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कहीं आपके बच्चे की आंखों में मायोपिया तो नहीं, जानें इसके लक्षण, कारण और इससे बचने के तरीके

ज़्यादातर ये देखा जाता है कि बच्चे लंबे लंबे वक़्त तक मोबाइल या टीवी के सामने बैठे रहते हैं जिसका सीधा असर उनकी आंखों पर होता है, नतीजा कमज़ोर नज़र. लेकिन कहीं ये कमज़ोर नज़र आंखों से जुड़ी किसी बड़ी परेशानी की तरफ कोई इशारा तो नहीं. इसलिए आज हम आपको एक ऐसी ऑय डिजीज के बारे में बताने जा रहे हैं जो अब बच्चों के लिए एक गंभीर समस्या का रूप लेती जा रही है. इसके अलावा, हम आपको इस डिजीज के कारण, लक्षण और बचाव के बारे में भी जानकारी देंगे.

आजकल बच्चों में मोबाइल और टीवी का ऐसा शौक है कि घंटों तक बच्चे स्क्रीन के सामने बैठे रहते हैं. जिसका सीधा असर उनकी आँखों पर पड़ता है और नज़र कमज़ोर होने का खतरा पैदा होने लगता है. लेकिन जैसा कि आमतौर पर सभी, नज़र कमज़ोर होना जितना मामूली समझते हैं उतना है नहीं. क्योंकि ये एक तरह से मायोपिया का लक्षण भी हो सकता है. जी हाँ, ये बच्चों में पाई जाने वाली वो बीमारी है जो आजकल काफी पैर पसार रही है और इसी बीमारी से जुड़ी हम कुछ ख़ास जानकारी आपके लिए लाए हैं जिन्हें आपका जानना बेहद ज़रूरी है. तो चलिए पढ़ते हैं मायोपिया के बारे में.

मायोपिया मायोपिया को "निकट दृष्टिदोष" भी कहा जाता है. यह बच्चों में अधिक पाई जाने वाली आँखों की बीमारी है. जिसमें आपको दूर की चीज़ें देखने में काफी परेशानी होती है जब कि पास की चीज़ आसानी से देख सकते हैं. इसमें आँख की पुतली का आकार बढ़ जाता है जिससे प्रतिबिन्ब रेटिना पर न बनकर आगे की तरफ बनता है और दूर की चीज़ धुंधली नज़र आती है.

मायोपिया के लक्षण मायोपिया के कुछ विशेष लक्षण हैं जिनसे इसे पहचाना जा सकता है जैसे: 1. बार-बार जल्दी-जल्दी पलकें झपकना 2. दूर की चीज़ें ठीक से न देख पाना और आँखों में तनाव के साथ थकान महसूस होना 3. ड्राइविंग करते समय खासकर रात में, परेशानी होना 4. सही प्रकार से न देख पाने की वजह से सिर में दर्द होना 5. आँखों पर जोर देकर या पलकों को सिकोड़कर देखना 6. आँखों से ज़्यादा पानी आना 7. सिर दर्द होना 8. दूर की वस्तुएं धुंधली दिखाई देना

मायोपिया के प्रकार मायोपिया के दो प्रकार हैं सरल मायोपिया और हाई मायोपिया.

1. सरल मायोपिया सिंपल मायोपिया में आंखों की पॉवर -0.5 से -6.0 होती है. यानी कि डायोपर्स से लेकर मायोपिया का एक लो से एवरेज स्तर. इस पॉवर में चश्मे या कॉन्टैक्ट लेंस का उपयोग करना सही है. वहीं कॉर्निया के आकार को बदलने के लिए सर्जरी का चुनाव भी कर सकते हैं, जिससे चश्मे या लेंस की आवश्यकता कम हो जाती है.

2. हाई मायोपिया हाई मायोपिया में -6.0 डायोप्टर या इससे भी ज़्यादा होता है. इस स्थिती में लेंस की आवश्यकता के अलावा, रोगी को स्ट्रक्चरल डैमेज का खतरा होता है क्योंकि इसमें ऑयबॉल बहुत ज़्यादा फैलता है.

 मायोपिया से सावधानी 1. समय रहते डॉक्टर की सलाह लें 2. किसी भी दूर की चीज़ को एकटक न देखें 3. आँखों को ठन्डे पानी से बार-बार धोते रहें 4. नींद अच्छी लें 5. डॉक्टर की सलाह से आई ड्रॉप लें और उसका उपयोग करें 6. स्वस्थ खाना जैसे पत्तेदार, हरी सब्जियां और साबुत अनाज खाएं 7. एक्सेसाइज़ करें 8. तनाव से दूर रहें क्योंकि तनाव गंभीर बीमारी का कारण बन सकता है और आंखों की स्थिति में ये ऑय डिजीज को बढ़ावा देने का काम कर सकता है 9. कंप्यूटर का इस्तेमाल करते समय आंखों को दूरी पर रखें

मायोपिया का उपचार मायोपिया के उपचार के कई तरीके हैं जैसे:

1.एट्रोपिन आई ड्रॉप: कई सालों से इसका इस्तेमाल मायोपिया के लिए किया जा रहा है. इससे मायोपिया को कंट्रोल करना आसान है.

2.ऑर्थोकार्टोलॉजी: ये विशेष प्रकार का कांटेक्ट लेंस होता है जो सोते समय पहनना होता है. इससे मायोपिया को टेम्पररी रूप से ठीक किया जाना संभव है. आपको घंटों तक चश्मे या कांटेक्ट लेंस लगाने की ज़रूरत नहीं होती.

3.मल्टीफोकल कांटैक्ट लेंसेस एवं चश्में: यह विशेष लेंस और चश्मा होता है जिससे मायोपिया को दूर किया जाना मुमकिन है. इससे मायोपिया को कंट्रोल में लाया जा सकता है.

4.रिफ्रेक्टिव सर्जरी: यह एक तरह की सर्जरी होती है जिससे मायोपिया को ठीक किया जाता है. इससे चश्मे और कांटेक्ट लेंस की ज़रूरत कम होती है.

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