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महिलाओं के खिलाफ अपराधों की जांच के लिए अलग से एजेंसी बनाने पर राज्य नहीं थे तैयार- गृह मंत्रालय
गृह मंत्रायल के प्रवक्ता अशोक प्रसाद ने एबीपी न्यूज़ को बताया है कि राज्य सरकारें महिलाओं के खिलाफ अपराधों की जांच के लिए अलग से जांच ईकाईयां बनाने के लिए तैयार नही थीं इसलिए हमें इस प्रस्ताव को वापस लेना पड़ा
![महिलाओं के खिलाफ अपराधों की जांच के लिए अलग से एजेंसी बनाने पर राज्य नहीं थे तैयार- गृह मंत्रालय States were not ready to establish a separate investigative wing for crime against women महिलाओं के खिलाफ अपराधों की जांच के लिए अलग से एजेंसी बनाने पर राज्य नहीं थे तैयार- गृह मंत्रालय](https://static.abplive.com/wp-content/uploads/sites/2/2017/11/22202917/H1.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=1200&height=675)
दिल्ली: कल एक आरटीआई के जरिए खुलासा हुआ था कि गृह मंत्रायल ने महिलाओं के खिलाफ अपराधों पर जांच ईकाइयां स्थापित करने की प्रस्तावित योजना को वापस ले लिया गया है. निर्भया फंड से प्रस्तावित 324 करोड़ रुपये की इस योजना को अब गृह मंत्रालय ने नही लागू करने का फैसला किया है.
इस पर प्रतिक्रिया देते हुए गृह मंत्रायल के प्रवक्ता अशोक प्रसाद ने एबीपी न्यूज़ को बताया है कि राज्य सरकारें महिलाओं के खिलाफ अपराधों की जांच के लिए अलग से जांच ईकाईयां बनाने के लिए तैयार नही थीं इसलिए हमें इस प्रस्ताव को वापस लेना पड़ा. बता दें कि इन जांच ईकाईयों को राज्य और केन्द्र दोनो के सहयोग से बनाया जाना था जिसमें 50 प्रतिशत राशि केन्द्र सरकार देती और बाकी का 50 प्रतिशत राज्य सरकारें वहन करती. प्रसाद ने इस मामले में आगे कहा, "चूंकि फंड सीमित है, इसलिए राज्य ने कहा कि वे पहले अपनी क्षमता बढ़ाने और तकनीकि रूप से बेहतर होने पर जोर देना चाहते हैं. जहां तक जांच का सवाल है तो फिलहाल वर्तमान पुलिस व्यवस्था के जरिए ही महिलाओं के खिलाफ अपराधों की जांच कराई जाएगी."
मालूम हो कि 5 जनवरी 2015 को गृह मंत्रालय ने प्रत्येक राज्य के 20 प्रतिशत जिलों में महिलाओं के खिलाफ अपराधों पर जांच ईकाइयां (आईयूसीएडब्ल्यू) स्थापित करने का प्रस्ताव किया था. इस योजना के तहत हर एक राज्य के सर्वाधिक अपराध वाले जिले में "महिलाओं के खिलाफ अपराधों पर जांच ईकाइयां(आईयूसीएडब्ल्यू)" बनाने करने की योजना बनाई गई थी. योजना के तहत देश भर में कुल 150 जांच ईकाइयां बनाने का लक्ष्य रखा गया था. इसके लिए हर साल 84 करोड़ रूपये का खर्च होता जिसमें से केन्द्र द्वारा 42 करोड़ रूपये दिया जाता और बाकी 42 करोड़ रुपये कि राशि राज्य सरकारें वहन करती. खास बात ये है कि इन जांच ईकाइयों में भारी मात्रा में महिला पुलिसकर्मियों की तैनाती की जानी थी. कुल 150 जांच ईकाइयों में 2250 पुलिकर्मियों की जरुरत थी जिसमें से 750 महिला पुलिसकर्मियों को रखा जाना था.
बता दें की सत्र 2013-14 से ले कर 2017-18 तक में निर्भया फंड के लिए कुल 3100 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है. लेकिन महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के आंकड़ों के हिसाब से कुल फंड का अभी तक सिर्फ 400 करोड़ रुपये ही खर्च किया गया है. वित्त मंत्रालय और महिला एवं बाल विकास मंत्रालय की निर्भया फंड के लिए योजनाओं का मूल्यांकन और बजट आवंटन की जिम्मेदारी है.
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