एक्सप्लोरर

प्रधानमंत्री मोदी के 'पंचामृत' को सर्वोच्च कुवैती सम्मान की मिली गरमाहट, द्विपक्षीय संबंधों में आएगी नयी धार

भारत पिछले वर्षों में मुस्लिम देशों के साथ अच्छे संबंध स्थापित करने में सक्षम रहा है. उसका एक विशेष कारण यह रहा है कि भारत अपने संबंधों के बीच पाकिस्तान के मुद्दों को नहीं आने दे रहा है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 21-22 दिसंबर तक दो दिनों के लिए कुवैत के आधिकारिक दौरे पर थे. यह दौरा कुवैत राज्य के अमीर महामहिम शेख मेशाल अल-अहमद अल-जबर अल-सबा के निमंत्रण पर भारतीय प्रधान मंत्री ने की. यह यात्रा दोनों देशों के रिश्तों के लिए एक अलग महत्व रखता है क्योकि यह 43 वर्षों में किसी भारतीय प्रधान मंत्री की कुवैत की पहली यात्रा थी. भारत के संबंध भारतीय जनता पार्टी की सरकार आने के बाद से खड़ी देशों के साथ अच्छे हुए हैं. इसका एक कारण प्रधानमंत्री मोदी के विदेशी नेताओं के साथ अच्छे व्यक्तिगत संबंध और उनका व्यक्तित्व रहा है. भारत पिछले वर्षों में मुस्लिम देशों के साथ अच्छे संबंध स्थापित करने में सक्षम रहा है. उसका एक विशेष कारण यह रहा है कि भारत अपने संबंधों के बीच पाकिस्तान के मुद्दों को नहीं आने दे रहा है जिसको अंतरराष्ट्रीय संबंध की भाषा में डी-हाइफनेशन भी कहते है. इस डी-हाइफनेशन को करने में पहले की सरकारें असफल रही थी. साथ ही शीत युद्ध के दौर में भारत का सोवियत यूनियन के साथ संबंध और खड़ी देशों का अमेरिका से नजदीकी भी एक महत्वपूर्ण कारण रहा है.

भारत के कुवैत से पुराने संबंध

भारत का कुवैत के साथ पुराना संबंध रहा है. दोनों देशों के बीच ऐतिहासिक, आर्थिक, सांस्कृतिक और आपसी सम्मान से निहित बहुआयामी संबंध हैं. 1961 में ब्रिटिश संरक्षित राज्य होने से कुवैत की आजादी के बाद, भारत राजनयिक संबंध स्थापित करने वाले पहले देशों में से एक था. तब से, दोनों देशों की उच्च-स्तरीय यात्राओं ने दोनों देशों के बीच संबंधों को ऊपर उठाया है. दोनों पक्षों के बीच विभिन्न क्षेत्रों में लगभग 26 द्विपक्षीय समझौतों/एमओयू पर हस्ताक्षर किए गए हैं. लगभग 14 समझौते/एमओयू अंतिम रूप देने के विभिन्न चरणों में हैं. उचित अवसर पर हस्ताक्षर करने के लिए रक्षा सहयोग पर समझौता ज्ञापन को अंतिम रूप दिया गया है. कुवैत को अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन (आईएसए) और आपदा प्रतिरोधी बुनियादी ढांचे के गठबंधन (सीडीआरआई) में शामिल होने के लिए भी आमंत्रित किया गया है. कुवैत ने आईएसए में शामिल होने के लिए अपनी सैद्धांतिक सहमति व्यक्त कर दी है. प्रधान मंत्री की इस ऐतिहासिक यात्रा के नतीजे को तीन मुख्य क्षेत्रों में वर्गीकृत किया जा सकता है- सांस्कृतिक, आर्थिक और रणनीतिक. इन तीनों ही आयामों में देखें तो यात्रा बेहद सफल रही है. 

सॉफ्ट पावर का भी भारत ने किया इस्तेमाल

संस्कृत रूप से इस यात्रा में प्रधान मंत्री का भारतीय मूल के लोगो से मिलना, उनके साथ वार्तालाप करना और साथ ही कुवैती खेल और सांस्कृतिक कार्यक्रमों में भाग लेना शामिल है. कुवैत में भारतीय मूल के लोग कुशल मजदूरी, व्यापार और अनेक क्षेत्रों में कार्य करते हैं जिनकी संख्या लगभग दस लाख से भी ज्यादा है. यह भारत के लिए प्रेषण (रेमिटेंस) का एक अच्छा स्रोत है. प्रधानमंत्री ऐसे भी प्रवासी भारतीयों से बातचीत करने के लिए जाने जाते रहे हैं. वह कुवैत में काम करने वाले कर्मचारी और पेशेवर, जो निर्माण कार्य से जुड़े हैं और कई अन्य क्षेत्रों में भी अपनी मेहनत से योगदान देते हैं, उनसे मिले और उनका हाल पूछा.

इसी दौरान प्रधान मंत्री ने दो स्थानीय लोगों से भी मुलाकात की, जिन्होंने भारतीय महाकाव्यों, रामायण और महाभारत का अरबी में अनुवाद और प्रकाशन किया था. सांस्कृतिक तौर पर यह एक बहुत ही बड़ी उपलब्धि है. प्रधान मंत्री को कुवैत के अमीर महामहिम शेख मेशाल अल-अहमद अल-जबर अल-सबा ने कुवैत के सर्वोच्च राष्ट्रीय पुरस्कार ऑर्डर ऑफ मुबारक अल-कबीर से सम्मानित किया. ऐसे सम्मान प्रधान मंत्री के लिए अब नए नहीं रह गए है, परंतु यह एक बहुत ही प्रतीकात्मक सफलता है. दोनों नेताओं ने एक सांस्कृतिक आदान-प्रदान कार्यक्रम, खेल के क्षेत्र में सहयोग पर एक कार्यकारी कार्यक्रम समझौता ज्ञापन की रूपरेखा पर हस्ताक्षर किए.

आर्थिक संबंध दोनों ही देशों के लिए अहम

आर्थिक रूप से इस दौरे का महत्व सबसे सकारात्मक है क्योकि भारत और कुवैत के संबंध आर्थिक रूप से दोनों देशों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है. कुवैत यात्रा कई आर्थिक आयामों के माध्यम से इस स्तंभ को दृढ़ता से दर्शाती है. 10.47 अरब डॉलर के द्विपक्षीय व्यापार और भारत का छठा सबसे बड़ा कच्चे तेल आपूर्तिकर्ता होने के साथ, कुवैत भारत की कच्चे तेल की जरूरतों की 3% आपूर्ति करता है. यह दर्शाता है कि आर्थिक संबंध पर्याप्त हैं. कुवैत का संप्रभु धन कोष पहले ही भारत में 10 अरब डॉलर से अधिक का निवेश कर चुका है. भारत में बनी हुई चीजें कुवैत में लोगों की पहली पसंद रहती है. दोनों देशों ने राजनीतिक, व्यापार, निवेश, ऊर्जा, रक्षा, सुरक्षा, स्वास्थ्य, शिक्षा, प्रौद्योगिकी, सांस्कृतिक और लोगों से लोगों के संबंधों सहित क्षेत्रों में रणनीतिक साझेदारी को मजबूत करने के लिए एक रोडमैप पर चर्चा की. उन्होंने दोनों देशों के बीच आर्थिक सहयोग को गहरा करने पर जोर दिया.

प्रधान मंत्री ने कुवैती निवेश प्राधिकरण और अन्य हितधारकों के एक प्रतिनिधिमंडल को ऊर्जा, रक्षा, चिकित्सा उपकरणों, फार्मा, खाद्य पार्कों सहित अन्य क्षेत्रों में नए अवसरों को देखने के लिए भारत आने के लिए आमंत्रित किया. नेताओं ने पारंपरिक चिकित्सा और कृषि अनुसंधान में सहयोग पर भी चर्चा की. इस से दोनों देशों में इन विभिन क्षेत्रों में व्यापार और सहयोगिता और बढ़ेगी.

राजनय के दृष्टिकोण से अहम है दौरा 

रणनीतिक रूप से भी यह यात्रा काफी महत्वपूर्ण  है. पश्चिम एशिया में अभी के हालात बहुत नाजुक है. भू-राजनीतिक परिदृश्य दिन-ब-दिन बदल रहा है. इस संदर्भ में, पश्चिम एशिया में कुवैत के तटस्थ रुख को जानते हुए, यह देश महत्वपूर्ण हो जाता है. हालांकि, भारत के संबध इस क्षेत्र के सभी देशों के साथ सौहार्दपूर्ण है. कुवैत इस वर्ष खाड़ी सहयोग परिषद (जीसीसी) का अध्यक्ष है; भारतीय इसके माध्यम से जीसीसी के अन्य देशों के साथ व्यापार और ऊर्जा के मामले में अधिक लाभकारी संबंध बनाने के लिए इस स्थिति का लाभ उठा सकते हैं. इसको ध्यान में रखते हुए प्रधान मंत्री ने कुवैत के साथ एक रणनीतिक साझेदारी समझौते पर हस्ताक्षर किया है, जो दोनों देशों के आर्थिक और रक्षा एकीकरण को और बढ़ावा देगा. सामरिक दृष्टि से रक्षा सहयोग पर एक समझौता ज्ञापन और कुवैत के अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन में शामिल होने पर समझौता भी शामिल है.

ये यात्रा भारत की नई विदेश नीति के दृष्टिकोण को दर्शाती है. पंचामृत, एक नया विदेश नीति दृष्टिकोण है जो हमारे पड़ोस और विस्तारित पड़ोस के साथ संबंध रखने के लिए विदेश नीति क्षेत्र में पांच बुनियादी तत्वों को बताता है. इस यात्रा में हुए सारे पहलुओं को ध्यान से देखे तो सभी पांच घटकों – समृद्धि, सुरक्षा, सम्मान, संवाद और संस्कृति- को शामिल किया गया है. दोनों देश एक-दूसरे को “समृद्ध” बनने में मदद कर रहे हैं और रक्षा (सुरक्षा), अर्थव्यवस्था और सांस्कृतिक क्षेत्रों में समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए. हमारे प्रधानमंत्री को जो पुरस्कार मिला वह हमारे संबंधों के "सम्मान" घटक को दर्शाता है. विभिन्न स्तरों के सरकारी अधिकारियों और नेताओं के बीच बातचीत और सांस्कृतिक संबंध पंचामृत के अंतिम दो घटकों, यानी संवाद और संस्कृति की व्याख्या करते हैं.

अनमोल कौंडिल्य ने पांडिचेरी विश्वविद्यालय से राजनीति और अंतरराष्ट्रीय संबंधों में स्नातकोत्तर की डिग्री प्राप्त की है. वह वर्तमान में पांडिचेरी विश्वविद्यालय में एक आईसीएसएसआर प्रमुख परियोजना के लिए अनुसंधान सहायक के रूप में काम कर रहे हैं. उनकी रुचि भू-राजनीति, विदेश नीति और अंतर्राष्ट्रीय संबंधों में है.
Read
और पढ़ें
Sponsored Links by Taboola

टॉप हेडलाइंस

Bangladesh Violence: 'हिंदू अल्पसंख्यकों को बनाया जा रहा निशाना...', बांग्लादेश के पूर्व मंत्री मोहिबुल हसन चौधरी का बड़ा बयान
'हिंदू अल्पसंख्यकों को बनाया जा रहा निशाना...', बांग्लादेश के पूर्व मंत्री मोहिबुल हसन चौधरी का बड़ा बयान
लखनऊ के कई जिलों के लिए रेड और ऑरेंज अलर्ट जारी, यूपी में कैसा रहेगा अगले 24 घंटे का मौसम?
लखनऊ के कई जिलों के लिए रेड और ऑरेंज अलर्ट जारी, यूपी में कैसा रहेगा अगले 24 घंटे का मौसम?
मधुबाला से होती थी खूबसूरती की तुलना, फिल्मों में सुपरस्टार, लेकिन असल जिंदगी में मिली गुमनामी
मधुबाला से होती थी खूबसूरती की तुलना, फिल्मों में सुपरस्टार, लेकिन असल जिंदगी में मिली गुमनामी
सूर्यकुमार यादव के लिए किसी बुरे सपने से कम नहीं रही दक्षिण अफ्रीका टी20 सीरीज, आंकड़े देख सिर पकड़ लेंगे आप
सूर्यकुमार यादव के लिए किसी बुरे सपने से कम नहीं रही दक्षिण अफ्रीका टी20 सीरीज, आंकड़े देख सिर पकड़ लेंगे आप

वीडियोज

जिंदा जिस्म में 69 गोलियों का बारूद !
बाजार में बेची जा रही बाबरी मस्जिद-हुमायूं कबीर वाली टी-शर्ट
अपने कारनामे पर अब भी क्यों खामोश है Nitish?
Renault Triber Drive Review | Auto Live #renault #triber
यूपी में BJP-SP के बीच कुर्मी वोट की लड़ाई शुरू
Petrol Price Today
₹ 94.72 / litre
New Delhi
Diesel Price Today
₹ 87.62 / litre
New Delhi

Source: IOCL

पर्सनल कार्नर

टॉप आर्टिकल्स
टॉप रील्स
Bangladesh Violence: 'हिंदू अल्पसंख्यकों को बनाया जा रहा निशाना...', बांग्लादेश के पूर्व मंत्री मोहिबुल हसन चौधरी का बड़ा बयान
'हिंदू अल्पसंख्यकों को बनाया जा रहा निशाना...', बांग्लादेश के पूर्व मंत्री मोहिबुल हसन चौधरी का बड़ा बयान
लखनऊ के कई जिलों के लिए रेड और ऑरेंज अलर्ट जारी, यूपी में कैसा रहेगा अगले 24 घंटे का मौसम?
लखनऊ के कई जिलों के लिए रेड और ऑरेंज अलर्ट जारी, यूपी में कैसा रहेगा अगले 24 घंटे का मौसम?
मधुबाला से होती थी खूबसूरती की तुलना, फिल्मों में सुपरस्टार, लेकिन असल जिंदगी में मिली गुमनामी
मधुबाला से होती थी खूबसूरती की तुलना, फिल्मों में सुपरस्टार, लेकिन असल जिंदगी में मिली गुमनामी
सूर्यकुमार यादव के लिए किसी बुरे सपने से कम नहीं रही दक्षिण अफ्रीका टी20 सीरीज, आंकड़े देख सिर पकड़ लेंगे आप
सूर्यकुमार यादव के लिए किसी बुरे सपने से कम नहीं रही दक्षिण अफ्रीका टी20 सीरीज, आंकड़े देख सिर पकड़ लेंगे आप
ओमान में पीएम मोदी का वेलकम देखकर हिल गया मुस्लिम वर्ल्ड? पाक एक्सपर्ट चिढ़कर बोले- भारत को इतनी तवज्जो और पाकिस्तान...
ओमान में पीएम मोदी का वेलकम देखकर हिल गया मुस्लिम वर्ल्ड? पाक एक्सपर्ट चिढ़कर बोले- भारत को इतनी तवज्जो और पाकिस्तान...
चलती ट्रेन में कैसे बुला सकते हैं मदद, नोट कर लें ये नंबर
चलती ट्रेन में कैसे बुला सकते हैं मदद, नोट कर लें ये नंबर
ऑनलाइन शॉपिंग से पहले जरूर याद रखें ये 3 जरूरी बातें, नहीं तो पलभर में खाली हो सकता है आपका बैंक अकाउंट
ऑनलाइन शॉपिंग से पहले जरूर याद रखें ये 3 जरूरी बातें, नहीं तो पलभर में खाली हो सकता है आपका बैंक अकाउंट
अजरबैजान में सैलरी 50 हजार तो भारत में हो जाएगी इतनी? जानें पूरी डिटेल्स
अजरबैजान में सैलरी 50 हजार तो भारत में हो जाएगी इतनी? जानें पूरी डिटेल्स
Embed widget