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In Photos: छत्तीसगढ़ की महिलाओं की शानदार पहल, केमिकल मिले रंगों से मिलेगा छुटकारा, हर्बल गुलाल से खेलें होली
छत्तीसगढ़ की महिलाओं ने अब तक लगभग 105 किलोग्राम गुलाल तैयार किया है. जिले में विभिन्न स्थानों पर स्टॉल लगाकर गुलाल बेचा जा रहा है.
![छत्तीसगढ़ की महिलाओं ने अब तक लगभग 105 किलोग्राम गुलाल तैयार किया है. जिले में विभिन्न स्थानों पर स्टॉल लगाकर गुलाल बेचा जा रहा है.](https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2023/02/27/18436d40f49312e31c36db232907f9c21677499514698561_original.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=720)
(महिलाओं ने तैयार किया हर्बल गुलाल, फोटो क्रेडिट- दिलीप कुमार शर्मा)
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![रंगों के त्योहार होली की खुशियों को दोगुनी करने जिले में स्व सहायता समूह की महिलाएं अभी से तैयारियों में जुट गई हैं. छत्तीसगढ़ के कोरिया जिले में महिलाओं द्वारा हर्बल गुलाल बनाने का कार्य किया जा रहा है. बीते साल भी महिलाओं को हर्बल गुलाल से अच्छी आमदनी प्राप्त हुई थी.](https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2023/02/27/1bcfbeb90777a78bfa565fd331bd31d83ac07.jpeg?impolicy=abp_cdn&imwidth=720)
रंगों के त्योहार होली की खुशियों को दोगुनी करने जिले में स्व सहायता समूह की महिलाएं अभी से तैयारियों में जुट गई हैं. छत्तीसगढ़ के कोरिया जिले में महिलाओं द्वारा हर्बल गुलाल बनाने का कार्य किया जा रहा है. बीते साल भी महिलाओं को हर्बल गुलाल से अच्छी आमदनी प्राप्त हुई थी.
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![केमिकल युक्त रंग-गुलाल से त्वचा और स्वास्थ्य संबंधी गंभीर समस्याएं होती है. हर्बल गुलाल के प्राकृतिक रंगों के माध्यम से साइड इफेक्ट से भी छुटकारा मिलेगा. कोरिया जिले में कुल 05 स्व सहायता समूह की 21 महिलाओं द्वारा गुलाल बनाने की शुरुआत की गई है.](https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2023/02/27/95169629da95b7bd333c7277d3d9dd9dc8f86.jpeg?impolicy=abp_cdn&imwidth=720)
केमिकल युक्त रंग-गुलाल से त्वचा और स्वास्थ्य संबंधी गंभीर समस्याएं होती है. हर्बल गुलाल के प्राकृतिक रंगों के माध्यम से साइड इफेक्ट से भी छुटकारा मिलेगा. कोरिया जिले में कुल 05 स्व सहायता समूह की 21 महिलाओं द्वारा गुलाल बनाने की शुरुआत की गई है.
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![विकासखंड बैकुण्ठपुर के ग्राम बस्ती की श्री राधे स्व सहायता समूह, ग्राम बड़गांव की मां अम्बे स्व सहायता समूह और विकासखंड सोनहत के ग्राम भैंसवार की सागर स्व सहायता समूह, ग्राम कटगोड़ी की क्रांति स्व सहायता समूह, सोनहत की संघर्ष स्व सहायता समूह की महिलाएं गुलाल बना रहीं हैं.](https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2023/02/27/303094840d8956a8dde3e7c2b0622d05dab39.jpeg?impolicy=abp_cdn&imwidth=720)
विकासखंड बैकुण्ठपुर के ग्राम बस्ती की श्री राधे स्व सहायता समूह, ग्राम बड़गांव की मां अम्बे स्व सहायता समूह और विकासखंड सोनहत के ग्राम भैंसवार की सागर स्व सहायता समूह, ग्राम कटगोड़ी की क्रांति स्व सहायता समूह, सोनहत की संघर्ष स्व सहायता समूह की महिलाएं गुलाल बना रहीं हैं.
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![महिलाओं ने अब तक लगभग 105 किलोग्राम गुलाल तैयार किया है. जिले में विभिन्न स्थानों पर स्टॉल लगाकर गुलाल विक्रय किया जाएगा. इसके साथ ही सी मार्ट में भी हर्बल गुलाल उपलब्ध होंगे. समूह की महिलाओं ने बताया कि उन्हें राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन बिहान के अंतर्गत प्रशिक्षण दिया गया.](https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2023/02/27/7205dd79764953fac196e03f2fbd27bb45363.jpeg?impolicy=abp_cdn&imwidth=720)
महिलाओं ने अब तक लगभग 105 किलोग्राम गुलाल तैयार किया है. जिले में विभिन्न स्थानों पर स्टॉल लगाकर गुलाल विक्रय किया जाएगा. इसके साथ ही सी मार्ट में भी हर्बल गुलाल उपलब्ध होंगे. समूह की महिलाओं ने बताया कि उन्हें राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन बिहान के अंतर्गत प्रशिक्षण दिया गया.
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![समूह की महिला अनुपमा बेक ने बताया कि गुलाल बनाने के लिए अरारोट पाउडर के साथ प्राकृतिक रंगों के अर्क को मिलाया जाता है. स्थानीय बाजार में अरारोट पाउडर आसानी से उपलब्ध है. उन्होंने बताया कि गुलाबी रंग के लिए चुकंदर, हरे रंग के लिए पालक, पीले के लिए हल्दी, नारंगी के लिए पलाश के फूलों का उपयोग किया जा रहा है.](https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2023/02/27/19b68440a7f1cc412aa84a786b56114b31dbd.jpeg?impolicy=abp_cdn&imwidth=720)
समूह की महिला अनुपमा बेक ने बताया कि गुलाल बनाने के लिए अरारोट पाउडर के साथ प्राकृतिक रंगों के अर्क को मिलाया जाता है. स्थानीय बाजार में अरारोट पाउडर आसानी से उपलब्ध है. उन्होंने बताया कि गुलाबी रंग के लिए चुकंदर, हरे रंग के लिए पालक, पीले के लिए हल्दी, नारंगी के लिए पलाश के फूलों का उपयोग किया जा रहा है.
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![इसी प्रकार अन्य रंगों के लिए भी फूलों और सब्जियों का उपयोग किया जा रहा है, जिन्हें पानी के साथ पीसकर पेस्ट के रूप में बनाकर सुखाया जाता है और छानकर प्राकृतिक सुंगन्धक का प्रयोग कर गुलाल तैयार होता है.](https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2023/02/27/443d4ef042ab32aa5824fd8b9c93c2ab1ea73.jpeg?impolicy=abp_cdn&imwidth=720)
इसी प्रकार अन्य रंगों के लिए भी फूलों और सब्जियों का उपयोग किया जा रहा है, जिन्हें पानी के साथ पीसकर पेस्ट के रूप में बनाकर सुखाया जाता है और छानकर प्राकृतिक सुंगन्धक का प्रयोग कर गुलाल तैयार होता है.
Published at : 27 Feb 2023 06:14 PM (IST)
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डॉ. सब्य साचिन, वाइस प्रिंसिपल, जीएसबीवी स्कूल
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