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किसान बनाएं रसायनिक खेती से दूरी, 'प्राकृतिक खेती' से होगी पैसे की बचत
Natural Farming: खेती-किसानी करने वाले किसान भाई प्राकृतिक खेती अपनाकर अच्छा मुनाफा प्राप्त कर सकते हैं. इस खेती में किसान भाइयों का खर्चा कम आता है.
![Natural Farming: खेती-किसानी करने वाले किसान भाई प्राकृतिक खेती अपनाकर अच्छा मुनाफा प्राप्त कर सकते हैं. इस खेती में किसान भाइयों का खर्चा कम आता है.](https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2023/12/01/5092d26404aa2d83c042572e4c9614b31701445530822349_original.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=720)
प्राकृतिक खेती से होगी पैसे की बचत.
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![खेती-किसानी में बढ़ रहे रसायनों के इस्तेमाल से जमीन पर भी असर पड़ रहा है. खेती में रसायन के प्रयोग से किसानों की जमीन खराब हो रही है. कुछ किसानों का मानना होता है कि रसायन युक्त उर्वरक से उनकी फसल अच्छी होती है लेकिन इससे मिट्टी की गुणवत्ता खराब हो जाती है. दुनिया में जलवायु परिवर्तन की समस्या बढ़ रही है. इस तरह की खेती से फसलों का भी बहुत नुकसान होता है और इसका मानव शरीर पर भी बुरा असर पड़ता है. इन सभी समस्याओं से दूर रहने के लिए किसान भाई प्राकृतिक खेती को अपना सकते हैं.](https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2023/12/01/8b5b1b787b950a582fa1413b6807bd6cc12aa.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=720)
खेती-किसानी में बढ़ रहे रसायनों के इस्तेमाल से जमीन पर भी असर पड़ रहा है. खेती में रसायन के प्रयोग से किसानों की जमीन खराब हो रही है. कुछ किसानों का मानना होता है कि रसायन युक्त उर्वरक से उनकी फसल अच्छी होती है लेकिन इससे मिट्टी की गुणवत्ता खराब हो जाती है. दुनिया में जलवायु परिवर्तन की समस्या बढ़ रही है. इस तरह की खेती से फसलों का भी बहुत नुकसान होता है और इसका मानव शरीर पर भी बुरा असर पड़ता है. इन सभी समस्याओं से दूर रहने के लिए किसान भाई प्राकृतिक खेती को अपना सकते हैं.
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![इस खेती में किसानों का खर्च कम हो जाता है. प्राकृतिक खेती में गाय का गोबर और गोमूत्र आदि का इस्तेमाल होता है. गाय के गौबर और मूत्र में 16 तरह के पोषक मौजूद तत्व होते हैं, जो मिट्टी की क्वालिटी और फसल की उत्पादकता बढ़ाने में मददगार साबित होते हैं.](https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2023/12/01/0a17ec515e7c0e91d4e04d5fb9074a9608341.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=720)
इस खेती में किसानों का खर्च कम हो जाता है. प्राकृतिक खेती में गाय का गोबर और गोमूत्र आदि का इस्तेमाल होता है. गाय के गौबर और मूत्र में 16 तरह के पोषक मौजूद तत्व होते हैं, जो मिट्टी की क्वालिटी और फसल की उत्पादकता बढ़ाने में मददगार साबित होते हैं.
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![प्राकृतिक खेती को](https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2023/12/01/15cf84bbe3a9b3292fd159b508b9e7cd4e100.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=720)
प्राकृतिक खेती को "जीरो बजट खेती" भी कहते हैं क्योंकि अधिकांश किसान गाय पालते हैं, जिसके गोबर का उपयोग जीवामृत बनाने के लिए किया जाता है. किसान एक गाय के गोबर से लगभग 30 एकड़ जमीन पर खेती करने के लिए जीवामृत बना सकते हैं.
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![देसी गाय के गोबर और मूत्र की गंध से केंचुआ खाद बनाने में केंचुआ की संख्या बढ़ती है. प्राकृतिक तरीके से खेती करने पर मिट्टी में कीड़ों और कचरे की संभावना कम होने से खेत को गहरी जुताई की आवश्यकता नहीं होती.](https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2023/12/01/d62c80e1379780d320db535e8d0504f17193b.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=720)
देसी गाय के गोबर और मूत्र की गंध से केंचुआ खाद बनाने में केंचुआ की संख्या बढ़ती है. प्राकृतिक तरीके से खेती करने पर मिट्टी में कीड़ों और कचरे की संभावना कम होने से खेत को गहरी जुताई की आवश्यकता नहीं होती.
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![इस प्रक्रिया से सिंचाई के लिए सिर्फ 10% पानी की आवश्यकता होती है. ज्यादा सिंचाई हानिकारक हो सकती है क्योंकि इससे जड़ों की लंबाई बढ़ती है लेकिन तनों की मोटाई और पौधों की लंबाई कम होती है.](https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2023/12/01/def591712018f97012516020d6e1e6ede7b8a.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=720)
इस प्रक्रिया से सिंचाई के लिए सिर्फ 10% पानी की आवश्यकता होती है. ज्यादा सिंचाई हानिकारक हो सकती है क्योंकि इससे जड़ों की लंबाई बढ़ती है लेकिन तनों की मोटाई और पौधों की लंबाई कम होती है.
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![प्राकृतिक खेती में मुख्य साधन देसी बीजों और खाद हैं. जो फसल की उत्पादकता में सुधार करते हैं. किसानों को अलग से कीटनाशक और उर्वरक खरीदने की आवश्यकता नहीं होती, जिससे उनका खर्च कम होता है.](https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2023/12/01/6b9aa2d7a829e635dfd0b9420d2e9d6ff287b.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=720)
प्राकृतिक खेती में मुख्य साधन देसी बीजों और खाद हैं. जो फसल की उत्पादकता में सुधार करते हैं. किसानों को अलग से कीटनाशक और उर्वरक खरीदने की आवश्यकता नहीं होती, जिससे उनका खर्च कम होता है.
Published at : 01 Dec 2023 09:16 PM (IST)
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डॉ. सब्य साचिन, वाइस प्रिंसिपल, जीएसबीवी स्कूल
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