तमाम बंदिशों के बावजूद लोगों ने जमकर फोड़े पटाखे, दिल्ली-मुंबई और कानपुर में वायु प्रदूषण से हाल बेहाल
दिवाली का त्योहार खत्म हो गया है और एक बार फिर से कई शहरों में धुंध की मोटी चादर आसमान में लटक गई है. प्रशासन की रोक के बावजूद लोगों ने पटाखे देर रात तक जलाए हैं. जानिए विभिन्न शहरों में वायु प्रदूषण का हाल.
मुबई: दिवाली का त्योहार खत्म हो गया है और एक बार फिर से प्रदूषण को लेकर देश में चर्चा तेज हो गई है. ऐसे में एबीपी न्यूज़ की टीम ने देश के विभिन्न शहरों में प्रदूषण के स्तर की पड़ताल की. एबीपी न्यूज़ की पड़ताल में अनेक शहरों में दिवाली की रात पटाखे जलाए जाने की वजह से एयर क्वालिटी इंडेक्स में काफी वृद्धि दर्ज की गई है. शहरों में आज सुबह से ही धुंध छाई है और लोगों को सांस लेने में दिक्कतों का सामना करना पड़ा रहा है.
मुंबई में इस साल दीपावली पर प्रदूषण का स्तर संतोष जनक रहा है. सरकारी एप 'सफर' के मुताबिक मुंबई में प्रदूषण का स्तर ठीक रहा है. लोगों ने बताया कि इस बार सभी ने पर्यावरण के लिए सजगता दिखाते हुए दिवाली का त्योहार मनाया है और पटाखे कम जलाए हैं. मुंबई के कोलाबा, बीकेसी और अंधेरी में हवा की क्वालिटी अच्छी रही है.
दिल्ली
दिल्ली में भी लोगों ने खूब पटाखे जलाए हैं. यहां सुप्रीम कोर्ट ने पटाखे छोड़ने के लिए दो घंटे की सीमा तय की थी लेकिन लोगों ने इसके अलावा भी पटाखे छोड़े. इस वजह से दिल्ली की हवा में जहरीला धुंआ और राख भर गया है. चांदनी चौक समेत कई इलाकों में एयर क्वालिटी का स्तर ‘गंभीर’ हो गया है. हालांकि, नगर निगम द्वारा प्रदूषण की रोकथाम के लिए काम किए जा रहे हैं. धूल को उड़ने से बचाने के लिए सड़कों पर पानी डाला जा रहा है.
कानपुर की हवा जहरीली
उत्तर प्रदेश में कानपुर की हवा सबसे ज्यादा जहरीली है.यहां दीपावली के बाद पटाखों से निकला जहरीला धुंआ पर्यावरण में ऐसा घुला की लोगों का सास लेना मुश्किल हो गया है. कानपुर में एयर क्वालटी इंडेक्स के आंकड़े चौंकाने वाले है. यहां मैक्सिमम एयर क्वालटी इंडेक्स 600 के ऊपर निकल गया है. शहर में परेड, गंगा बैराज में एयर क्वालटी 600 रहा तो वहीं, गुरुदेव, आचार्य नगर, टाटमिल, श्याम नगर, हरजेंद्र नगर में ये आंकड़े 300 से ऊपर रहे जो सामान्य से 6 गुना ज्यादा रहा. नॉर्मल एयर क्वालटी इंडेक्स 50 होती है.
प्रदूषण की वजह से यहां बुजुर्गों और मरीजों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. हालांकि, प्रशासन ने वायु प्रदूषण रोकने के लिए काफी प्रयास किये थे और रात में 8 से 10 बजे के बीच ही पटाखे जलाने की इजाजत थी लेकिन इसके बावजूद लोगों ने देर रात तक पटाखे जलाए.
प्रयागराज का हाल
पटाखे जलाने पर प्रशासन की तमाम रोक के बावजूद संगम नगरी प्रयागराज में इस साल भी देर रात तक सड़कों पर जमकर पटाखे फोड़े गए. रात भर पटाखे फोड़े जाने की वजह से यहां की सड़कें और गलियां आज सुबह पटाखों के कचरे से पटी हुई नज़र आईं. इससे यहां की हवा पर भी असर साफ दिख रहा है. शहर में सुबह से ही धुंध छाई हुई है और लोगों को सांस लेने में दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. कुछ लोग आंखों में जलन की शिकायत कर रहे हैं. शहर का एयर क्वालिटी इंडेक्स बढ़कर चार सौ के करीब पहुंच गया है. जानकारों के मुताबिक़ हवा में प्रदूषण का असर अगले तीन से चार दिनों तक रहने की उम्मीद है.
फरीदाबाद के युवाओं का क्या कहना है
फरीदाबाद में एबीपी न्यूज़ की टीम ने क्रिकेट खेल रहे कुछ युवाओं से बात की. इन युवाओं का कहना था कि दिवाली के दौरान जो माहौल बनाया जाता है कि पटाखों की वजह से प्रदूषण होता है वह सही नहीं है. इन्होंने कहा कि दिवाली साल में एक बार आती है और इस दौरान घंटे-दो घंटे के लिए पटाखे जलाए जाते हैं. इससे इतना ज्यादा प्रदूषण नहीं होता है जितना कि बताया जाता है.
यहां दीपू ने नाम के एक युवा ने कहा, "प्रदूषण के कई अन्य कारण- इंडस्ट्री, धूल-मिट्टी आदि हैं जिस पर रोक लगाए जाने की जरूरत है, लेकिन सरकार इस पर कुछ कर नहीं रही है." दीपू ने कहा कि उसने पिछली बार की तरह ही इस बार भी पटाखे जलाए हैं.''
एक अन्य युवक कशिश ने कहा कि इस बार पिछली बार की तुलना में सिर्फ 30 फीसदी पटाखे जलाए गए हैं. कशिश ने कहा, "पटाखे तो जलाए गए हैं लेकिन पहले के मुकाबले इसमें काफी कमी आई है." कशिश प्रदूषण के लिए सिर्फ पटाखों को जिम्मेदार नहीं मानते हैं. वह कहते हैं, "दिवाली तो सिर्फ एक दिन आती है और पॉल्यूशन सिर्फ इसी की वजह से नहीं होता है. प्रदूषण के जो मुख्य कारण हैं उस पर सरकार ध्यान नहीं दे रही है."