Maharashtra: किरेन रिजिजू को कानून मंत्री के पद से हटाए जाने पर संजय राउत बोले- 'ये न्याय व्यवस्था की...'
Maharashtra News: किरेन रिजिजू (Kiren Rijiju) की जगह अर्जुन राम मेघवाल (Arjun Ram Meghwal) को कानून मंत्री बनाया गया है. इस पर शिवसेना (UBT) नेता संजय राउत ने अपनी प्रतिक्रिया दी.
Maharashtra News: केंद्रीय मंत्रिमंडल में बड़ा फेरबदल देखने को मिला. सरकार ने किरेन रिजिजू (Kiren Rijiju) को कानून मंत्री के पद से हटाकर उनकी जगह अर्जुन राम मेघवाल (Arjun Ram Meghwal) को कानून मंत्री बना दिया. रिजिजू को कानून मंत्रालय से हटाए जाने पर शिवसेना (यूबीटी) नेता संजय राउत ने तंज कसा है. संजय राउत ने कहा कि केंद्र सरकार ने किरेन रिजिजू के प्रति न्यायपालिका की नाराजगी पर ध्यान दिया है और इसलिए उनका मंत्रालय बदला गया है. उन्होंने कहा कि यह न्याय व्यवस्था की जीत है.
रिजिजू ने की थी कॉलेजियम प्रणाली की ओलचना
रिजिजू को 7 जुलाई 2021 को कानून मंत्री बनाया गया था. कानून मंत्री के रूप में रिजिजू सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के न्यायधीशों की नियुक्ति की कॉलेजियम प्रणाली की आलोचना करने में सरकार में सबसे मुखर रहे थे और इसे संविधान से अलग बताते थे. कुछ सेवानिवृत्त न्यायाधीशों के भारत विरोधी गिरोह का हिस्सा होने की उनकी हालिया टिप्पणी पर उन्हें कड़ी आलोचनाओं का सामना करना पड़ा था. उन्होंने दावा किया था कि कुछ सेवानिवृत्त न्यायाधीश और कुछ कार्यकर्ता जो भारत विरोधी गिरोह का हिस्सा हैं, कोशिश कर रहे थे कि भारतीय न्यायपालिका विपक्षी दल की भूमिका निभाए.
न्यूज़ एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, फेरबदल पर प्रतिक्रिया देते हुए संजय राउत ने दावा किया कि नरेंद्र मोदी सरकार में कोई भी कानून विभाग को स्वतंत्र रूप से संभालने में सक्षम नहीं है. उन्होंने आरोप लगाया कि रिजिजू ने न्यायपालिका के कामकाज में दखल देने की कोशिश की और यहां तक कि भारत के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ और कई अन्य का अपमान किया. पूरी न्याय व्यवस्था मंत्री और सरकार के खिलाफ थी, इसलिए सरकार को यह कदम उठाना पड़ा. राउत ने दावा किया कि यह कानून व्यवस्था की जीत है.
'सभी मंत्रियों के लिए यह एक उदाहरण होना चाहिए'
वहीं एनसीपी के मुख्य प्रवक्ता क्लाइड क्रैस्टो ने दावा किया कि रिजिजू कानून और अपने कर्तव्य से ऊपर होने की कोशिश कर रहे थे. उन्होंने कहा कि ऐसा करने वाले सभी केंद्रीय मंत्रियों के लिए यह एक उदाहरण होना चाहिए. उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार को कम काम करने वाले मंत्रियों के लिए भी यही मानक तय करना चाहिए, खासतौर से ऐसे नेताओं पर जो महिलाओं और बच्चों से संबंधित मुद्दों पर बात ही नहीं करते हैं.
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