घुटनों तक बड़े ब्रेस्ट से परेशान थी महिला, 11 किलो था वजन, अब ऐसे बदली जिंदगी
आपको यह भी जानकर हैरानी होगी कि महिला के ब्रेस्ट घुटनों तक पहुंच रहे थे. 11 किलो वजनी स्तनों से परेशान महिला को कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता था.
Breast Reduction Surgery: फरीदाबाद के एक अस्पताल के डॉक्टरों ने मिडिल ईस्ट की एक 23 साल की महिला की ब्रेस्ट रिडक्शन सर्जरी की. ये महिला ब्रेस्ट से जुड़ी एक दुर्लभ स्थिति से पीड़ित थी. दरअसल महिला के स्तनों यानी ब्रेस्ट का वजन 11 किलो था. ये वेट इतना ज्यादा था कि महिला ज्यादा देर तक खड़ी नहीं हो पाती थी. आपको यह भी जानकर हैरानी होगी कि महिला के ब्रेस्ट घुटनों तक पहुंच रहे थे. 11 किलो वजनी स्तनों से परेशान महिला को कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता था. उठने और बैठने तथा खड़े होने में खासा दिक्कतें होती थीं.
डॉक्टरों ने कहा कि पिछले सात महीनों से इस गंभीर स्थिति से जूझ रही महिला 5 मिनट से ज्यादा खड़ी भी नहीं हो पाती थी. डॉक्टरों ने कहा कि महिला अपनी प्रेग्नेंसी के दौरान एक दुर्लभ स्थिति बिलटेरल गेस्टेशनल गिगेंटोमैस्टिया से पीड़ित थी. ये एक ऐसी दुर्लभ बीमारी है, जिसमें ब्रेस्ट के टिशूज बढ़ जाते हैं. इसकी वजह से वे जरूर से ज्यादा वजनी हो जाते हैं. इस बीमारी से पीड़ित महिलाओं को कई तरह की शारीरिक परेशानियों से दो-चार होना पड़ता है. जानकारी के मुताबिक, महिला के ब्रेस्ट की सर्जरी लगभग 10 घंटे से ज्यादा समय तक चली.
बिलटेरल गेस्टेशनल गिगेंटोमैस्टिया की बीमारी
फरीदाबाद के अमृता अस्पताल में प्लास्टिक और रिकंस्ट्रक्टिव सर्जरी के हैड डॉ. मोहित शर्मा ने कहा कि महिला काफी बड़े स्तनों के साथ हमारे पास आई थी. बीते सालों के दौरान उसका तीन बार गर्भपात हुआ था. वो अपनी तीसरी गर्भावस्था के दौरान बिलटेरल गेस्टेशनल गिगेंटोमैस्टिया नाम की एक बीमारी से पीड़ित थी. इस अवधि के दौरान महिला के ब्रेस्ट ज्यादा तेजी से बढ़ने लगे. कई महीनों तक इस समस्या से जूझने के बाद महिला ने अस्पताल का रुख किया. डॉ. शर्मा बताते हैं कि इस केस में सर्जरी करना बहुत चुनौतीपूर्ण था. उनकी टीम ने एक मास्टेक्टॉमी और फ्री निप्पल ग्राफ्ट किया, जिसमें ब्रेस्ट से निपल्स को पूरी तरह से रिमूव कर दिया जाता है और उनकी जगह स्किन ग्राफ्ट लगा दिया जाता है.
सफल रही सर्जरी
टीम का सोचना था कि बाकी कोई ब्रेस्ट रिडक्शन सर्जरी इस केस में काम नहीं करेगी, क्योंकि निपल्स और इरोला को ब्लड की सप्लाई बनाए रखना पॉसिबल नहीं था. डॉ. शर्मा ने बताया कि सर्जरी के दौरान टीम ने निप्पल और एरिओला कॉम्प्लेक्स को एक सेपरेट यूनिट के तौर पर लिया और घटाई गई ब्रेस्ट के ऊपर मोटा ग्राफ्ट लगाया. डॉक्टर बताते हैं कि ये मामला काफी जटिल था, क्योंकि ब्लड को बहने से रोकना और स्तनों को नॉर्मल बनाना मुश्किल था. हालांकि ये सर्जरी सफल रही. सर्जरी के बाद महिला की सेहत में सुधार भी हो रहा है और वो आराम से चलने में भी सक्षम है.
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