एक्सप्लोरर

गरीबी की गर्त से फुटबॉल के फलक पर छा जाने वाले गरिंचा, ड्रिब्लिंग के जादूगर के सामने पेले भी थे फीके

फुटबॉल महाकुंभ होने जा रहा है और इसके साथ ही जॉय ऑफ दि पीपल ब्राजीलियन फुटबॉलर गरिंचा का जमाना फिर याद आ रहा है. एक ऐसा खिलाड़ी जो जिंदगी की जद्दोजहद के बीच भी खेल के आसमां पर सितारे सा चमकता रहा.

एक बार फिर फीफा विश्व कप 20 नवंबर 2022 से कतर में फुटबॉल के शानदार प्रदर्शन का गवाह बनने जा रहा है. हर 4 साल बाद होने वाला ये आयोजन हमेशा से ही अपनी एक अलग पहचान कायम किए हुए है. इस बार भी 18 दिसंबर तक चलने वाले इस आयोजन में दुनियाभर के मशहूर और शानदार खिलाड़ी अपने हुनर का बेहतरीन इस्तेमाल कर जीत की पुरजोर कोशिश करते दिखेंगे.

ये टूर्नामेंट अनगिनत यादगार पलों और इतिहास बनाने वाले ऐसे ही शानदार खिलाड़ियों की काबिलियत का गवाह रहा है. ऐसे ही एक खिलाड़ी रहे ब्राजील के माने गरिंचा. इस खिलाड़ी के शानदार प्रदर्शन का करिश्मा फुटबॉल की दुनिया में कभी धुंधला नहीं पड़ा. अपनी मासूमियत और फैंस के दिलों में छा जाने वाले गरिंचा का जादू आज भी फुटबॉल के दीवानों के सिर चढ़ कर बोलता है.

खेलने का अंदाज ऐसा निराला की मशहूर फुटबॉलर पेले की चमक भी उनके सामने फीकी पड़ती थी. फुटबॉल के इतिहास में जिंदगी के उतार-चढ़ावों के बाद भी खेल को जीकर अमर कर देने वाले खिलाड़ी के तौर पर गरिंचा हमेशा याद किए जाएंगे. आखिर गरिंचा में ऐसी क्या खूबी थी कि फुटबॉल के मशहूर खिलाड़ियों के बीच आज भी उनका मुकाम सबसे अलग है.

इसके लिए हमें इतिहास के पन्नों को फिर से पलटना होगा और लौटना होगा ब्राजीलियन फुटबॉल के उस पुराने दौर में जब पेले संग गरिंचा फुटबॉल मैदान में तूफान उठाया करते थे. गरिंचा को लोग फुटबॉल का जादूगर यूं ही नहीं कहा करते थे वो अपनी शानदार ड्रिब्लिंग से फैंस का दिल जीत लेते थे. 

ड्रिब्लिंग में बेजोड़ गरिंचा

फुटबॉल के खेल की बात हो और ड्रिब्लिंग की बात न हो ऐसा नहीं हो सकता. शानदार फुटबॉल के खेल का मतलब ही ड्रिब्लिंग है. इसके बगैर ये खेल अधूरा है और फुटबॉल की इस शैली में ही गरिंचा बेजोड़ बेमिसाल थे. वो पैर से फुटबॉल के साथ ऐसा तालमेल बनाते कि उनके प्रतिद्वंद्वी खिलाड़ी देखते रह जाते और दूसरा खिलाड़ी पलक झपकते ही गोलपोस्ट तक जा पहुंचता.

फुटबॉल में  ड्रिब्लिंग में महारत हासिल करना लोहे के चने चबाने से कम नहीं माना जाता और जिंदगी गरिंचा को लोहे के इतने चने चबवा चुकी थी कि शायद फुटबॉल की ये कठिन शैली उन्हें उसके मुकाबले सरल लगी. भले ही आज लियोनल मेसी का खेल बेहद उम्दा माना जाता है.

ब्राजील के शानदार फुटबॉल खिलाड़ी रोनाल्डिन्हो के लोग दीवाने हों. फ्रांस के जिनेदिन जिदान को दुनिया इस खेल का लीजेंड मानती हो. मैराडोना को बेहतरीन ड्रिब्लर कहा जाता हो. जॉर्ज बेस्ट और जोहान क्रूफ की ड्रिब्लिंग के कसीदे पढ़े जाते हों, लेकिन फुटबॉल के मैदान में गरिंचा की ड्रिब्लिंग के जादू को कोई तोड़ नहीं पाया.

आलम ये था कि फुटबॉल के जादूगर पेले भी उनकी चमक में आगे धुंधले पड़ जाते थे. फुटबॉल विश्व कप 1958 में  पेले और गरिंचा ब्राजील टीम में थे. गरिंचा का जलवा ऐसा था कि पेले की जगह वो ही अखबारों की सुर्खियां बने रहते थे. ब्राजील की टीम को ऊंचाईयों पर पहुंचाने वाले इस खिलाड़ी ने भले ही नशे की गिरफ्त में आकर फुटबॉल को जल्द अलविदा कह दिया हो, लेकिन वो हमेशा ही फुटबॉल के बेहतरीन और नायाब खिलाड़ी माने गए और आज भी उनका जलवा कायम है.

कमियों के आगे जीत की कहानी

ब्राज़ील ने वर्षों से दुनिया को कई ड्रिबलिंग जादूगर दिए हैं, लेकिन कोई भी मने गरिंचा की तरह इतना पसंदीदा और प्यार से याद नहीं किया गया. उनके साथ लोगों के इस लगाव को समझना आसान है. उनकी कहानी एक ऐसे शख्स की है जो कई शारीरिक कमियों के साथ पैदा हुआ, लेकिन इन कमियों को उसने अपने जिंदगी की हार नहीं बनने दिया.

ब्राज़ील के रियो डि जेनेरियो के स्लम में 28 अक्टूबर, 1933 को जन्मे गरिंचा के पैदाइश से ही दोनों पैर बराबर नहीं थे. उनकी रीढ़ की हड्डी में परेशानी के साथ दायां पैर बाएं पैर से 6 सेंटीमीटर छोटा था और बायां पैर मुड़ा हुआ था. वो अपनी उम्र के बच्चों के मुकाबले लंबाई में कम और दुबले-पतले थे.

उनकी कद-काठी देखकर ही उनकी बहन रोजा ने उनका नाम एक छोटी गाने वाली लोकल चिड़िया रेन के नाम पर गरिंचा रख दिया. असल में उनका नान मैनुअल फ्रांसिस्को डॉस सैंटोस था, लेकिन पूरी दुनिया में उन्हें निक माने गरिंचा के नाम से ही पहचान मिली.

यहीं छोटा गरिंचा अपनी पैदाइशी शारीरिक कमियों पर काबू पाकर सबके लिए प्रेरणा बन गया और फुटबॉल के महान सितारों में से एक बन गया. डॉक्टर उनके एक एथलीट होने पर भी सवालिया निशान लगाते थे, क्योंकि उनके लिए सीधा खड़ा होना मुश्किल होता था. इस कमी को उन्होंने अपना हथियार बनाया.

उनके साथ ब्राजील ने 1958 और 1962 में लगातार दो विश्व कप जीते. मैदान पर प्रतिद्वंद्वी खिलाड़ियों से मुकाबला करते गरिंचा जब अपनी इसी कमी के साथ उन्हें पीछे छोड़ते तो लोग हंस के पेट पकड़ लेते थे.

इस तरह का मजेदार खेल खेलने के लिए उन्हें  चार्ली चैप्लिन ऑफ फुटबॉल कहा जाता है. इस मुकाम तक पहुंचने का सफर गरिंचा के लिए बेहद मुश्किलों भरा रहा. गरिंचा की मुश्किलों की कहानी उनकी मौत के 12 साल बाद ब्राजीली पत्रकार रॉय कैस्ट्रो की लिखी किताब 'गरिंचा- द ट्रिंप एंड ट्रेजडी ऑफ ब्राजील्स फॉरगॉटन फुटबॉलिंग हीरो' से सामने आई. 

विरासत में मिली शराब की लत

गरिंचा का बचपन बेहद गरीबी में बीता था और इस पर सबसे खराब ये रहा कि उन्हें अपने पिता से विरासत में शराब की लत मिली. गरिंचा के परिवार में इतनी गरीबी थी कि 14 साल की उम्र में वो एक टेक्स्टाइल मिल में काम करने के लिए मजबूर हुए. केयरफ्री रहने वाले और फुटबॉल में इतनी महारत हासिल होने के बाद भी उन्हें पेशेवर करियर में कोई दिलचस्पी नहीं थी.

टीनऐज तक वो पेशेवर फ़ुटबॉल में नहीं उतरे थे. जब डॉक्टरों ने कहा कि वह फुटबॉल नहीं खेल सकते. गरिंचा ने उन्हें गलत साबित करने का फैसला किया. 19 साल की उम्र में, वह बोटोफोगो क्लब ट्रेनिंग सेशन में शामिल हुए. 1953 में बोटोफोगो क्लब  में शामिल होने से पहले ही वो शादीशुदा थे और पैरेंट्स बन चुके थे.

टीम के अधिकारी यह जानकर खुश थे कि वह 18 वर्ष से अधिक के थे और एक पेशेवर के तौर पर खेल सकते थे. एक बार ब्राजील की राष्ट्रीय टीम के एक इज्जतदार सदस्य  अंतरराष्ट्रीय डिफेंडर और रक्षात्मक मिडफील्डर निल्टन सैंटोस के सामने पैरों के जरिए फुटबॉल को ड्रिबल करके गरिंचा ने अपनी असाधारण प्रतिभा का प्रदर्शन किया.

ये देख सैंटोस बेहद प्रभावित हुए और उन्होंने  क्लब के अधिकारियों से गरिंचा को क्लब में लेने के लिए कहा और यहां से शुरू हुई फुटबॉल में एक लीजेंड के बनने की कहानी. 1953 में उन्होंने बोटोफोगो क्लब से फुटबॉल मैच में खेलने का मौका मिला. इस मैच में उन्होंने शानदार प्रदर्शन किया और हैटट्रिक लगाई. यही से उनके पेशेवर करियर की शुरुआत हुई.

इस क्लब में अगले 5 साल के दौरान वह दुनिया के सबसे महान राइट विंगर और अकेले दम पर प्रतिद्वंदियों को धूल चटाने के तौर पर मशहूर रहे. वो जहां भी गए उनके ड्रिब्ल्स ने उनके प्रशंसकों की संख्या में इजाफा किया. साल 1954 के विश्व कप में उन्हें ब्राजील की टीम में जगह नहीं मिली.

1957 में उन्होंने बोटोफोगो को कैम्पियोनाटो कैरिओका खिताब जिताया. इस मैच में किए गए 20 गोल की बदौलत गरिंचा ब्राजील की नेशनल टीम के चयनकर्ताओं के सामने अपना नाम 1958 के फुटबॉल विश्व कप में शामिल कराने में कामयाब रहे. यहीं वो वर्ल्ड कप था, जब दुनिया ने गरिंचा और पेले के खेल का शानदार नजारा देखा था. 

फुटबॉल क्यों मैटर करता है

1958 के विश्व कप फाइनल शुरू होने से 10 दिन पहले 29 मई को, गरिंचा ने इटली में फियोरेंटीना के खिलाफ अपने सबसे मशहूर गोल में से एक गोल किया. गोल लाइन पर रुकने से पहले उसने 4 रक्षकों और गोलकीपर को हराया.

इस दौरान उन्होंने गेंद को ओपन गोल में किक करने के बजाय स्कोर करने के लिए वापसी कर रहे एंज़ो रोबोट्टी के पास से ड्रिबल किया. उनके इस शानदार प्रदर्शन के बावजूद उनके कोच इस बात से परेशान थे.

उन्होंने इसे एक गैर-जिम्मेदाराना कदम माना. इसकी वजह से गैरिंचा को 1958 के विश्व कप टूर्नामेंट के ब्राजील के पहले दो मैचों के लिए नहीं चुना गए. हालांकि, उन्होंने दुर्जेय सोवियत संघ के खिलाफ अपना तीसरा मैच खेला.

दो रक्षकों को ड्रिबल करके और गोल पोस्ट को हिट कर विपक्ष को खदेड़ने में गरिंचा को केवल 3 मिनट लगे. ब्राजील ने आखिरकार गारिंचा के शानदार प्रदर्शन के बल पर  2-0 से ये मैच जीत लिया. शुरुआती पलों में ब्राज़ील इतना प्रभावशाली था कि ये पल " अब तक के फुटबॉल के सबसे बेहतरीन तीन मिनट" के तौर पर जाने जाते हैं.

इस मैच से फुटबॉल की दुनिया में गरिंचा और पेले दोनों ने शुरुआत की थी. उस वक्त ब्राजील की ये टीम अपने आक्रामक कौशल के लिए खास तौर पर मशहूर थी. इसमें गारिंचा, दीदी, वावा, मेरियो ज़ागालो और 17 साल के पेले ऊर्जा भरते थे. पेले हमेशा गरिंचा को अपना बेहतरीन साथी और एक प्यारा इंसान मानते रहे.

इसके बाद पेले और गरिंचा की साझेदारी में खेले गए 40 मैचों में ब्राजील हमेशा अजेय ही रहा. इन दोनों खिलाड़ियों के खेल ने 36 फुटबॉल मैच जीते तो 4 मैच ड्रॉ पर लाकर छोड़े.

पेले की किताब 'व्हाई सॉकर मैटर्स' के मुताबिक टीम मैनेजमेंट को गरिंचा की शारीरिक कमियों से वाकिफ था. उसे उनके खेले जाने की क्षमता पर संदेह था. ऊपर से मानसिक परीक्षा में भी पेले फेल हो गए. वह अपने पेशे की स्पेलिंग भी सही नहीं लिख पाए थे.

हालांकि पेले भी इसमें नाकामयाब रहे थे, लेकिन टीम के कोच ने सब दरकिनार करते हुए इन दोनों खिलाड़ियों को ब्राजील की फुटबॉल टीम में खेलने का मौका दिया और इन दोनों के करिश्माई खेल ने ब्राजील को फाइनल मैच में स्वीडन के खिलाफ 1958 में फुटबॉल का विश्व विजेता बनाया.

फाइनल मैच स्वीडन और ब्राजील के बीच खेला गया. इसे ब्राजील ने पेले और गरिंचा के शानदार खेल की बदौलत 5-2 से जीत लिया. इस मुकाबले में गरिंचा का सामना करने वाले वेल्स के डिफेंडर मेल हॉपकिंस ने कहा, "मेरा मानना है कि उस वक्त गरिंचा पेले के मुकाबले कहीं अधिक खतरनाक थे, उनका खेल पूरी तरह से एक जादुई घटना थी."

जब पेले के बगैर साबित किया खुद को

साल 1961 और 1962 में बोटोफोगो क्लब को दो और कैम्पियोनाटो कैरिओका खिताब दिलाने के बाद, गारिंचा को एक बार फिर चिली में होने वाले 1962 विश्व कप की नेशनल टीम में टीम में चुना गया.

इस विश्व कप में चेकोस्लोवाकिया के खिलाफ खेले गए दूसरे मैच में एक लंबी दूरी के शॉट की कोशिश करते वक्त पेले जख्मी हो गए. इस वजह से वो बाकी बचे टूर्नामेंट खेल नहीं पाए. कोच एवमोरे मोरीरा ने उनकी जगह पर ऐमारिल्डो को लिया, जिसने टूर्नामेंट में अच्छा प्रदर्शन किया.

फिर भी टीम के जिम्मेदारी गरिंचा के कंधों पर ही थी, क्योंकि पेले के बगैर दुनिया उनके खेल पर नजरे गड़ाए बैठी थी. पेले के बगैर टीम को लीड करने की उनकी काबिलियत पर आशंका के बादल थे, लेकिन अपने प्रदर्शन से गरिंचा ने इन बादलों से निकलकर सूरज से चमके.

क्वार्टर फाइनल में इंग्लैंड के खिलाफ दो गोल और सेमीफाइनल में चिली के खिलाफ दो गोल के साथ गरिंचा ने अपने करियर का सर्वश्रेष्ठ फुटबॉल खेला. इसने घरेलू दर्शकों और दुनिया भर में टेलीविजन के दर्शकों उनका कायल बना दिया.

फाइनल में ब्राजील का सामना चेकोस्लोवाकिया से हुआ. तेज बुखार होने के बाद भी गरिंचा मैदान में उतरे और आखिरकार चेकोस्लोवाकिया को 3-1 से हराकर ब्राजील 1962 फुटबॉल विश्व कप का विजेता बना. यह गरिंचा और ब्राजील का लगातार जीता गया दूसरा विश्व कप था. वह टूर्नामेंट के सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी बने. 

शोहरत बनी परेशानी

साल 1958 के बाद गरिंचा और पेले की शोहरत इतनी बढ़ गई. लोग उनके दीवाने हो गए, लेकिन गरिंचा इसे संभाल नहीं पाए. उनके जोड़ीदार पेले अपने करियर में आगे बढ़ते गए तो वो बस पीछे छूटते गए. नशे की लत उन्हें कच्ची उम्र में ही लग गई थी और शोहरत की बुलंदियों पर पहुंचने के बाद वो शराब पीकर धुत रहते थे.

नशे और कई औरतों के साथ रिश्ते उनके खेल की जिंदगी पर काले साए की तरह छाए रहे. उनकी शादीशुदा जिंदगी भी आबाद नहीं रही. दोनों  शादियां तलाक से टूट गई. उनके  अन्य औरतों से भी शारीरिक रिश्ते रहे. वो कुल 14 बच्चे के पिता बने. इसे उन्होंने कभी नकारा भी नहीं. दरअसल गरीबी और अभावों से उठे गरिंचा ताउम्र ब्राजील के एक आम इंसान की जिंदगी के ही आदी रहे.

पिच के बाहर गरिंचा का ब्राजील की सांबा सिंगर के साथ बना रिश्ता उनके लिए शर्मनाक बन गया था. कहा जाता है कि ये सिंगर जश्न मना रहे ब्राजीलियन खिलाड़ियों के साथ लॉकर रूम में  पहुंच गई और वहां जाकर शॉवर के नीचे खड़े गरिंचा को गले लगा लिया. इन नाजायज रिश्तों और सेलिब्रिटी लाइफ की तरफ झुकाव ने इस फुटबॉल खिलाड़ी को उनके फैंस के बीच कम पसंद किए जाने वाला शख्स बना दिया.

जब डूबा ब्राजीलियन फुटबॉल का सितारा

साल 1966 का विश्व कप ब्राजील फुटबॉल की 4 साल पहले की गर्व गाथा से एक अलग कहानी थी. ग्रुप स्टेज से बाहर होने के बाद फुटबॉल में अपना लोहा मनवाने वाला ये देश केवल इसकी छाया भर रह गया. केवल तीन मैच खेल कर, ब्राज़ील प्रथम राउंड में ही टूर्नामेंट बाहर हो गया.

इसमें दो राय नहीं कि गरिंचा की जिंदगी के तनावों, उतार-चढ़ावों ने इस मैच में उनके खेल पर भी असर डाला.  ये गरिंचा का 1955 से लेकर 50 वां और आखिरी अंतरराष्ट्रीय मैच रहा और यही एक मैच था, जिसमें गरिंचा ने हार का सामना किया.

हंगरी के खिलाफ इस मैच में चोटिल होने की वजह से पेले नहीं थे. इसके बाद ये यह साफ हो गया कि गरिंचा और पेले दोनों की साझेदारी में ब्राजील ने कभी कोई गेम नहीं गंवाया. 1966 में उनके करियर में पतन की बेला शुरू हो गई.

बोटोफोगो क्लब के साथ रहते हुए 688 मैच में 276 गोल के बाद गरिंचा ने 1966 में इस क्लब को अलविदा कह दिया. उन्होंने 1973 में खेल से पूरी तरह से रिटायर होने से पहले अपने करियर के बाकी वक्त को अपने वतन के कई अलग-अलग क्लबों में घूमने में बिताया.

शुक्रिया, गरिंचा, दुनिया में आने के लिए

फुटबॉल को अलविदा कहने के 10 साल बाद ही महज 49 साल में गरिंचा दुनिया से भी रुखसती कर गए. शराब की लत ने उन्हें कहींं का नहीं छोड़ा. उन्होंने अपना सारा पैसा बर्बाद कर दिया था. उम्र के आखिरी दौर में उन्हें लिवर सिरोसिस जानलेवा बीमारी हो गई थी.

रियो डी जनेरियो के एक अस्पताल ने गरिंचा ने आखिरी सांस ली थी. गरिंचा ठेठ ब्राजीलियन थे उन्हें अपनी मिट्टी से बेहद प्यार था और ब्राजील को उनसे. ब्राजील की जनता और फुटबॉल के दीवानों के लिए वे कभी भी एक भूले-बिसरे नायक नहीं रहे.

यहीं वजह रही की उनके आखिरी वक्त में जब मरकाना स्टेडियम से गरिंचा को  उनके गांव पौ ग्रांडे ले जा रहा था तो उनकी आखिरी झलक पाने के लिए लाखों लोग सड़कों पर उतर आए थे.

इनमें उनके फैंस, दोस्त और पूर्व खिलाड़ी भी उन्हें सम्मान देने के लिए कतारों में थे. उनके समाधि लगे पत्थर पर लिखा है,"यहां वह चैन से आराम करता है जो लोगों की खुशी था - माने गरिंचा" लोगों ने यहां दीवार पर चित्रकारी भी की है, जिसमें लिखा है, “शुक्रिया, गरिंचा, जीने के लिए”

और देखें
Advertisement
Advertisement
25°C
New Delhi
Rain: 100mm
Humidity: 97%
Wind: WNW 47km/h
Advertisement

टॉप हेडलाइंस

Lok Sabha Elections: थम गया छठे चरण का चुनाव प्रचार, मेनका, संबित पात्रा और धर्मेंद्र प्रधान की साख का अब 25 मई को होगा इम्तिहान
थम गया छठे चरण का चुनाव प्रचार, मेनका, संबित पात्रा और धर्मेंद्र प्रधान की साख का अब 25 मई को होगा इम्तिहान
राजस्थान में लू लगने से पांच लोगों की मौत, बाड़मेर में तापमान 48.8 डिग्री पर पहुंचा, कई जिलों में रेड अलर्ट
राजस्थान में लू लगने से पांच लोगों की मौत, बाड़मेर में तापमान 48.8 डिग्री पर पहुंचा, कई जिलों में रेड अलर्ट
Lok Sabha Elections 2024: सुबह हनुमान मंदिर गए तो शाम को इफ्तार देना होगा... जानें प्रधानमंत्री मोदी ने क्यों कही ये बात
सुबह हनुमान मंदिर गए तो शाम को इफ्तार देना होगा... जानें प्रधानमंत्री मोदी ने क्यों कही ये बात
70 साल की उम्र में बुजुर्ग ने की शादी, अब लुटेरी दुल्हन जेवरात लेकर हुई फरार
70 साल की उम्र में बुजुर्ग ने की शादी, अब लुटेरी दुल्हन जेवरात लेकर हुई फरार
Advertisement
for smartphones
and tablets

वीडियोज

Loksabha Election 2024: चुनाव से पहले कोहराम..जल रहा नंदीग्राम | Mamata Banerjee |  West BengalLoksabha Election 2024: बुजुर्ग मां-बाप...केजरीवाल..और कैमरा ! Delhi Police | PM Modi | KejriwalLoksabha Election 2024: सबसे बड़ा रण...कौन जीतेगा आजमगढ़ ? Dinesh Lal Nirahua | Dharmendra YadavAAP और कांग्रेस साथ, इंडिया गठबंधन को वोट की बरसात या फिर बीजेपी को 7 में 7? KBP Full

फोटो गैलरी

पर्सनल कार्नर

टॉप आर्टिकल्स
टॉप रील्स
Lok Sabha Elections: थम गया छठे चरण का चुनाव प्रचार, मेनका, संबित पात्रा और धर्मेंद्र प्रधान की साख का अब 25 मई को होगा इम्तिहान
थम गया छठे चरण का चुनाव प्रचार, मेनका, संबित पात्रा और धर्मेंद्र प्रधान की साख का अब 25 मई को होगा इम्तिहान
राजस्थान में लू लगने से पांच लोगों की मौत, बाड़मेर में तापमान 48.8 डिग्री पर पहुंचा, कई जिलों में रेड अलर्ट
राजस्थान में लू लगने से पांच लोगों की मौत, बाड़मेर में तापमान 48.8 डिग्री पर पहुंचा, कई जिलों में रेड अलर्ट
Lok Sabha Elections 2024: सुबह हनुमान मंदिर गए तो शाम को इफ्तार देना होगा... जानें प्रधानमंत्री मोदी ने क्यों कही ये बात
सुबह हनुमान मंदिर गए तो शाम को इफ्तार देना होगा... जानें प्रधानमंत्री मोदी ने क्यों कही ये बात
70 साल की उम्र में बुजुर्ग ने की शादी, अब लुटेरी दुल्हन जेवरात लेकर हुई फरार
70 साल की उम्र में बुजुर्ग ने की शादी, अब लुटेरी दुल्हन जेवरात लेकर हुई फरार
'भाई जी! सब ठीक हो गया, लेकिन...', CM सुखविंदर सिंह सुक्खू ने सुनाया विधायकों की क्रॉस वोटिंग का किस्सा
'भाई जी! सब ठीक हो गया, लेकिन...', CM सुखविंदर सिंह सुक्खू ने सुनाया विधायकों की क्रॉस वोटिंग का किस्सा
The Family Man 3 OTT Updates: 'फैमिली मैन 3' में नहीं नजर आएगा ये दमदार एक्टर, खुद किया इसपर बड़ा खुलासा
'फैमिली मैन 3' में नहीं नजर आएगा ये दमदार एक्टर, खुद किया इसपर बड़ा खुलासा
Cancer: कैंसर से जुड़ी बातों को मरीज को कभी नहीं बताते हैं डॉक्टर, जानें क्यों?
कैंसर से जुड़ी बातों को मरीज को कभी नहीं बताते हैं डॉक्टर, जानें क्यों?
कांग्रेस नेता कन्हैया कुमार के पुराने इंटरव्यू का भ्रामक दावे के साथ क्लिप्ड वीडियो किया जा रहा वायरल
कांग्रेस नेता कन्हैया कुमार के पुराने इंटरव्यू का भ्रामक दावे के साथ क्लिप्ड वीडियो किया जा रहा वायरल
Embed widget