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Surguja: सहकारी समिति कर्मियों की हड़ताल से खाद को तरस रहे किसान, बुवाई में कुछ दिन बाकी
Co-operative Society Workers Strike: किसानों का आरोप है कि सहकारी समिति कर्मियों की हड़ताल का फायदा उठाकर संभाग में कई जगहों पर निजी दुकानदारों के द्वारा खाद को ऊंचे दामों पर बेचा जा रहा है.
![Surguja: सहकारी समिति कर्मियों की हड़ताल से खाद को तरस रहे किसान, बुवाई में कुछ दिन बाकी Farmers are unable to get fertilizers due to the strike of cooperative society workers in Surguja ann Surguja: सहकारी समिति कर्मियों की हड़ताल से खाद को तरस रहे किसान, बुवाई में कुछ दिन बाकी](https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2023/06/14/9b9474c5633743dbf1d1d585bc6e06641686747288633371_original.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=1200&height=675)
Chhattisgarh News: सहकारी समिति कर्मियों की हड़ताल से किसानों की परेशानी लगातार बढ़ रही है. मौसम विभाग के द्वारा सरगुजा में मॉनसून के 21 से 22 जून तक पहुंचने का अनुमान लगाया गया है जिसे देखते हुए किसानों के पास अब खरीफ फसल की तैयारी, खाद-बीज की खरीदी के लिए 9 से 10 दिन का ही समय बचा है. ऐसे समय में सहकारी समिति कर्मियों की हड़ताल ने किसानों की चिंता बढ़ा दी है. हड़ताली कर्मचारियों का दावा है कि 13 जून तक की स्थिति में सहकारी समितियों से एक लाख क्वींटल से अधिक खाद की बिक्री हो जाती थी, जबकि हड़ताल के पूर्व तक उनके द्वारा 30 से 35 हजार क्विंटल का ही वितरण किया जा सका है जिसके बाद से वे समितियों में ताला लगा धरना दे रहे हैं
समिति कर्मियों की हड़ताल से किसान परेशान
समिति कर्मियों का कहना है कि अभी तक खाद के कुल लक्ष्य का लगभग 90 प्रतिशत वितरण हो जाता था, जबकि इस बार अब तक केवल 35 से 40 फीसदी खाद का ही वितरण हो पाया है. समिति कर्मी अम्बिकापुर शहर के कलेक्ट्रेट एसबीआई ब्रांच मार्ग में धरना दे रहे हैं. इधर प्री-मॉनसून की गतिविधि देख किसानों के द्वारा हर रोज इस उम्मीद में समितियों का चक्कर लगाया जा रहा है कि आज सहकारी समितियों का ताला खुले तो वे खाद लें, मगर कर्मचारियों की हड़ताल लम्बी होने से किसानों को खाली हाथ ही लौटना पड़ रहा है. हड़ताली कर्मियों का कहना है कि जब तक उनकी मांग पूरी नहीं हो जाती तब तक उनकी हड़ताल जारी रहेगा. इधर किसान आकाश में बादलों की आवाजाही देखते हुए खेत, मेड़ों की मरम्मत में जुट गए हैं, मगर समितियों से ऋण में खाद और बीज नहीं मिल पाने से उनकी चिंता यह सोच कर बढ़ गई है कि कहीं इस वजह से वे खेती में न पिछड़ जाएं.
निजी दुकानों पर ऊंचे दामों पर मिल रही खाद
किसानों का आरोप है कि संभाग में कई जगहों पर निजी दुकानदारों के द्वारा खाद को ऊंचे दामों पर बेचा जा रहा है. किसानों का कहना है कि यूरिया की कीमत प्रति बोरी 266.50 रुपए है, जबकि निजी वितरकों के द्वारा 400 से 500 रुपए वसूला जा रहा है. इसी प्रकार डीएपी खाद निजी दुकानों पर 350 रुपए के बजाए 1500 से 1800 में बेचा जा रहा है. ऐसे में गरीब किसानों के पास सहकारी समिति कर्मचारियों की हड़ताल खत्म होने का इंतजार करने के अलावा कोई दूसरा चारा नहीं है.
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