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ईरान में हिजाब, बांग्लादेश में धांधली की आशंका और मंगोलिया में भ्रष्टाचार, दुनिया के इन मुल्क़ों में सरकार के खिलाफ सड़कों पर प्रदर्शनकारी

Protest Against Government: इस वक्त दुनिया के तीन मुल्क़ों में सरकार के खिलाफ बड़ा आंदोलन चल रहा है. बांग्लादेश, मंगोलिया और ईरान में मौजूदा सरकार के खिलाफ लोग सड़कों पर उतरे हैं.

Protest Against Government: अमेरिकी लेखक विलियम फाकनर का मशहूर कथन है- '' ईमानदारी- सच्चाई को साथ लेकर अन्याय, झूठ और लालच के खिलाफ अपनी आवाज उठाने से कभी न डरें. यदि पूरी दुनिया के लोग...ऐसा करेंगे, तो वह पृथ्वी को बदल देंगे...''

हमने पहले भी देखा है कि अलग-अलग मुल्क़ों की सरकार के खिलाफ जनता सड़कों पर उतरी है. बगावत किया है और कई जगहों पर सत्ता बदली है. अरब स्प्रिंग इसका सबसे बड़ा उदाहरण है, जिसमें ट्यूनीशिया में  मोहम्मद बउज़ीज़ी के आत्मदाह के साथ जो विरोध प्रदर्शन शुरू हुआ, उसने मध्य पूर्व के कई देशों में सत्ता बदल दी. 

इस वक्त भी दुनिया के अलग-अलग मुल्क़ों में सरकार के खिलाफ जनता का आक्रोश देखने को मिल रहा है. मंगोलिया में भ्रष्टाचार के खिलाफ सैंकड़ो लोग सड़कों पर उतरे हैं तो वहीं भारत के पड़ोसी देश बांग्लादेश में भी शेख हसीना की सरकार के खिलाफ लोग प्रदर्शन कर रहे हैं और उनसे इस्तीफा मांग कर रहे हैं.  वहीं, शिया बहुल मुल्क़ ईरान में तो महीनों से जबरन हिजाब पहनाने के विवाद पर प्रदर्शन जारी है. आइए एक-एक कर तीनों मुल्कों की स्थिति जानते हैं.

भ्रष्टाचार विरोधी प्रदर्शन कर मंगोलिया सरकार पर दबाव बनाने की कोशिश

14 दिसंबर को मंगोलिया के उलानबटार के सुखबातर स्क्वायर में भ्रष्टाचार विरोधी प्रदर्शनों का लगातार 10वां दिन है. कई बैनरों, नारों के साथ प्रदर्शनकारी मांग कर रहे हैं कि प्रधान मंत्री ओयुन-एर्डीन लवसनमसराय की सरकार "कोयला माफियाओं" का खुलासा करें. यह आंदोलन 1991 के बाद से मंगोलिया के दूसरे सबसे बड़े शांतिपूर्ण विरोध आंदोलनों में से एक है.

5 दिसंबर को शुरू हुए प्रदर्शन -30 डिग्री सेल्सियस तक जमा देने वाले तापमान के बावजूद लगातार जारी है. युवा लगातार प्रधानमंत्री और न्याय मंत्रालय पर अपनी मांगों को लेकर दबाव बना रहे हैं.  जैसे-जैसे विरोध आगे बढ़ता गया, वैसे-वैसे और लोग समर्थन में आए. अब कोयला माफियाओं के नामों का खुलासा करने के अलावा भी कई मुद्दे और शिकायतें विरोध प्रदर्शन का हिस्सा बन गए हैं. इनमें वायु प्रदूषण, उच्च कर, नौकरी के अवसरों की कमी, कोयले की कमी,  भ्रष्टाचार, और असमानता जैसे मुद्दे शामिल हैं.

जन आक्रोश के जवाब में, मंगोलियाई कैबिनेट ने एक बड़ा फैसला लिया है. कैबिनेट ने कोयला उद्योग भ्रष्टाचार के कारण  राज्य के स्वामित्व वाली खनन कंपनी एर्डेन्स तवन टोल्गोई (ईटीटी) द्वारा कार्यान्वित नौ परियोजनाओं को अवर्गीकृत करने के लिए एक आपातकालीन प्रस्ताव पारित किया. 

जहां तक प्रदर्शनकारियों की कोयला माफियाओं के नाम को उजागर करने की मांग है, तो उसपर सरकार के न्याय मंत्रालय का कहना है कि हमारे पास मध्यम और उच्च-स्तरीय 'चोरों' के नाम बताने का कानूनी अधिकार नहीं है. हमारा काम और सिद्धांत मंगोलिया की कानूनी, न्याय प्रणाली को मजबूत करना है.

फेसबुक लाइव पर Zuv.mn के साथ एक साक्षात्कार में, एक युवा महिला पर्दर्शनकारी ने प्रदर्शन को लेकर कहा कि वर्तमान सरकार की कार्रवाई पर्याप्त नहीं होगी. यह मंगोलिया के भ्रष्टाचार का वास्तविक समाधान नहीं है.

प्रदर्शनकारी ने आगे देश की सरकार से पूछा कि वह और उसके साथी अपनी उच्च शिक्षा और विदेशी भाषा कौशल के बावजूद आज के मंगोलिया में रहने के लिए संघर्ष क्यों कर रहे हैं. उसने पूछा, क्या उसे एक बेचैन जीवन जीने के लिए उसकी सरकार द्वारा छोड़ दिया गया है. एक ऐसे देश में जहां अन्य लोग लाखों की चोरी और भ्रष्टाचार कर रहे हैं. मंगोलिया के लोग चाहते हैं कि ओयुन-एर्डीन प्रशासन उस भ्रष्ट प्रणाली को खत्म करे जिसने इन खनन समूहों, विशेष रूप से राज्य के स्वामित्व वाले उद्यमों को संरक्षण दे रखा है. मंगोलिया के लोग राजनीतिक बयानबाजी नहीं सुनना चाहते, वे न्याय मंत्रालय और देश के प्रधानमंत्री से भ्रष्टाचार के खिलाफ स्पष्ट कार्रवाई चाहते हैं.

बांग्लादेश में कैसे हैं हालात

मंगोलिया की तरह ही बांग्लादेश में भी प्रदर्शन जारी है. यहां विपक्षी बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी के नेतृत्व में शेख हसीना की सरकार के खिलाफ प्रदर्शन जारी है. बीएनपी सत्ताधारी अवामी लीग के बजाय एक कार्यवाहक सरकार के तहत नए सिरे से चुनाव कराने के लिए प्रधानमंत्री हसीना के इस्तीफे की मांग कर रही है. पार्टी ने संदेह जताया है कि शेख हसीना प्रशासन चुनाव में धांधली कर सकता है. बांग्लादेश में अगले आम चुनाव 2024 में होने हैं.

इससे पहले बीएनपी की ढाका रैली से पहले पार्टी के आक्रोशित कार्यकर्ताओं के साथ पुलिस की झड़प हो गई, जिसमें एक व्यक्ति की मौत हुई और कई अन्य घायल हो गए. दो दिन बाद बीएनपी के नेताओं को भी गिरफ्तार कर लिया गया. कुल मिलाकर वहां अभी भी हालात बेकाबू हैं. 

ईरान में हिजाब का मुद्दा

ईरान में हिजाब को लेकर बीते कई महीनों से विवाद चल रहा है. इसी विवाद में शामिल होने को लेकर ईरान की सरकार ने एक और प्रदर्शनकारी को फांसी दे दी है. 23 साल के माजिद रेजा रेनवार्ड को गिरफ्तारी के महज 23 दिनों बाद ही फांसी दे दी गई. यह पूरा विवाद शुरू हुआ 22 साल की ईरानी लड़की महसा की मौत से. दरअसल, ईरान की पुलिस ने महसा को इसलिए हिरासत में लिया क्योंकि उसने ठीक तरह से हिजाब नहीं पहना था. महसा की पुलिस कस्टडी में ही रहस्यमय तरीके से मौत हो गई. इसके बाद पूरे ईरान में महिलाओं का गुस्सा फूट पड़ा. सड़कों पर प्रदर्शन शुरू हुए और देखते ही देखते ही है एक बड़े आंदोलन में तब्दील हो गया.

जिसके बाद इस आंदोलन में दुनिया भर की महिलाओं ने सोशल मीडिया के माध्यम से हिस्सा लिया. ईरान की महिलाओं ने सड़कों पर सरेआम अपने हिजाब जलाएं और इस घुटन से आजादी की मांग की. यह आंदोलन अभी भी ईरान में चल रहा है. 

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