 मार्च को याचिका दायर कर चुनावी बॉन्ड पर डेटा पेश करने के लिए 30 जून 2024 तक का समय मांगा था. अब ADR ने याचिका डालकर कहा है कि SBI जानबूझकर देरी कर रहा है.
ADR In Supreme Court On Electoral Bonds: चुनावी बॉन्ड मामले में प्राथमिक याचिकाकर्ता असोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) ने गुरुवार (7 मार्च 2024) को सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की. इस याचिका में स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) के खिलाफ अवमानना कार्यवाही का आग्रह किया गया है. एडीआर ने यह कदम एसबीआई की ओर चुनावी बॉन्ड पर डेटा प्रस्तुत करने के लिए अतिरिक्त समय की मांग करने के बाद उठाया है.
देश के सबसे बड़े लेंडर एसबीआई ने 4 मार्च को सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की थी. इसमें उसने चुनावी बॉन्ड पर डेटा प्रस्तुत करने के लिए 30 जून, 2024 तक का समय मांगा था. बैंक ने बताया था कि डेटा को डिकोड करने में काफी जटिलता है, इसलिए उसे कुछ और समय दिया जाए, जबकि कोर्ट ने एसबीआई से कहा था कि वह 6 मार्च तक सारी जानकारी उपलब्ध कराए.
एडीआर ने कहा- जानबूझकर SBI ने की अवहेलना
अब एडीआर की ओर से दायर याचिका में कहा गया है कि एसबीआई ने जानबूझकर माननीय न्यायालय की संविधान पीठ की ओर से दिए गए फैसले की अवहेलना की है. यह न केवल नागरिकों के सूचना के अधिकार को नकारता है, बल्कि माननीय न्यायालय के अधिकार को भी कमजोर करता है. यह सब जानबूझकर किया जा रहा है. अब इस मामले की सुनवाई 11 मार्च को होने की उम्मीद है, जिसके दौरान समय बढ़ाने की बैंक की याचिका पर भी विचार किया जाएगा.
15 फरवरी तक चुनाव आयोग को जानकारी देने को कहा था
समाचार एजेंसी के मुताबिक, केंद्र सरकार के नियंत्रण वाले इस बैंक ने अभी तक भारतीय चुनाव आयोग को कोई जानकारी नहीं दी है, जबकि सुप्रीम कोर्ट के 15 फरवरी को दिए निर्देश के अनुसार ऐसा करना जरूरी था. कोर्ट ने बैंक को 15 फरवरी तक चुनाव आयोग को जानकारी देने और चुनाव आयोग को 13 मार्च तक इसे अपनी आधिकारिक वेबसाइट पर प्रकाशित करने का निर्देश दिया था. 15 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट ने ADR और अन्य की ओर से दायर याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए ऐतिहासिक फैसला सुनाया था. कोर्ट ने 2018 की चुनावी बॉन्ड योजना को असंवैधानिक घोषित कर दिया था.
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