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यूनाइटेड नेशंस से पंगा ले दुनिया का बड़ा राज खोल गया इजरायल!

गाजा पट्टी में इजरायल के हमले को लेकर यूएन के महासचिव एंटोनियो गुटेरस ने कहा कि वहां लोगों के पास खाना, पानी और दवाई जैसी बुनियादी चीजें भी नहीं हैं, लिहाजा इजरायल को हमास के साथ जंग रोक देनी चाहिए.

अभी इजरायल जिस दोतरफा जंग में घिरा हुआ है, उसके एक छोर पर है फलस्तीन का आतंकी संगठन हमास तो दूसरे छोर पर है लेबनान का आतंकी संगठन हिजबुल्लाह. इन दोनों ने ही मिलकर इजरायल पर ऐसा हमला किया है, जैसा इजरायल ने अपने इतिहास में भी कभी नहीं झेला है. इस हमले का जवाब देने उतरे इजरायल की मंशा है कि कम से कम हमास तो पूरी तरह खत्म हो ही जाए. इस खात्मे के लिए इजरायल ने गाजा में तबाही मचा रखी है, जिसकी वजह से उसे दुनिया के कुछ देश खरी-खोटी भी सुना रहे हैं. इसी सुनाने की कड़ी में यूनाइटेड नेशंस के महासचिव एंटोनियो गुटेरस ने भी अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानूनों के सम्मान की बात कह दी, जिसको लेकर इजरायल भड़क गया और इसकी वजह से दुनिया का छिपा हुआ एक ऐसा राज खुल गया, जिसकी किसी ने कल्पना भी नहीं की थी

हमास के खात्मे के लिए जरूरी है फलस्तीन के कब्जे वाली गाजा पट्टी पर हमला. अभी इजरायल यही कर भी रहा है और इसकी वजह से पिछले करीब 20 दिन में पांच हजार से भी ज्यादा लोग मारे जा चुके हैं. लिहाजा मसला पहुंच गया है संयुक्त राष्ट्र संघ तक. संयुक्त राष्ट्र संघ के महासचिव हैं एंटोनियो गुटेरस. गाजा पट्टी में इजरायल के हमले को लेकर गुटेरस ने कह दिया कि गाजा की हालत दयनीय है. वहां लोगों के पास खाना, पानी और दवाई जैसी बुनियादी चीजें भी नहीं हैं, लिहाजा इजरायल को हमास के साथ जंग रोक देनी चाहिए.

मांग एंटोनिया गुटेरस का इस्तीफा
अब इजरायल तो हमास के खात्मे पर उतारू है, लिहाजा वो गुटेरस पर भड़क गया. संयुक्त राष्ट्र में इजरायल के राजदूत गिलाद एर्दान ने यूएन चीफ एंटोनियो गुटेरेस के इस बयान पर उनका इस्तीफा मांग लिया और कहा, 'गुटेरस ने बच्चों, महिलाओं और बुजुर्गों की सामूहिक हत्या को लेकर जो समझ दिखाई है, वह संयुक्त राष्ट्र का नेतृत्व करने के लिए उपयुक्त नहीं हैं. मैं उनसे तुरंत इस्तीफा देने की मांग करता हूं. ऐसे लोगों से बात करने का कोई औचित्य नहीं है, जो इजरायलियों और यहूदी लोगों के खिलाफ सबसे भयावह को लेकर संवेदना जताते हैं. मेरे पास शब्द नहीं है.'

हमास और हिजबुल्लाह को आतंकी संगठन नहीं मानता यूएन
कुल मिलाकर इजरायल ने अब संयुक्त राष्ट्र संघ के खिलाफ भी मोर्चा खोल दिया है और इसकी वजह बना है यूएन के महासचिव गुटेरस का बयान, लेकिन असली कहानी ये नहीं है. असली कहानी है संयुक्त राष्ट्र संघ के उस स्टैंड की, जिसमें हमास और हिजबुल्लाह दोनों ही संयुक्त राष्ट्र संघ जैसी संस्था के लिए आतंकवादी संगठन नहीं हैं. दरअसल, इजरायल के लिए तो हमास और हेजबुल्ला दोनों ही आतंकी संगठन रहे ही हैं, लेकिन 8 अक्टूबर, 1997 वो तारीख थी, जब अमेरिका ने भी हमास और हिजबुल्लाह दोनों को ही आतंकी संगठन करार दिया था.

यूरोपियन यूनियन, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, जापान और ब्रिटेन भी हमास को आतंकी ही मानते हैं. वहीं, लेबनान वाले हिजबुल्लाह को तो ये देश आतंकी मानते ही मानते हैं. इनके अलावा, अरब लीग, अर्जेंटिना, बहरीन, कोलंबिया, जर्मनी, होंडुरस, मलेशिया, पराग्वे, सउदी अरब और यूएई भी आतंकी ही मानते हैं, लेकिन पूरी दुनिया में शांति स्थापित करने के उद्देश्य से बना संगठन संयुक्त राष्ट्र संघ इन दोनों ही वैश्विक आतंकी संगठनों को आतंकी संगठन मानता ही नहीं है. अलकायदा और आईएसआईएस जैसे आतंकी संगठन पूरी दुनिया के साथ-साथ संयुक्त राष्ट्र संघ के लिए भी आतंकी संगठन ही हैं.

फलस्तीनियों को मिलने वाला फंड हमास तक कैसे पहुंचता है
इसकी वजह से संयुक्त राष्ट्र संघ के भी पैसे हमास को मिल जाते हैं, जिनसे वो हथियार खरीदकर इजरायल पर हमला कर रहा है. दरअसल, होता ये है कि यूनाइटेड नेशंस की एक संस्था है यूएनआरडब्ल्यूए यानी कि यूनाइटेड नेशंस रिलीफ एंड वर्क्स एजेंसी फॉर पेलेस्टीन रिफ्यूजी इन द नियर ईस्ट. इस संस्था का मकसद फलस्तीनी शरणार्थियों की मदद करना है.

संस्था को पैसे मिलते हैं यूनाइटेड नेशंस के बजट से और इस पैसे से ही ये एजेंसी फलस्तीन में शिक्षा, स्वास्थ्य, राहत और तमाम दूसरे कार्यक्रम करती है. अकेले 2021 में ही इस संस्था को यूनाइडेट नेशंस के सदस्य देशों से करीब 15 मिलियन डॉलर की रकम मिली थी. पैसे देने वालों में अमेरिका, जर्मनी, यूरोपियन यूनियन, स्वीडन, जापान, ब्रिटेन, स्विटजरलैंड, नॉर्वे, फ्रांस और कनाडा जैसे देश शामिल हैं और सबसे ज्यादा पैसे तो अमेरिका ही देता है.

हमास को आतंकी संगठन घोषित करने की मांग
ये सभी देश पैसे इसलिए देते हैं ताकि फलस्तीनी शरणार्थियों की मदद हो सके. हालांकि, ऐसा होता नहीं है. पैसे फलस्तीन की गाजा पट्टी में पहुंचते हैं आम शरणार्थियों के राहत-बचाव के लिए, लेकिन वहां हमास का कब्जा है, जो इन पैसों को अपने हवाले कर लेता है. ऐसा नहीं है कि ये बात अमेरिका या फिर इजरायल को नहीं पता है. उन्हें ये बात बखूबी पता है, तभी तो अमेरिका में राष्ट्रपति पद के चुनाव में रिपब्लिकन पार्टी की उम्मीदवार और संयुक्त राष्ट्र संघ में अमेरिकी राजदूत रहीं निक्की हेली भी बार बार संयुक्त राष्ट्र संघ से अपील करती रहीं हैं कि हमास को आतंकी संगठन की लिस्ट में शामिल किया जाए.

अभी इजरायल ने संयुक्त राष्ट्र संघ से जो पंगा लिया है, उसका असली मकसद यही है कि संयुक्त राष्ट्र भी हमास और हिजबुल्लाह को आतंकी संगठनों की लिस्ट में शामिल करे. अगर ऐसा हो जाता है तो फिर गुटेरस भी इस तरह का बयान नहीं दे पाएंगे.

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