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In Photos: महादेव के दर्शन मात्र से दूर हो जाते हैं सारे दुख, जानें 300 साल पुराने मंदिर से जुड़ी पौराणिक कथा
Bhitriya Kund Kota: कोटा के चंबल नदी के तट पर स्थित भीतरिय कुंड के महादेव जी की अपनी ही महिमा है. भीतरिय कुंड के नाम से विख्यात 300 साल पुराने इस मंदिर में दर्शन मात्र से ही सारे दुख दूर हो जाते हैं.
![Bhitriya Kund Kota: कोटा के चंबल नदी के तट पर स्थित भीतरिय कुंड के महादेव जी की अपनी ही महिमा है. भीतरिय कुंड के नाम से विख्यात 300 साल पुराने इस मंदिर में दर्शन मात्र से ही सारे दुख दूर हो जाते हैं.](https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2024/02/29/2d12d960ced149107a01b442f4a557b11709216305123340_original.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=720)
भगवान शिव की महिमा निराली
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![पंडित गोपाल शर्मा ने बताया कि यह मंदिर अपने आप में निराला है. इसकी स्थापना के साथ ही रंगबाड़ी बालाजी और चार चौमा के मंदिर की भी स्थापना एक साथ हुई थी.](https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2024/02/29/03dcbcce112dc3877c657eed6106d66715e83.jpeg?impolicy=abp_cdn&imwidth=720)
पंडित गोपाल शर्मा ने बताया कि यह मंदिर अपने आप में निराला है. इसकी स्थापना के साथ ही रंगबाड़ी बालाजी और चार चौमा के मंदिर की भी स्थापना एक साथ हुई थी.
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![चारों दिशाओं में भगवान शिव की दृष्टि रहती है और सभी दिशाओं में सुख समृद्धि आती है. उन्होंने कहा कि यहां पर एक ऐसा कुंड है जिसमें सर्दी में गर्म पानी आता है और गर्मी में पानी अपने आप ठंडा हो जाता है.](https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2024/02/29/475839f51fef08896830681b48aaf0dae220b.jpeg?impolicy=abp_cdn&imwidth=720)
चारों दिशाओं में भगवान शिव की दृष्टि रहती है और सभी दिशाओं में सुख समृद्धि आती है. उन्होंने कहा कि यहां पर एक ऐसा कुंड है जिसमें सर्दी में गर्म पानी आता है और गर्मी में पानी अपने आप ठंडा हो जाता है.
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![इस पवित्र स्थान की एक और विशेषता यह भी है की चंबल का जितना जल स्तर रहता है उस स्तर से कुंड का पानी ऊपर रहता है. यह भी अपने आप में एक चमत्कार है. कितने ही अकाल आ जाएं कितनी ही गर्मी पड़ जाए लेकिन इस कुंड का पानी कभी नहीं सूखता.](https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2024/02/29/185317e15fa43d89e170f58bfc1f88ffc8aed.jpeg?impolicy=abp_cdn&imwidth=720)
इस पवित्र स्थान की एक और विशेषता यह भी है की चंबल का जितना जल स्तर रहता है उस स्तर से कुंड का पानी ऊपर रहता है. यह भी अपने आप में एक चमत्कार है. कितने ही अकाल आ जाएं कितनी ही गर्मी पड़ जाए लेकिन इस कुंड का पानी कभी नहीं सूखता.
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![पानी कहां से आता है और कहा जाता है यह किसी को नहीं पता, यह मंदिर जितना ऊपर दिखाई देता है उतना ही नीचे की ओर है. कोटा के प्राचीन शिवालय में से यह एक है.पंडित गोपाल शर्मा ने बताया कि भीतरिया का एक पोस्ट होती है, स्टेट टाइम में भीतरिया मुखिया हुआ करते थे, उस समय मेवाराम व उनके परिवार ने राज परिवार के सहयोग से इस मंदिर की स्थापना की.](https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2024/02/29/3289695b2361ba81994c617a9f39dbb74235d.jpeg?impolicy=abp_cdn&imwidth=720)
पानी कहां से आता है और कहा जाता है यह किसी को नहीं पता, यह मंदिर जितना ऊपर दिखाई देता है उतना ही नीचे की ओर है. कोटा के प्राचीन शिवालय में से यह एक है.पंडित गोपाल शर्मा ने बताया कि भीतरिया का एक पोस्ट होती है, स्टेट टाइम में भीतरिया मुखिया हुआ करते थे, उस समय मेवाराम व उनके परिवार ने राज परिवार के सहयोग से इस मंदिर की स्थापना की.
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![दादाबाडी और शिवपुरा में भी एक मंदिर बनाया साथ ही 350 बीघा जमीन सूर्य ग्रहण पर दान की जो वर्तमान में दादाबाडी व शास्त्री नगर है, साथ ही एक तालाब का निर्माण भी कराया गया था.](https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2024/02/29/a39d848adb4858ba6564c0c9a28c6c2cc585b.jpeg?impolicy=abp_cdn&imwidth=720)
दादाबाडी और शिवपुरा में भी एक मंदिर बनाया साथ ही 350 बीघा जमीन सूर्य ग्रहण पर दान की जो वर्तमान में दादाबाडी व शास्त्री नगर है, साथ ही एक तालाब का निर्माण भी कराया गया था.
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![गोपाल शर्मा ने बताया कि चौमेश्वर महादेव मंदिर में भगवान शिव के साथ ब्रह्मा, विष्णु और माता पार्वती है. साथ ही गणेश जी व हनुमानजी की भी प्रतिमा यहां है.यहां साधु संत तपस्या करते थे, नीचे के स्थान डूब जाते थे तो वह मंदिर में आ जाते थे.](https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2024/02/29/04b2601d9b62bc12f4324bb05265f907effa0.jpeg?impolicy=abp_cdn&imwidth=720)
गोपाल शर्मा ने बताया कि चौमेश्वर महादेव मंदिर में भगवान शिव के साथ ब्रह्मा, विष्णु और माता पार्वती है. साथ ही गणेश जी व हनुमानजी की भी प्रतिमा यहां है.यहां साधु संत तपस्या करते थे, नीचे के स्थान डूब जाते थे तो वह मंदिर में आ जाते थे.
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![यहां एक प्राकृतिक झरना भी बहता है. पंडित श्याम सुंदर शास्त्री ने बताया कि बरसात के समय चम्बल नदी का पानी भगवान के चरणों को स्पर्श करता है.](https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2024/02/29/e4cc38adc1088736628f208afeb37fee45bbd.jpeg?impolicy=abp_cdn&imwidth=720)
यहां एक प्राकृतिक झरना भी बहता है. पंडित श्याम सुंदर शास्त्री ने बताया कि बरसात के समय चम्बल नदी का पानी भगवान के चरणों को स्पर्श करता है.
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![जिससे कोटा शहर का नाम रखा, उसी कोट्या भील की बस्ती यहां थी. उन्होंने बताया कि कोटा का नाम कोट्या भील के नाम से रखा गया है. उसी के नाम से यहां एक बस्ती भी है, जिसमें भील जाती के लोग रहते हैं. यहां आगे चलने पर एक गढ़ और महल है.](https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2024/02/29/dc9f617eab6ceaaae9335a07fb8b837c2866a.jpeg?impolicy=abp_cdn&imwidth=720)
जिससे कोटा शहर का नाम रखा, उसी कोट्या भील की बस्ती यहां थी. उन्होंने बताया कि कोटा का नाम कोट्या भील के नाम से रखा गया है. उसी के नाम से यहां एक बस्ती भी है, जिसमें भील जाती के लोग रहते हैं. यहां आगे चलने पर एक गढ़ और महल है.
Published at : 29 Feb 2024 08:36 PM (IST)
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उमेश चतुर्वेदी, वरिष्ठ पत्रकारCommentator
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