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Russia-Ukraine War: युद्ध के एक सालों में तीन हिस्सों में बंट गई दुनिया, जानें भारत किसके साथ

Russia-Ukraine War: रूस-यूक्रेन को युद्ध के एक साल बाद दुनिया तीन धड़ो में बंटती दिख रही है. इस युद्ध में भारत अपनी गुट-निरपेक्ष विदेश नीति पर कायम है. भारत का रुख बातचीत से हल निकालने का है.

Russia-Ukraine War: रूस-यूक्रेन युद्ध को आज एक साल पूरे हो गए. पिछले साल आज के ही दिन (24 फरवरी) से दोनों देशों के बीच भीषण जंग शुरू हुई. दोनों के बीच अभी भी  जंग जारी है. इस जंग का असर अब दुनिया पर देखने को मिलने लगा है. अगर कहा जाए कि दुनिया तीन धड़े में बंट चुकी है तो गलत नहीं होगा. 

जैसा कि युद्ध के शुरुआत में यह कयास लगाया जा रहा था कि रूस जैसी महाशक्ति के आगे यूक्रेनी सेना जल्‍द ही घुटने टेक देगी, लेकिन ऐसा हुआ नहीं. यूक्रेन रूस के सामने तनकर खड़ा रहा. अब तक इस जंग में अमेरिका और नाटो संगठन के देशों से मिली मदद और हथियारों के दम पर यूक्रेन ने रूस को कड़ी टक्‍कर दी है. 

तीन धड़ों में बंट गयी दुनिया 

युद्ध के एक साल बाद दुनिया तीन धड़ों में बंटती दिख रही है. जर्मनी की फेडरल इंटेलिजेंस सर्विस के पूर्व उपाध्यक्ष रुडोल्फ एडम कहना है कि दुनिया तीन समूहों में बंटी रहेगी जो एक-दूसरे को पहले से ज्यादा संदेह करेंगे और कभी कभी खुली दुश्मनी भी दिखाएंगे.

पहला खेमे की बात करें तो इसमें अमेरिका, कनाडा, यूरोपीय संघ, ब्रिटेन, जापान, दक्षिण कोरिया, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड जैसे देश हैं. वहीं दूसरे खेमे में चीन, रूस, बेलारूस, ईरान, सीरिया, वेनेजुएला और उत्तर कोरिया जैसे देश शामिल हैं. इसके साथ ही तीसरे खेमे की बात करें तो इसमें भारत समेत दक्षिण एशिया, अरबी देश, लैटिन अमेरिकी देश हैं. 

पहला खेमा 

यूक्रेन के खिलाफ जंग में रूस का भरोसेमंद साथी चीन है. चीन पहले ही कह चुका है कि नाटो यूक्रेन में मनमानी कर रहा है. इसके साथ ही क्यूबा भी रूस के साथ मजबूती से खड़ा है. क्यूबा और चीन के अलावा आर्मेनिया, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, ताजिकिस्तान और बेलारूस भी रूस के साथ हैं. अमेरिका के विरोध में ईरान और उत्तर कोरिया का सहयोग भी रूस को है. चीन का करीबी होने के नाते पाकिस्तान का भी रूस को समर्थन है. 

दूसरा खेमा 

यूक्रेन के खेमे की बात करें, तो उसे अमेरिका का समर्थन हासिल है. नाटो में शामिल बेल्जियम, कनाडा, डेनमार्क, फ्रांस, आइसलैंड, इटली, लग्जमबर्ग, नीदरलैंड, नॉर्वे, पुर्तगाल और ब्रिटेन जैसे यूरोपीय देश भी यूक्रेन के समर्थन में हैं. ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन तो खुलकर सामने आ चुके हैं. उन्होंने यहां तक कह दिया था कि पुतिन यूरोप पर जंग थोपने की कोशिश कर रहे हैं. जापान, दक्षिण कोरिया, ऑस्ट्रेलिया और कनाडा भी यूक्रेन का समर्थन कर रहे हैं. 

तीसरा खेमा

इसमें भारत समेत दक्षिण एशिया, अरबी देश, लैटिन अमेरिकी देश हैं. भारत की बात करें, तो इसने फिलहाल मौन साध रखा है. उम्मीद है कि आगे भी भारत का यही रुख रहने वाला है. ऐसा इसलिए क्योंकि भारत के संबंध अमेरिका और रूस दोनों से बेहतर हैं. ऐसे में भारत किसी एक गुट का समर्थन करके दूसरे को नाराज करने का जोखिम बिल्कुल नहीं उठाना चाहेगा.  

भारत पर पड़ेगा असर 
एक्सपर्ट की  माने तो तीन धड़ो में बंटी दुनिया में संयुक्त राष्ट्र जैसे संगठन ज्यादा कारगर होते दिखाई नहीं दे रहे ऐसे में इलाकाई संघों को मजबूती मिलेगी. इसके साथ ही सुरक्षा परिषद में सुधार के लिए दबाव भी बढ़ेगा, लेकिन इसमें भारत के लिए सफलता की संभावना ज्यादा दिखाई नहीं दे रही क्योंकि सबसे ज्यादा अड़ंगा लगाने वाला चीन रणनीतिक तौर पर मजबूत होता दिखाई दे रहा है जबकि भारत समर्थक रूस कमजोर पड़ेगा.  

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