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Rajasthan Political Crisis: सीएम पद पर फूट, गहलोत-पायलट में टकराव.. अब हाईकमान के पास बचे हैं ये चार विकल्प
Rajasthan Political Crisis: राजस्थान में सीएम चेहरे को लेकर चल रहे कलह पर हाईकमान क्या कदम उठा सकता है? पढ़ें ये खबर.
Rajasthan Political Crisis: राजस्थान में मुख्यमंत्री पद को लेकर अशोक गहलोत-सचिन पायलट खेमे एक दूसरे के सामने आ खड़े हुए हैं. अशोक गहलोत के समर्थन में खड़े विधायकों ने सचिन पायलट के मुख्यमंत्री बनाने पर एतराज जताया और रविवार विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी को सामूहिक इस्तीफा सौंप दिया. इन विधायकों की संख्या 80 से ज्यादा बतायी जा रही है.
दरअसल, अशोक गहलोत के गुट कहना है कि वो सचिन पायलट को मुख्यमंत्री के तौर पर नहीं देखना चाहते. इसकी वजह भी जाहिर करते हुए उन्होंने कहा कि, 2020 में गहलोत के खिलाफ सचिन पायलट ने बगावत की थी और जिन 102 विधायकों ने सरकार बचाने का काम किया उसी में से सीएम बनाया जाए.
गहलोत गुट ने ये भी कहा, कांग्रेस अध्यक्ष पद चुनाव के नतीजों की घोषणा के बाद राजस्थान का नया सीएम चुना जाए. इन विधायकों ने ये साफ किया कि वो किसी भी स्थिति में सचिन पायलट को मुख्यमंत्री के तौर पर नहीं देखना चहते. वहीं, सचिन पायलट खेमे को भरोसा है कि पार्टी नेतृत्व पायलट को अगला मुख्यमंत्री बनाने के अपने वादे पर खरा उतरेगा.
ऐसे में समझना जरूरी हो जाता है कि, अब आगे क्या हो सकता है? क्या स्थिति पैदा हो सकती है और हाईकमान किन फैसलों पर आ सकता है.
आइये देखते हैं वो चार स्थिति जिस पर पार्टी नेतृत्व आ सकता है...
1- पार्टी के अध्यक्ष चुनाव के लिए कोई और उम्मीदवार
कांग्रेस का केंद्रीय नेतृत्व पार्टी के अध्यक्ष चुनाव के लिए एक अलग उम्मीदवार चुनता है. बीते दिनों जैसे देखा गया था कि अशोक गहलोत अध्यक्ष पद चुनाव के लिए ज्यादा इच्छुक नहीं थे. वो राजस्थान के सीएम के रूप में बने रहना चाहते थे. हालांकि, जब थोड़ा दबाव बना तो उन्होंने अपनी इच्छा जाहिर की लेकिन उन्हें ये साफ कर दिया गया कि वो दोनों पद पर एक साथ नहीं रह सकते.
2- अशोक गहलोत बने रहे राजस्थान के मुख्यमंत्री
कांग्रेस पार्टी अशोक गहलोत को मुख्यमंत्री बनाए रखती है. जयपुर में कांग्रेस नेताओं के अनुसार, ऐसा होने से सरकार की निरंतरता सुनिश्चित करेगा और विधायकों के किसी भी विद्रोह को रोकेगा. राजनीतिक पर्यवेक्षकों का कहना है कि इसका मतलब यह होगा कि गहलोत राजस्थान सरकार चलाते रहेंगे. हालांकि, इससे ये भी साफ होगा कि सांसदों ने कांग्रेस के केंद्रीय नेतृत्व को नीचा दिखाया.
3- सचिन पायलट मुख्यमंत्री बने...
कांग्रेस का नेतृत्व सचिन पायलट को मुख्यमंत्री के रूप में नियुक्त करता है. इस फैसले को स्वीकार करने के लिए अशोक गहलोत मनाता जाता है और ये सुनिष्चित करता है कि वो अपने विधायकों को इस फैसले को स्वीकार करने को कहें. हालांकि, जयपुर में पार्टी नेताओं के अनुसार ऐसा होना आसान नहीं होगा. गहलोत के वफादार विधायक पायलट को सीएम के रूप में स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं हैं. उन्होंने कहा कि उन्होंने 2020 में पार्टी के खिलाफ विद्रोह का नेतृत्व किया था.
4- मुख्यमंत्री के लिए कोई और उम्मीदवार
पार्टी मुख्यमंत्री के रूप में सर्वसम्मति से उम्मीदवार चुनती है जो गहलोत और पायलट दोनों को स्वीकार्य हो. रविवार को जयपुर में पार्टी नेताओं के साथ पार्टी पर्यवेक्षकों की बैठक में ऐसे विधायकों के नामों पर स्पष्ट रूप से चर्चा की गई. ये नाम कांग्रेस आलाकमान को पर्यवेक्षकों की रिपोर्ट का हिस्सा हो सकते हैं.
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