Presidential Election 2022: समर्थन जुटाने के लिए यशवंत सिन्हा आएंगे झारखंड, लेकिन उससे पहले जाने लें सबसे रोचक बात
Presidential Election: राष्ट्रपति चुनाव को लेकर यशवंत सिन्हा ( Yashwant Sinha) समर्थन जुटाने की मुहिम के तहत 16 जुलाई को झारखंड (Jharkhand) आ रहे हैं. इस बीच जानें समीकरण क्या कह रहे हैं.
Presidential Election 2022 Yashwant Sinha Jharkhand Visit: राष्ट्रपति पद के लिए विपक्षी पार्टियों के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा ( Yashwant Sinha) अपने पक्ष में समर्थन जुटाने की मुहिम के तहत 16 जुलाई को गृह राज्य झारखंड (Jharkhand) आ रहे हैं, लेकिन उनके आने से पहले ही एनडीए (NDA) की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू (Draupadi Murmu) राज्य के 64 फीसदी वोटों को अपने पक्ष में कर चुकी हैं. राज्य में राष्ट्रपति चुनाव के लिए निर्वाचक मंडल के कुल वोटों का मूल्य (वैल्यू) 28256 है. सबकुछ पार्टियों के सार्वजनिक स्टैंड के मुताबिक हुआ तो ये तय है कि इनमें से 22808 मूल्य के वोट मुर्मू के पक्ष में जाएंगे. दूसरी तरफ यशवंत सिन्हा को झारखंड से कांग्रेस के 2 सांसदों और 17 विधायकों के मत मिलते दिख रहे हैं. इनके मतों की कुल वैल्यू 4392 बैठ रही है.
साथ रहते हैं यशवंत सिन्हा और जयंत सिन्हा
देश में राष्ट्रपति चुनाव के इतिहास में ये कीर्तिमान भी शायद पहली बार बनेगा, जब एक उम्मीदवार यानी यशवंत सिन्हा को अपने पुत्र तक का वोट नहीं मिल पाएगा. उनके पुत्र जयंत सिन्हा हजारीबाग लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र से बीजेपी के सांसद हैं और उन्होंने साफ तौर पर एलान कर दिया है कि वो पार्टी धर्म का निर्वाह करेंगे यानी राष्ट्रपति चुनाव में उनका वोट एनडीए की प्रत्याशी द्रौपदी मुर्मू को जाएगा. यहां ये जिक्र करना भी दिलचस्प है कि हजारीबाग के बीजेपी सांसद रहे यशवंत सिन्हा ने 2014 में सक्रिय राजनीति से किनारा करते हुए अपने पुत्र जयंत सिन्हा को राजनीति के मैदान में आगे किया था. बीजेपी ने उनकी इच्छा का सम्मान करते हुए जयंत सिन्हा को यहां से प्रत्याशी बनाया और उन्होंने लगातार 2 चुनावों में जीत दर्ज की. यशवंत सिन्हा और जयंत सिन्हा हजारीबाग में ऋषभ वाटिका नाम के फॉर्म हाउस में एक साथ रहते हैं पर सियासी तौर पर दोनों की राहें अब जुदा-जुदा हैं.
द्रौपदी मुर्मू का झारखंड से रहा है गहरा लगाव
द्रौपदी मुर्मू की बात करें तो उनका झारखंड की धरती से गहरा लगाव रहा है. वो पांच साल तक यहां राज्यपाल तो रही हीं, वो अपने पूर्वजों और ननिहाल पक्ष के झारखंड में पुश्तैनी निवास का जिक्र कर भावनात्मक तौर पर यहां से अपने लिए अधिकाधिक वोट जुटाने में सफल दिख रही हैं. एनडीए के घटक दलों बीजेपी और आजसू के वोट द्रौपदी मुर्मू को मिलेंगे, ये तो उनकी उम्मीदवारी की घोषणा के साथ स्वाभाविक तौर पर साफ हो गया था. अब यूपीए फोल्डर की पार्टी झामुमो ने भी 14 जुलाई को आधिकारिक तौर पर एलान कर दिया कि वो चुनाव में मुर्मू का समर्थन करेंगे. झामुमो का कहना है कि पहली बार आदिवासी महिला को देश का राष्ट्रपति बनने का गौरव प्राप्त होने वाला है, इसलिए पार्टी ने उन्हें समर्थन देने का फैसला लिया है.
JMM ने पहले ही दे दिए थे संकेत
बता दें कि, 4 जुलाई को द्रौपदी मुर्मू ने अपने झारखंड दौरे के दौरान एनडीए विधायकों-सांसदों के साथ बैठक के बाद झामुमो के सुप्रीमो शिबू सोरेन और उनके पुत्र हेमंत सोरेन से मुलाकात कर समर्थन मांगा था. झामुमो ने उसी दिन उन्हें समर्थन का संकेत दे दिया था. अब आधिकारिक तौर पर घोषणा के बाद द्रौपदी मुर्मू ने झामुमो के प्रति आभार जताया है.
जानें क्या कह रहे हैं समीकरण
झारखंड में राष्ट्रपति चुनाव के लिए वोटों के गणित की बात करें तो यहां के एक विधायक के वोट का मूल्य 176 और एक सांसद के वोट का मूल्य 700 है. झारखंड में बीजेपी के 26 विधायक हैं, जबकि लोकसभा और राज्यसभा के सांसदों की संख्या 14 है. इस तरह राज्य में बीजेपी के पास कुल 14,376 मूल्य के वोट हैं. इसी तरह एनडीए के घटक दल आजसू के पास 2 विधायक और एक सांसद हैं. आजसू के कुल वोटों का मूल्य 1052 है. इस तरह से एनडीए के पास कुल 15,428 मूल्य के वोट हैं. झामुमो के पास 30 विधायक और 3 सांसद हैं, जिनके कुल वोटों का मूल्य 7380 है. इसके अलावा बरकट्ठा क्षेत्र के निर्दलीय विधायक अमित यादव ने भी द्रौपदी मुर्मू के पक्ष में मतदान की घोषणा की है. इस तरह झारखंड में कुल 28256 में से 22808 मूल्य यानी 64 फीसदी वोट द्रौपदी मुर्मू के पक्ष में जाते दिख रहे हैं.
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