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डेंगू का कहर: जानें दिल्ली के अस्पतालों में 'खून के सौदागरों' की सच्चाई

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नई दिल्ली: दिल्ली में डेंगू का कहर जारी है, पीड़ित मरीजों को कई बार खून में मौजूद प्लेटलेट्स चढ़ाने की जरूरत पड़ती है, ऐसा भी होता है कि प्लेटलेट्स नहीं मिलने की वजह से मरीज की मौत हो जाती है. मरीज के रिश्तेदार प्लेटलेट्स की तलाश में दर दर भटकते हैं और इसी का फायदा अस्पताल में मौजूद दलाल उठाते हैं. एबीपी न्यूज संवाददाता मनोज वर्मा ने ऐसे अस्पतालों में पड़ताल की. आप भी जानिए जो कैसे अस्पतालों में खून के सौदागरों का जाल फैला है. अस्पतालों में मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ रही है. डेंगू का मच्छर अब तक 60 लोगों की जान ले चुका है. डेंगू के मरीज में प्लेटलेट्स की संख्या बहुत तेजी से घटने लगती है, ऐसे में उनकी जान बचाने के लिए ज्यादा से ज्यादा प्लेट्लेट्स की जरूरत होती है. दिल्ली के अस्पतालों में लोगों की इसी मजबूरी का खून के सौदागर फायदा उठा रहे हैं. अब आप जानिए कि कि किस तरह अस्पतालों के बाहर मौजूद दलाल मरीजों की मजबूरी का फायदा उठा रहे हैं. खून के सौदागरों को बेनकाब करने के लिए एबीपी न्यूज की टीम सबसे पहले दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल पहुंची. एबीपी न्यूज़ की टीम अस्पताल के ब्लड बैंक के पास खड़ी थी, कुछ ही देर में हमें एक शख्स दिखाई दिया, हमने उससे बातचीत शुरू की. रिपोर्टर- भाई साहब, आपका पेशेंट एडमिट है कोई ? दलाल- नहीं, क्या हुआ ? रिपोर्टर- कुछ नहीं, ब्लड चाहिए था, मतलब प्लेटलेट्स, इनका भाई एडमिट है, तो प्लेटलेट्स की जरुरत थी. किसी ने बताया था कि यहां पर कोई है वो करवा देते हैं. दलाल- पेशेंट कहा है आपका ? रिपोर्टर- लाल बहादुर शास्त्री अस्पताल दलाल- लाल बहादुर शास्त्री किधर है? रिपोर्टर- एलबीएस, मयूर विहार फेस टू में  दलाल- प्राइवेट है रिपोर्टर- नहीं सरकारी है एलबीएस, लाल बहादुर शास्त्री दलाल- कौन सा ग्रुप है पेशेंट का ? रिपोर्टर- प्लेटलेट्स चाहिए हमें तो वो बोल रहे है कि प्लेटलेट्स मिल जाए बस. A+ है वैसे तो. दलाल- A+,क्या हुआ है पेशेंट को ? रिपोर्टर- डेंगू हुआ है ना, 20 हजार रह गई है प्लेटलेट्स, तो बोल रहे कि कल तक दो यूनिट प्लेटलेट्स का इंतजाम करना पड़ेगा. दलाल- तो फ्रेश चाहिए होंगे रिपोर्टर- हां दलाल- तो कोई भी ग्रुप चल जाएगा. brokers इतनी बातचीत के बाद उसने हमें अपना फोन नंबर देकर अगले दिन फोन करने को कहा. दलाल- आप कल फोन कर लीजिएगा सुबह ठीक है और बाकि जो भी होगा, अभी मैं बात करुंगा ना जा के मैं पैसे बता दूंगा, आप मुझे फोन कर लेना. रिपोर्टर- अंदाजा फिर भी कितने पैसे ? दलाल- अंदाजा ये लोग प्लेटलेट्स के लेते है, हमने एक का ब्लड करवाया था तो 3500 लिये थे. प्लेटलेट्स के लिए 8 हजार-10 हजार रिपोर्टर- 8 हजार- 10 हजार एक यूनिट के लिए ? दलाल- जी हां फ्रेश के लिए. रिपोर्टर- अच्छा दलाल- जैसे भी होगा मैं आपको पूछ कर बता दूंगा 10 हजार रुपए में एक यूनिट प्लेटलेट्स दिलाने का वादा करके वाले इस दलाल ने हमें अपना नाम अंशू बताया. जब हमने उसके नंबर पर फोन किया तो ट्रू कॉलर में उसका नाम अंशू ब्लड बैंक आया. यानी ब्लड बैंक के नाम पर दरअसल ये शख्स खून का सौदा करता है. blood brokers राममनोहर लोहिया अस्पताल का हाल  सफदरजंग अस्पताल के बाद हमारी टीम पहुंची दिल्ली के राममनोहर लोहिया अस्पताल. हमें जानकारी मिली थी कि यहां भी ब्लड बैंक के आसपास खून के दलाद मंडराते रहते हैं. दरअसल ये दलाल उन लोगों को निशाना बनाते हैं जो दिल्ली के बाहर से आते हैं और उनके पास अपना कोई डोनर नहीं होता है. हमें मालूम चला था कि आरएमएल के बाहर राजू नाम का शख्स ऐसे लोगों की मजबूरी का फायदा उठाता है. हमने उसकी तलाश शुरू की. रिपोर्टर- कोई राजू है यहां आस पास, ब्लड चाहिए था, किसी ने बताया था वो ब्लड का इंतजाम करवा देता है.  शख्स- राजू...किसमें ड्यूटी करता है रिपोर्टर- ये तो नहीं पता शख्स- मॉरचुरी में जाओ..वहां से पता करो  रिपोर्टर- वहां पर होगा ? शख्स- नील्ले नाम का आदमी होगा वहां पता करो हमारी तलाश जारी थी. हम मॉरचुरी की तरफ बढ़े, यहां पहले नील्ले से मिले. वो हमें अपने साथ ले गया और कहा कि पप्पू वो शख्स है जो हमारे लिए खून का इंतजाम कर सकता है. पप्पू से फोन पर बात हुई तो उसने हमें इंतजार करने के लिए कहा. कुछ ही देर में पप्पू नाम का दलाल हमारे सामने था रिपोर्टर- प्लेटलेट्स चाहिए थीं. एलबीएस में एडमिट है. दलाल- एलबीएस, किधर है ये रिपोर्टर- लाल बहादुर शास्त्री, मयूर विहार फेस टू दलाल- मयूर विहार फेस टू... कौन सा ग्रुप है? रिपोर्टर- O+ दलाल-  O+ रिपोर्टर- वो कह रहे हैं कि डोनर मिल जाएगा तो वो अपने आप कर लेंगे  दलाल- लेकिन ऐसा है कि...प्लेटलेट्स के लिए O+ ही डोनर चाहिए brokers 2 इसके बाद पप्पू नाम का ये दलाल हमें ये समझाने लगा कि प्लेटलेट्स मिलना आसान नहीं है. लेकिन वो हमारे लिए डोनर से लेकर प्लेट्लेट तक सारा इंतजाम कर देगा. दलाल- मिल जायेगा आपको लड़का तो लेकिन बताओ हम इधर से लड़का भी ले के जाएं उधर और वहां वो लड़का भी न ले. देखिए ऐसा है...कि अगर अपनी वो मशीन से निकालते हैं. उसको निकालने में दो घंटे लगते हैं .पहले तो टेस्ट होगा उसका, लड़के का.. जो भी डोनर देगा...उसका टेस्ट होगा...टेस्ट होने के एक-डेढ़ घंटे के बाद बताएंगे...उसकी रिपोर्ट अच्छी होगी...तो जा के लेंगे...फिर उसको डेढ़-दो घंटे मशीन में लिटा करके रखते हैं. इतना कुछ समझाने के पीछे उसका मकसद था हमसे ज्यादा से ज्यादा पैसे वसूलना.  रिपोर्टर- खर्च कितना आ जायेगा ? दलाल- खर्च...डोनर का जी 15000 रुपए  रिपोर्टर- 15 हजार रूपये?...दोनों मिलाके  दलाल- जी  रिपोर्टर- बहुत ज्यादा पैसे बता रहे हो.. दलाल- इसमें ऐसा है न 10 -12 हजार रुपए से नीचे ब्लड का वो नहीं है...ब्लड का तो हम 3 हजार रुपये लेते हैं...जो भी बंदा होता है...वो 10-12 हजार रुपये से नीचे नहीं आता है...अगर मेहनत करेंगे तो 1000-2000 हमें भी चाहिए. यानी मरीज किसी भी हालत में हो इसे मतलब है सिर्फ अपने पैसे से. एक पैक प्लेटलेट्स के लिए ये 10 से 12 हजार रुपए मांग रहा है. खून के इन सौदागरों को बेनकाब करने का हमारा ऑपरेशन जारी था. आरएमएल के बाद हम हम दिल्ली के एलएनजेपी अस्पताल पहुंचे. डेंगू के मरीजों की मजबूरी का फायदा उठाने के लिए यहां भी प्लेटलेट्स का बाजार सजा हुआ था. यहां सबसे पहले हमें मिला लाल टी शर्ट पहना एक शख्स,  उसने अपना नाम कासिफ बताया. थोड़ी देर तक हमसे बातचीत करने के बाद कासिफ ने किसी को फोन किया और हमें वहीं रुकने को बोलकर चला गया. थोड़ी देर बाद जब वो लौटा तो उसने हमें जी बी पंत अस्पताल चलने के लिए कहा. यहां पहुंचते ही हम हैरान रह गए. क्योंकि ये दलाल बेधड़क होकर अस्पताल के अंदर जा रहा था और अंदर जाकर हमारी आंखे खुली रह गई, क्योंकि यहां एक नहीं कई दलाल मौजूद थे. उसने उन लोगों से हमारी बात कराई. पहला दलाल - प्लेटलेट्स चाहिए इनको दूसरा दलाल - लाओ पहला दलाल - अरे वो पर्चा नही लाए दूसरा दलाल - पेशेंट कहां एडमिट है?  रिपोर्टर- एलबीएस में दूसरा दलाल - लाल बहादुर शास्त्री  रिपोर्टर- हां, क्या लाना है बताइये मैं लेकर आता हूं दूसरा दलाल - आप वहां से जो ब्लड बैंक है..जो ब्लड बैंक काउंटर है आप उनको बोल देना कि रेफर का फॉर्म बना कर दे दो... रिपोर्टर- अच्छा दूसरा दलाल - आप रेफर का फॉर्म बनवा कर ले आओ...हम गवर्मेंट हॉस्पिटल से किसी भी हॉस्पिटल से उठा लेंगे इसकी बातों से साफ था कि उसके इस काम में अस्पताल के अंदर के लोग भी उसके साथ मिले हुए हैं. थोड़ी ही देर की बातचीत में उसने ये मान भी लिया. पहला दलाल- हम तो अपनी सेटिंग से उठाएंगे..हमारी सेटिंग होती है...पहले आप पर्चा ले आओ...ग्रुप वाइज होते हैं..B+, O+, O- रिपोर्टर- फिर भी एक अंदाजा बता दीजिए कितने पैसे लगेंगे दूसरा दलाल -  कितना चाहिए आपको? रिपोर्टर- अभी तो एक ही बोला है दूसरा दलाल - एक तो जम्बो पैक होता है..ठीक है..बहुत हैवी होता है मंहगा होता है...या फिर वो प्लेटलेट्स पाउच चाहिए, कितने एमएल चाहिए ? रिपोर्टर- एक मोटा मोटा हिसाब तो बता दो चाचा को बताने के लिए. दूसरा दलाल- भाई कम से कम 2000 रुपए लगेंगे पीले वाले के, लाल वाला होगा तो 3500 से कम नहीं लगेंगे. ये है दिल्ली के अस्पतालों का सच. अस्पताल के अंदर मरीजों को खून और प्लेटलेट्स नही मिलता और अस्पताल के बाहर खुलेआम घूम रहे हैं खून के सौदागर. कानूनन खून को खरीदना और बेचना जुर्म है. प्लेटलेट्स के लिए भी यही लागू होता है, इसे सिर्फ डोनेट किया जा सकता है. डॉक्टरों की माने तो ड्रग्स एंड कॉस्मेटिल एक्ट 1945 के अनुसार खून या उसके तत्व केवल हम वोलंटरी डोनर से ले सकते हैं या रिपलेसमेंट डोनर से ले सकते हैं. किसी भी प्रोफेशनल डोनर से लिया गया खून या उसके तत्व लेना सख्त मना है. हालांकि कानून में ऐसी कोई धारा नहीं है. जिसके तहत पैसे के बदले खून देने वालों पर कोई कार्रवाई की जा सके और ये दलाल इसी चीज का फायदा उठाते हैं.
Published at : 08 Sep 2016 07:01 AM (IST)
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