By: ABP News Bureau | Updated at : 29 Sep 2016 10:11 PM (IST)
नई दिल्ली: भरातीय सेना ने पराक्रम के नए कीर्तिमान को छूते हुए पीओके में सर्जिकल स्ट्राइक को अंजाम देते हुए 40 आतंकियों को मार गिराया. भारत के इस कदम के बाद पाकिस्तान बुरी तरह बौखलाया है. भारत की ओर सेना के 100 कमांडो ने आधी रात में ऑपरेशन को अंजाम दिया. ये पैरा कमांडो भारतीय सेना की शान है. दुनिया के सर्वोतम कमांडोज में इनकी गिनती की जाती है.
1965 युद्ध के बाद हुआ पैरा कमांडो का गठन ये कमांडो इस ऑपरेशन को अंजाम दिया है वो पैरा रेजीमेंट का हिस्सा हैं. इन कमांडो को खास कॉवर्ट (COVERT) ऑपरेशन को अंजाम देने की ट्रेंनिग दी जाती है. पैरा कमांडो का गठन 1966 में 1965 के पाकिस्तान युद्ध के बाद किया गया था. इस रेजीमेंट का हेडक्वार्टर बेलगाम (कर्नाटक में) है. इस रेजीमेंट में कुल 11 यूनिट हैं. जिनमें 8 स्पेशल फोर्स यानि एसएफ और 3 एयरर्बोन कमांडो यूनिट हैं.
रेगिस्तान से लेकर ग्लेशियर तक कार्रवाई में सक्षम एसएफ यूनिट प्लेन्स, पहाड़ और रेगिस्तान में होने वाले ऑपरेशन में खास प्रशिक्षित होते हैं. ये कमांडो उंची ऊंची पहाड़ियों और ग्लेशियर के लिए भी ट्रैन्ड होते हैं. सेना कभी भी आधिकारिक तौर पर पैरा रेजीमेंट में कितने कमांडो होते हैं इसके आंकड़ा नहीं देती है. लेकिन माना जाता है कि एसएफ यूनिट में करीब 1200 कमांडो होते हैं. यानि हरेक यूनिट में 120-130 कमांडो होते हैं.
90% जवान ट्रेनिंग में ही बाहर हो जाते हैं ये 11 यूनिट देश के अलग-अलग हिस्सों में तैनात रहती हैं. एसएफ यूनिट में कम उम्र के ही जवानों की भर्ती की जाती है और हर रेजीमेंट जवान-अधिकारी स्वेच्छा से इस यूनिट में हिस्सा ले सकते हैं. लेकिन इस यूनिट का प्रोबोशेन पीरियड ही इतना टफ होता है कि 90 प्रतिशत जवान बाहर हो जाते है. बाकी 10 प्रतिशत क्रीम-डा-ली-क्रीम यानी जो सबसे बेहतर होते हैं.
पैरा कमांडो का एक मोटो- 'हमेशा ट्रेन्ड हमेशा तैयार' करीब तीन महीने का प्रोबेशन पीरियड होता है. इनकी ट्रैनिंग बेलगाम, आगरा और नाहन (हिमाचल) मे होती है. इन कमांडोज की ट्रैनिंग हिमाचल प्रदेश के नाहन में होती है. वहां स्पेशल वेपन, गोला-बारुद (हेंड-ग्रैने़ड इत्यादि), नाइट ऑपरेशन की खास तैयारी कराई जाती है. इनका मोटो (MOTTO) है 'हमेशा ट्रेन्ड हमेशा तैयार' (ALWAYS TRAINED ALWAYS READY). इनका वॉर-क्राई 'बलिदान' है. साल में दो-तीन बार ही इन कमांडो का इस्तेमाल किया जाता है.
रात में ही करते हैं ऑपरेशनव आजकल एसएफ यूनिट खासतौर से जम्मू-कश्मीर में ऑपरेशन करती है जब कभी आतंकी किसी घर या फिर किसी इलाके में छिपे होते हैं. इसकी खास वजह ये है कि इन कमांडो के इस्तेमाल करने से सेना को कम हानि होती है. ये अपना ऑपरेशन अधिकतर रात के अंधेरे और उजाला होने के समय करती हैं. माना जाता है कि उस समय दुश्मन गहरी नींद में सो रहा होता है.
दुश्मन कुछ समझे उससे पहले ऑपरेशन खत्म जैसे ही हमला होता है दुश्मन हड़बड़ा जाता है. किसी के कुछ समझने से पहले ही एसएफ कमांडो अपने काम को अंजाम दे चुके होते हैं. जैसा कि पाकिस्तानी सीमा में स्पेशल फोर्स के कमांडो करके आए है. अपने ऑपरेशन पूरा होने के बाद ये उतनी ही जल्दी से दुश्मन के क्षेत्र से बाहर भी आ जाते हैं. ये कमांडो यूनिट खास सर्जिकल स्ट्राइक के दौरान सीधे डीजीएमओ को रिपोर्ट करते हैं. इस दौरान कमान और कोर के जीओसी और कमांडर को भी पूरी जानकारी होती है.
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