एक्सप्लोरर

Year Ender 2018: 8 साल में 5 लाख़ से ज़्यादा मौतों के बाद समाप्ति की ओर सीरियाई गृह युद्ध

अब जब ISIS के कदम लगभग सीरिया से उखड़ने की कगार पर हैं, अमेरिका की वापसी की वजह से विद्रोही भी ठंडे पड़ गए हैं और रूस-ईरान-सीरिया गठबंधन की वजह से इस्राइल और तुर्की के भी पीछे हटने के आसार हैं, तो राहत की एक बात तो ये है कि सीरियाई गृह युद्ध की समाप्ति की घोषणा किसी भी दिन हो सकती है. लेकिन इस युद्ध की समाप्ति के बाद भी सत्ता की कमान एक बार फिर असद के हाथों में होगी.

2010 में तानाशाही वाले देशों से भरे मिडिल ईस्ट में जैसमिन रिवॉल्यूशन नाम के बदलाव की बयार बही थी. इस बदलाव के तहत ट्यूनीशिया में लोकतंत्र बहाल हो गया. वहीं, लीबिया और मिस्र जैसे कई देशों में भारी राजनीतिक उठा-पटक मच गई. लेकिन 2011 की शुरुआत में बदलाव की ये बयार जब सीरिया पहुंची तो शायद ही किसी को पता था कि ये एक ऐसे गृह युद्ध में तब्दील हो जाएगी जो 2018 के अंत तक पांच लाख से ज़्यादा लोगों की मौत का कारण बनेगी. हालांकि इस साल की अच्छी ख़बरों में ये जानकारी भी शामिल है कि सीरियाई गृह युद्ध समाप्ति की ओर है और ISIS पूरी तरह से बैकफुट पर है.

सीरियाई गृह युद्ध में एक तरफ जहां असद की तानाशाही सेना को रूस, ईरान और हिजबुल्लाह का समर्थन हासिल था. वहीं, दूसरी तरफ सीरिया के धर्मनिरपेक्ष, इस्लामी कट्टरपंथी और विदेशी सुन्नी जिहादियों का एक धड़ा था जो इनके ख़िलाफ़ लड़ रहा था. वैसे असद विरोधी ये धड़ा कई मौकों पर आपस में भी लड़ता नज़र आया. इसी का नतीजा रहा है कि ISIS मज़बूत होता चला गया और सीरिया समेत इराक में कई इलाकों पर कब्ज़ा करके अपना गढ़ बना लिया. लगभग आठ साल तक चला ये गृह युद्ध वैसे तो समाप्ति की ओर बढ़ता हुआ दिख रहा है. लेकिन इसकी कीमत ये रही कि सीरिया पूरी तरह से नेस्तनाबूद हो गया.

2015 में शुरू हुई असद समर्थक रूसी बम वर्षा ने युद्ध के रुख को पलटकर रख दिया. इसी का नतीजा रहा कि एक समय देश की राजधानी दमिश्क तक पहुंच चुके ISIS के पैरों के नीचे की ज़मीन लगभग खिसक चुकी है. इराक ने पहले ही इस आतंकी संगठन को अपने देश से बाहर खदेड़ रखा है. ISIS की ज़मीनी बढ़त की वजह से अमेरिका को भी इस गृहयुद्ध का हिस्सा बनना पड़ा था. रूस से पहले सीरिया में धमकने वाले अमेरिका के वर्तमान राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने तो ये तक घोषित कर दिया है कि ISIS को हराया जा चुका है और इसी का हवाला देते हुए उन्होंने 2000 अमेरिकी सैनिकों को सीरिया से वापस बुलाने का ताज़ा फैसला अचानक से ले लिया.

इस युद्ध का एक चेहरा ये भी था कि कई सारे असद विरोधी समूहों को अमेरिका और सऊदी अरब का साथ हासिल था. इस समर्थन के तहत दोनों देशों ने इन समूहों को हथियार और ट्रेनिंग तक मुहैया कराई. इंटरनेट पर ऐसी अफवाहें भी छाईं कि अप्रत्यक्ष तौर से ओबामा प्रशासन ने सीरियाई गृह युद्ध में ISIS तक की मदद की है. इसके विरोधाभास में एक तथ्य ये भी है कि अमेरिका ने ISIS से लड़ने के लिए कुर्दों को भी ट्रेनिंग और हथियार मुहैया कराए. अब जब असद जीत की ओर हैं और उनकी तानाशाही के कायम रहने के पूरे आसार हैं, तो ऐसे में अमेरिकी मीडिया जिस एक बात को लिखने से शरमा रहा है वो ये है कि इसमें अमेरिकी प्रशासन की "लोकतंत्र बहाली" की मुहिम की हार हुई है.

एक अनुमान के मुताबिक इस गृह युद्ध में ना सिर्फ पांच लाख से ज़्यादा लोगों की मौत हुई है. बल्कि इसकी वजह से दूसरे विश्व युद्ध के बाद का सबसे बड़ा विस्थापन भी हुआ है. इस युद्ध से तकरीबन 22 मिलियन लोग प्रभावित हुए हैं और पांच मिलियन के करीब रिफ्यूजी बनकर रह गए. देश की 60% आबादी भारी गरीबी में रह रही है और देश की अर्थव्यवस्था बस उसका चौथाई हिस्सा बनकर रह गया है जितना ये युद्ध के पहले था.

बैकग्राउंडर

Year Ender 2018: 8 साल में 5 लाख़ से ज़्यादा मौतों के बाद समाप्ति की ओर सीरियाई गृह युद्ध अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप बायें और रूसी राष्ट्रपति पुतिन दायें.

जैसे भारत अंग्रेज़ों के आधीन था वैसे ही दूसरे विश्व युद्ध से पहले सीरिया फ्रांस के आधीन था. युद्ध की समाप्ति के बाद सीरिया को फ्रांस की पकड़ से 1966 में मुक्ति मिली. इसके बाद अलवी समुदाय के मिलिट्री अधिकारियों के हाथों में सत्ता आ गई. शियाओं का इस्लाम मानने वाले इस समूह के हाथ में सत्ता तो चली गई लेकिन देश की 70% आबादी सुन्नी मुसलमानों की है. सीरिया में ईसाईयों और कुर्दों की भी खासी आबादी है. राष्ट्रपति बशर अल असद के पिता हाफिज़ अल असद का लंबे समय तक सीरिया पर शासन रहा. सन् 2000 में सत्ता की चाबी बशर के हाथों में आ गई जिन्होंने कई सारे बदलावों के वादे किए.

लेकिन अपने सारे वादों से मुकरते हुए बशर ने 2011 की शुरुआत में हुए विरोध प्रदर्शनों में अपने ही लोगों के खिलाफ देश की फौज का इस्तेमाल किया और सड़कों पर टैंक से लेकर आसमानों में फौजी हेलिकॉप्टर तक उतार दिए. इसमें विद्रोहियों के शामिल होने से ये युद्ध सीरिया के साथ लगे कई देशों की सीमा तक फैल गया. देश के शियाओं और अलवियों ने असद का समर्थन किया और सुन्नी बहुल इस देश के सुन्नियों के अलावा अन्य सुन्नी मुल्क भी असद के खिलाफ एक हो गए जिससे शुरुआती विरोध प्रदर्शन गृहयुद्ध में तब्दील हो गया.

इस युद्ध के दौरान कई बार केमिकल हमलों की बात भी सामने आई और एक बार तो ऐसा लगा कि अपनी नाक बचाने के लिए ओबामा सीरिया पर हमला कर देंगे. लेकिन असद को मिले रूस के साथ और रूसी कूटनीति की वजह से ये स्थिति टल गई. हालांकि, 2013 में हुए एक ऐसे ही हमले के बाद रूस और अमेरिका ने यूएन के इंस्पेक्टरों के सहारे सीरियाई केमिकल हथियारों को नष्ट करने की मुहिम शुरू की.

ऐसे ही एक कथित रासायनिक हमले के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने सीरिया पर 60 मिसाइलों की बारिश करवा दी. इस मौके पर और ऐसे ही कई मौकों पर लगा कि सीरियाई गृह युद्ध की तना तनी में कहीं अमेरिका और रूस आमने सामने न आ जाएं. इस दौरान रूसी नेतृत्व में देश में शांति बहाली की बातचीत लगातार चलती रही जिनमें से ज़़्यादातर असफल रहीं. इस बातचीत में विद्रोहियों की मांग थी कि असद को हटाया जाए और इस मांग को अमेरिका का समर्थन हासिल था लेकिन बाद में अमेरिका का ये समर्थन ज़िद में बदल गया. हालांकि, अमेरिका ने ये ज़िद छोड़ दी है और सीरिया से अपने कदम वापस खींच लिए हैं.

अंत

Year Ender 2018: 8 साल में 5 लाख़ से ज़्यादा मौतों के बाद समाप्ति की ओर सीरियाई गृह युद्ध सीरियाई राष्ट्रपति बशर अल असद

अचानक से अमेरिका की इस युद्ध से घर वापसी ने काफी असमंजस की स्थिति पैदा कर दी है क्योंकि रूस, ईरान, इस्राइल और तुर्की जैसे देशों ने सीरिया के जिन हिस्सों में बढ़त बनाई है वहां उस बढ़त को कायम रखना चाहते हैं. अमेरिका के जाने के बाद रूस यहां सबसे बड़ी ताकत बन गया है जिससे शक्ति का संतुलन काफी हद तक बिगड़ गया है. हालांकि, रूस को ईरान का समर्थन प्राप्त है और ये दोनों ही असद सरकार के समर्थक हैं. ऐसे में देखने वाली बात होगी कि इस्राइल और तुर्की अपने कदम पीछे खींचते हैं या रूस-ईरान-सीरिया के गठबंधन से लोहा लेने का जोखिम उठाते हैं.

दो हालिया घटनाक्रम बेहद उलझाने वाले रहे हैं. पहले में अमेरिका के सीरिया से निकलते ही ईरान का बहाना बनाकर इस्राइल ने सीरिया पर मिसालइ दागे जिसका रूस ने कड़ा विरोध किया है. वहीं, तुर्की को भी रूस ने सीरिया में किसी तरह की गतिविधि से दूर रहने को कहा है. अब जब ISIS के कदम लगभग सीरिया से उखड़ने की कगार पर हैं, अमेरिका की वापसी की वजह से विद्रोही भी ठंडे पड़ गए हैं और रूस-ईरान-सीरिया गठबंधन की वजह से इस्राइल और तुर्की के भी पीछे हटने के आसार हैं, तो राहत की एक बात तो ये है कि सीरियाई गृह युद्ध की समाप्ति की घोषणा किसी भी दिन हो सकती है.

लेकिन इस युद्ध की समाप्ति के बाद भी सत्ता की कमान एक बार फिर असद के हाथों में होगी. इस जीत के बाद जब सीरिया का पुनर्निमाण होगा तो वो एक तानाशाह के नेतृत्व में होगा. ऐसे में देखने वाली बात होगी की आठ साल में तार-तार हो चुके इस देश के पुनर्निमाण में निवेश का जोखिम कौन उठाता है. युद्ध अपराधों और केमिकल हथियारों के इस्तेमाल के आरोपों के अलावा नागरिकों के विरोध को अपने तानाशाही रवैये से कुचलने वाले असद को तो इस युद्ध में जीत मिली है. लेकिन इसमें अरब क्रांति और सीरिया के लोगों की करारी हार हुई है.

और देखें
Advertisement
Advertisement
25°C
New Delhi
Rain: 100mm
Humidity: 97%
Wind: WNW 47km/h
Advertisement

टॉप हेडलाइंस

Election Fact Check: क्या अमित शाह ने की एससी-एसटी और ओबीसी आरक्षण खत्म करने की बात? जानें वायरल दावों का सच
क्या अमित शाह ने की एससी-एसटी और ओबीसी आरक्षण खत्म करने की बात? जानें वायरल दावों का सच
सुनीता केजरीवाल ने वेस्ट दिल्ली में किया रोड शो, बोलीं- तानाशाही की तरफ जा रहा देश
सुनीता केजरीवाल ने वेस्ट दिल्ली में किया रोड शो, बोलीं- तानाशाही की तरफ जा रहा देश
जब 17 की उम्र में कास्टिंग काउच का शिकार हुई ये हसीना, 7 दिन तक रही थीं घर में कैद! फिर'बुआ' बनकर जीता फैंस का दिल
जब 17 की उम्र में कास्टिंग काउच का शिकार हुई ये हसीना, 7 दिन तक रही घर में कैद!
Will Jacks Century: अहमदाबाद में खून के आंसू रोए गेंदबाज! विल जैक्स के विस्फोटक शतक ने तोड़े कई रिकॉर्ड
अहमदाबाद में खून के आंसू रोए गेंदबाज! विल जैक्स के विस्फोटक शतक ने तोड़े कई रिकॉर्ड
Advertisement
for smartphones
and tablets

वीडियोज

Himanta Biswa Sarma से सुनिए- वो क्यों मुस्लिम समाज की जातीय जनगणना करवाना चाह रहे? | 2024 ElectionPrajwal Revanna Scandal Detailed: जानिए देवगौड़ा के पोते प्रज्वल रेवन्ना का अश्लील वीडियो मामलाअभिनेता साहिल खान को मुंबई STF ने किया गिरफ्तार, 1 मई तक पुलिस की रिमांड में साहिल खानदेखिए Rahul Gandhi के किस बयान को PM Modi ने बना लिया चुनावी हथियार | Loksabha Election 2024

फोटो गैलरी

पर्सनल कार्नर

टॉप आर्टिकल्स
टॉप रील्स
Election Fact Check: क्या अमित शाह ने की एससी-एसटी और ओबीसी आरक्षण खत्म करने की बात? जानें वायरल दावों का सच
क्या अमित शाह ने की एससी-एसटी और ओबीसी आरक्षण खत्म करने की बात? जानें वायरल दावों का सच
सुनीता केजरीवाल ने वेस्ट दिल्ली में किया रोड शो, बोलीं- तानाशाही की तरफ जा रहा देश
सुनीता केजरीवाल ने वेस्ट दिल्ली में किया रोड शो, बोलीं- तानाशाही की तरफ जा रहा देश
जब 17 की उम्र में कास्टिंग काउच का शिकार हुई ये हसीना, 7 दिन तक रही थीं घर में कैद! फिर'बुआ' बनकर जीता फैंस का दिल
जब 17 की उम्र में कास्टिंग काउच का शिकार हुई ये हसीना, 7 दिन तक रही घर में कैद!
Will Jacks Century: अहमदाबाद में खून के आंसू रोए गेंदबाज! विल जैक्स के विस्फोटक शतक ने तोड़े कई रिकॉर्ड
अहमदाबाद में खून के आंसू रोए गेंदबाज! विल जैक्स के विस्फोटक शतक ने तोड़े कई रिकॉर्ड
NEET UG 2024: एडमिट कार्ड रिलीज को लेकर सामने आया ये बड़ा अपडेट, जारी होने के बाद ऐसे करें डाउनलोड
नीट यूजी एडमिट कार्ड रिलीज को लेकर सामने आया ये बड़ा अपडेट, जारी होने के बाद ऐसे करें डाउनलोड
राजनीति में अपराध, मेंडक से सासाराम और रेप से पोक्सो एक्ट के आरोपित तक...
राजनीति में अपराध, मेंडक से सासाराम और रेप से पोक्सो एक्ट के आरोपित तक...
Lok Sabha Election 2024: 'एग्जाम में लिख देते हैं जय श्रीराम तो मिल जाते हैं 50 फीसदी नंबर', असदुद्दीन ओवैसी ने BJP पर तंज
'एग्जाम में लिख देते हैं जय श्रीराम तो मिल जाते हैं 50 फीसदी नंबर', ओवैसी का BJP पर तंज
UP News: पति को छोड़ सास के प्यार में डूबी बहू, समलैंगिक संबंध बनाने का डाल रही दबाव, जानें अजब प्रेम कहानी
पति को छोड़ सास के प्यार में डूबी बहू, संबंध बनाने का डाल रही दबाव
Embed widget