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कुदरत के कहर के आगे कब तक लाचार? । Assam Flood
कैसे कुदरत की मार के आगे इंसान को उसके हाल पर छोड़ देती है सरकार. बाढ़ और बारिश की वजह से अपने देश का पूर्वोत्तर हिस्सा बदहाल है. हजारों लोग सुरक्षित ठिकानों की तरफ पलायन को मजबूर हैं. अपने ही घर से बेघर होकर दाने दाने को तरस रहे हैं बाढ़ प्रभावित इलाकों के लोग लेकिन सरकार और इस तंत्र को इससे क्या फर्क पड़ता है. हर साल इन इलाकों के लोग ऐसी ही त्रासदी झेलने को अभिशप्त हैं लेकिन सरकार के पास लोगों को इससे बचाने के लिए कोई दूरगामी योजना नहीं. हम ये नहीं कह रहे कि इंसान कुदरत के कानून को बदल सकता है लेकिन अगर पहले से तैयारी कर ली जाए तो इस आपदा के असर को तो कम किया ही जा सकता है.
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अनिल चमड़ियावरिष्ठ पत्रकार
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