योगी अपने ही मंत्रियों पर दिखा रहे हैं सख़्त तेवर, गलत तरीके से हुए तबादलों को कर दिया निरस्त
प्रयागराज में सीएम योगी का कार्यक्रम था और तीन में से दो मंत्री इस कार्यक्रम में नहीं दिखे. अब इसको लेकर सवाल खड़े हो रहे हैं.
प्रयागराजः मौका था प्रदेश में पेड़ लगाने के सरकारी कार्यक्रम का, जिसमें पूरे सूबे के तमाम मंत्री, विधायक और अधिकारी शामिल थे. ख़ुद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ प्रयागराज में वृक्ष महाकुंभ में बतौर मुख्य अतिथि शामिल हुए. तय कार्यक्रम के मुताबिक़ योगी के साथ ज़िले के तमाम बड़े नेताओं को भी साथ रहना था. लेकिन प्रयागराज क्षेत्र से आने वाले 3 बड़े नेताओं में से सिर्फ एक बड़े नेता ही योगी के साथ दिखाई दिए. ये थे उप-मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्या. लेकिन, इस कार्यक्रम में चर्चा थी दो बड़े मंत्रियों के सीएम के साथ ना होने की.
दोनों ऐसे मंत्री जो सीएम के काफ़ी क़रीबी समझे जाते हैं. जी हां, प्रदेश सरकार के स्वास्थ्य मंत्री और योगी सरकार के प्रवक्ता और राज्य के स्टांप एवं पंजीयन मंत्री नंद गोपाल नंदी सीएम के कार्यक्रम में मौजूद नहीं रहे.
अपने ही ज़िले में सीएम के कार्यक्रम में शामिल ना होना इसलिए चर्चा का विषय बना हुआ है क्योंकि दोनों ही मंत्रियों के विभागों में तबादलों पर योगी ने कार्रवाई की है. अब सवाल ये कि क्या योगी अपने दोनों मंत्रियों से नाराज़ हैं और क्या मंत्रिमंडल में होने वाले संभावित बदलाव में योगी की नाराज़गी दोनों मंत्रियों को झेलनी होगी?
क्या है पूरा मामला?
गुरुवार को सीएम योगी आदित्यनाथ ने स्टांप एवं पंजीयन विभाग के सभी तबादलों को निरस्त कर दिया. बताया जा रहा है कि मंत्री नंद गोपाल नंदी के विभाग की कार्यशैली को लेकर सख़्त हुए सीएम योगी ने सब रजिस्ट्रार, निबंधन लिपिक, स्टेनो और चतुर्थ श्रेणी के सभी कर्मचारियों के तबादले निरस्त करने का आदेश दिया है.
आरोप है कि तबादलों में नियमों को ताख पर रखकर तबादले किये गए थे. और इसकी शिकायत किसी और ने नहीं बल्कि विभागीय कर्मचारियों ने ही सीएम से की थी. कुछ ऐसा ही आरोप स्वास्थ्य मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह के विभाग पर भी लगे थे. क़रीब महीने भर पहले सीएम योगी ने सिद्धार्थनाथ सिंह के स्वास्थ्य मंत्रालय में हुए तबादलों को रोक दिया था.
योगी लगातार कर रहे कार्रवाई
सीएम योगी अपने तेवर के लिए जाने जाते हैं. बीते कुछ महीनों में प्रदेश में होने वाली घटनाओं में सीएम तत्काल कार्रवाई कर रहे हैं. 2017 में योगी की सरकार बनने के बाद बाग़ी तेवर दिखाने वाले सुभासपा के अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर को लोकसभा तक योगी ने झेला लेकिन लोकसभा चुनाव के नतीजे आने के तुरंत बाद सीएम ने राजभर से मंत्रालय छीनकर गठबंधन ख़त्म कर दिया.
हाल ही में उन्नाव रेप पीड़िता के एक्सीडेंट के मामले में भी पहले योगी सरकार ने मामले को तत्काल सीबीआई को सौंपा और जब मामला बढ़ता गया तो सीएम के क़रीबी कहे जाने वाले कुलदीप सेंगर पर भी बीजेपी ने कार्रवाई की.
एसपी सांसद आज़म ख़ान पर भी बीते 2 हफ़्तों में ज़मीन हड़पने से लेकर कई अन्य मामले दर्ज कराकर योगी सरकार ने कई संदेश देने की कोशिश की है. अधिकारियों पर भी कार्रवाई करने में बीते दिनों योगी सरकार ने तेज़ी दिखाई है.
ऐसे में अब सवाल उठ रहा है कि क्या अपने मंत्रियों से नाराज़ बताए जा रहे सीएम कहीं संभावित मंत्रिमंडल में उनपर भी कार्रवाई करने के मूड में तो नहीं. आज सिद्धार्थनाथ सिंह और नन्द गोपाल नंदी से दूरी बनाकर योगी ने अपनी सरकार के मंत्रियों और विधायकों को एक कड़ा संदेश ज़रूर दे दिया है.
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