Parliament Special Session: केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी बोले- 'जयराम रमेश कर रहे झूठा दावा, विरोधाभासी लोगों की एक लॉबी'
Prahlad Joshi CounterAttack: 18 सितंबर से होने वाले संसद के विशेष सत्र की चर्चा देश में जोर पकड़ चुकी है. इसको लेकर कई तरह के कयास लगाए जा रहे हैं और राजनीति भी हो रही है.
Parliament Special Session: संसद के विशेष सत्र को लेकर कांग्रेस और बीजेपी के नेता लगातार एक दूसरे पर निशाना साध रहे हैं. सोनिया गांधी ने विपक्षी गठबंधन 'इंडिया' की तरफ से 9 मुद्दों का जिक्र करते हुए पीएम मोदी को चिट्ठी लिखी थी.
इसके बाद बीजेपी नेता प्रह्लाद जोशी ने टिप्पणी करते हुए कहा कि सोनिया गांधी और कांग्रेस पार्टी की ओर से विशेष सत्र को लेकर बिना बात का मुद्दा बनाया जा रहा है. सरकार ने संविधान के प्रावधानों के अनुसार सत्र बुलाया है और उचित प्रक्रिया का पालन किया गया है.
प्रह्लाद जोशी के जवाब में जयराम रमेश ने एक्स (पहले ट्विटर) पर लिखा, 'कितना भरमाओगे जोशी? विशेष सत्र/बैठक के हर अवसर पर एजेंडा पहले से ही मालूम होता था. यह केवल मोदी सरकार है जो नियमित रूप से संसद का अपमान करती है और संसदीय परंपराओं को विकृत करती है. पिछली सरकारों के साथ-साथ आपकी सरकार ने भी संविधान दिवस, भारत छोड़ो आंदोलन और ऐसे अन्य अवसरों को मनाने के लिए कई विशेष बैठकें बुलाई हैं.'
इसके साथ ही कांग्रेस नेता ने संसद के विशेष सत्र का दावा करते हुए एक सूची साझा की, जिसमें कई तारीखों के साथ संसद के विशेष सत्र के आयोजन की जानकारी लिखी थी.
'विरोधाभासी लोगों की है एक लॉबी'
केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी ने जयराम रमेश की टिप्पणी का जवाब देते हुए लिखा, 'एक बाधा पैदा करने वाला विरोधाभासी शायद शक करने वाला हो सकता है, लेकिन वह अक्सर सच के पीछे की सुंदरता से चूक जाता है. दूसरा, लोकतंत्र में संसद को बुलाना सबसे बड़ा वरदान है. हालांकि, बाधा पैदा करने वाले विरोधाभासी लोगों की एक लॉबी है जो इसका विरोध करती है.'
प्रह्लाद जोशी ने जयराम रमेश पर निशाना साधा और विशेष सत्र को लेकर उनकी सूची का खंडन किया. उन्होंने लिखा, 'जयराम रमेश के हालिया बयान काफी भ्रामक रहे हैं. वह संवैधानिक प्रावधानों और संसदीय प्रक्रियाओं के बारे में तथ्यों को तोड़-मरोड़ कर पेश कर रहे हैं. वह झूठा दावा कर रहे हैं कि जीएसटी लागू करने के लिए 30 जून, 2017 को सेंट्रल हॉल में हुआ ऐतिहासिक समारोह संसद सत्र था. यह बिल्कुल सच नहीं है. यह संविधान के अनुच्छेद 85 के तहत कोई सत्र नहीं था. जयराम रमेश ने संविधान की 70वीं वर्षगांठ के लिए “26 नवंबर, 2019 को सेंट्रल हॉल में विशेष बैठक” का उल्लेख किया, लेकिन यह संसदीय सत्र नहीं था.'
“A compulsive contrarian maybe a master of doubt, but they often miss the beauty of certainty founded in truth”
— Pralhad Joshi (@JoshiPralhad) September 7, 2023
Second, the summoning of parliament is the greatest boon in a democracy. However, there is a lobby of compulsive contrarians who oppose the same.
1. Jairam Ramesh’s… https://t.co/cmFCcL6Iwo
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