सूडान के दारफुर में जंग की शुरुआत से अब तक 800 लोगों की मौत: यूएन
Darfur Civilians Deaths: संयुक्त राष्ट्र की रिफ्यूजी एजेंसी ने कहा है कि सूडान में जंग की शुरुआत से अब तक दारफुर शहर के 800 लोगों की मौत हो गई. जबकि 8000 लोगों को विस्थापित होना पड़ा है.
Sudan Darfur War: सूडान में दो जनरलों के बीच मतभेद से उपजे जंग के बाद दारफुर शहर में कम से कम 800 लोगों की मौत हुई है. सूडान में सेना और अर्धसैनिक बलों के बीच जंग कई महीनों से चल रही है. संयुक्त राष्ट्र की रिफ्यूजी एजेंसी यूएनएचसीआर ने बताया कि दारफुर में कथित तौर पर 800 से ज्यादा लोग मारे गए हैं और लगभग 8,000 लोग पड़ोसी देश चाड में चले गए हैं. इसके अलावा यूएनएचसीआर ने बताया कि चाड में भी सूडान से विस्थापित लोगों को काफी समस्याओं से गुजरना पड़ रहा है.
पश्चिम दारफुर में सूडानी डॉक्टर यूनियन के प्रमुख सलाह टूर ने समाचार एजेंसी एसोसिएट प्रेस के हवाले से कहा है, "आरएसएफ फोर्सेज की ओर से अरदामाता (दारफुर में कस्बा) में लगातार हमले के बाद उन्होंने सेना की एक चौकी पर कब्जा कर लिया. सेना की बेस वहां से हट गई और लगभग दो दर्जन घायल सैनिक चाड (अफ्रीकी देश) की ओर भाग गए हैं."
टूर ने कहा, "सैन्य अड्डे पर कब्जा करने के बाद आरएसएफ और उनके सहयोगी अरब मिलिशिया ने शहर में तोड़फोड़ की, गैर-अरबों को उनके घरों के अंदर मार डाला और विस्थापित लोगों के आश्रयों को आग लगा दी."
जंग की वजह?
साल 2021 में सूडान की सेना और अर्ध सेना के विलय की चर्चा के बाद विवाद पनप उठा. सेना के लोग अर्ध सैनिक बल के लोगों को खतरा मानते हैं. सूडान में नागरिकों और सेना की संयुक्त सरकार चलती है. ये सरकार सॉवरेन काउंसिल के जरिए चलती हैं, इस काउंसिल में देश के फैसले लिए जाते हैं.
काउंसिल में आर्मी चीफ अब्देल फताह अल-बुरहान नंबर 1 के नेता हैं. जबकि अर्ध-सैनिक बल रैपिड सपोर्ट फोर्स के चीफ मोहम्मद हमदान दगालो नंबर दो पर हैं. इस साल अप्रैल 2023 में सेना की तैनाती को लेकर कुछ नए नियम बनाए गए थे, जिसके बाद एक बार फिर से दोनों सेनाओं में तनाव पैदा हो गया और जंग में बदल गया.
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