Gayatri Prasad Prajapati Convicted: गैंगरेप मामले में सपा सरकार में मंत्री रहे गायत्री प्रजापति को उम्रकैद की सजा
सपा सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे गायत्री प्रसाद प्रजापति को एमपी-एमएलए कोर्ट ने गैंगरेप के मामले में दोषी करार दिया था. गायत्री के साथ दो अन्य आरोपी आशीष शुक्ला और अशोक तिवारी भी दोषी पाए गए हैं.
Chitrakoot Gang Rape Case: सपा सरकार में मंत्री रहे गायत्री प्रसाद प्रजापति को उम्रकैद की सजा सुनाई गई है. गैंगरेप मामले में गायत्री प्रजापति को आजीवन कारावास की सज़ा सुनाई गई है. गायत्री के साथ आशीष शुक्ला और अशोक तिवारी को भी आजीवन कारावास की सज़ा सुनाई गई. इसके साथ कोर्ट ने 2 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया है.
सपा सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे गायत्री प्रसाद प्रजापति को एमपी-एमएलए कोर्ट ने गैंगरेप के मामले में दोषी करार दिया था. गायत्री के साथ दो अन्य आरोपी आशीष शुक्ला और अशोक तिवारी भी दोषी पाए गए हैं जबकि चार आरोपियों को कोर्ट ने बरी कर दिया है. चित्रकूट की महिला ने साल 2016 में तत्कालीन कैबिनेट मंत्री गायत्री प्रसाद प्रजापति और उनके सहयोगियों पर गैंगरेप का आरोप लगाते हुए पुलिस अधिकारियों से शिकायत की थी. पीड़िता का कहना था कि खनन मंत्री रहे गायत्री प्रसाद प्रजापति ने उन्हें खनन के पट्टे दिलाने का झांसा देकर गौतमपल्ली स्थित आवास बुलाकर कई बार रेप किया. साल 2014 से जुलाई 2016 तक उसका शोषण किया जाता रहा.
यही नहीं, गायत्री और उनके सहयोगियों ने पीड़िता की नाबालिग बेटी का भी यौन शोषण किया. गायत्री प्रसाद प्रजापति समाजवादी पार्टी की सरकार में रसूखदार और प्रभावशाली राजनेता थे इसलिए पुलिस-प्रशासन ने उनके खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं की. पीड़िता ने सुप्रीम कोर्ट की शरण ली. सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर पीड़िता की तरफ से गौतमपल्ली थाना में फरवरी 2017 को गायत्री और उनके सहयोगियों के खिलाफ गैंगरेप, पॉक्सो एक्ट समेत अन्य धाराओं में एफआईआर दर्ज की गई थी. 15 मार्च 2017 को पुलिस ने गायत्री प्रसाद प्रजापति को गिरफ्तार करके जेल भेज दिया. गायत्री के सहयोगी और उन्हें शरण देने के आरोपी अशोक तिवारी और आशीष शुक्ला को भी गिरफ्तार करके जेल भेजा गया था.
पीड़िता पर काफी दबाव डाला गया
गायत्री को बचाने के लिए पीड़िता पर काफी दबाव डाला गया. यहां तक कि उसे रुपया व प्लॉट भी दिए गए. मामले में नया मोड़ तब आया जब रेप पीड़िता ने अपने बयान बदल दिए और गायत्री के पक्ष में बयान दे दिया. मामले की सुनवाई के दौरान बार-बार बयान बदलना पीड़िता को भारी पड़ा और कोर्ट ने उसके खिलाफ भी जांच के आदेश दिए हैं. कोर्ट ने पुलिस आयुक्त को पीड़िता के अलावा राम सिंह राजपूत और अंशु गौड़ के खिलाफ जांच करने का आदेश देते हुए कहा कि पुलिस इस बात की पड़ताल करें कि इन तीनों ने किसके प्रभाव में आकर गवाही के दौरान अपने बयान बदले.
एफआईआर में गायत्री के अलावा आशीष शुक्ला, अशोक तिवारी, अमरेंद्र सिंह पिंटू, चंद्रपाल, विकास वर्मा, रूपेश्वर उर्फ रुपेश के नाम शामिल थे. एमपी-एमएलए कोर्ट के विशेष न्यायाधीश पवन कुमार राय ने फैसला सुनाते हुए गायत्री प्रसाद प्रजापति आशीष शुक्ला और अशोक तिवारी को गैंगरेप और पोक्सो एक्ट में दोषी पाया जबकि बाकी चारों को कोर्ट ने बरी कर दिया.
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