सरकार द्वारा कृषी कानूनों को वापस लिए जाने के ऐलान के बाद इसे किसान आंदोलन की एक बड़ी जीत की तरह देखा जा रहा है. हालांकि इस आंदोलन की सफलता के पीछे तीन सवाल भी हैं. सवाल नंबर एक अगर कोरोना न होता तो क्या किसान आंदोलन इतना सफल हो पाता? सवाल नंबर दो - किसानों पर खालिस्तानी होने का आरोप न लगाया जाता तो क्या किसान कृषी कानूनों को वापस लेने के लिए सरकार को मजबूर कर पाते? सवाल नंबर तीन - अगर मुज़फ्फर नगर दंगे न हो पाते तो क्या किसानों में वो एकता नज़र आती जो आज दिखाई दे रही है? साथ ही बात होगी कि कैसे सरकार और किसान दोनों ही कुछ सहमतियों के साथ नर्म पड़ते नज़र आ रहे हैं. किसान आंदोलन में क्या हो सकता है आगे बता रहे हैं वरिष्ठ पत्रकार विजय विद्रोही
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