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दिग्गज कांग्रेसी एके एंटनी के बेटे अनिल एंटनी पूरा कर पाएंगे बीजेपी का सपना?

अनिल एंटनी का बीजेपी में शामिल होना कांग्रेस के लिए झटका इसलिए है क्योंकि उनके पिता ए के एंटनी का केरल की राजनीति में बहुत बड़ा कद रहा है.

नगालैंड और मेघालय के ईसाई बहुल राज्यों में बीजेपी के प्रदर्शन को देखते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बीते 2 मार्च को केरल में सत्ता पाने के अपने सपने का जिक्र किया था. इसके चार हफ्ते बाद ही यानी 6 अप्रैल को दिग्गज कांग्रेसी और केरल के पूर्व मुख्यमंत्री एके एंटनी के बेटे अनिल एंटनी बीजेपी में शामिल हो गए. 

अनिल एंटनी के बीजेपी में शामिल होने से एक तरफ जहां कांग्रेस को करारा झटका लगा है. वहीं दूसरी तरफ सीपीआई (एम) अनिल एंटनी के इस फैसले से उत्साहित नजर आ रही है. दरअसल के कांग्रेस के कमजोर होने का सबसे बड़ा फायदा सीपीआई(एम) को ही मिल सकता है क्योंकि वर्तमान में इस राज्य में जो बीजेपी की स्थिति है उसे देखते हुए पार्टी को लगता है कि बीजेपी वामपंथी पार्टी का वोट कभी नहीं काट सकती. 

वहीं दूसरी तरफ अनिल एंटनी का बीजेपी में शामिल होना कांग्रेस के लिए झटका इसलिए है क्योंकि उनके पिता एके एंटनी का केरल की राजनीति में बहुत बड़ा कद रहा है. एके एंटनी की गिनती उन चुनिंदा नेताओं में होती रही है, जिनकी वजह से केरल में पिछले 6 दशक से कांग्रेस का जनाधार कायम रहा है. 

यहां की जनता 70 के दशक से के. करुणाकरण और एके एंटनी पर भरोसा करते आ रही है. ऐसे में सवाल उठता है कि क्या अनिल एंटनी का बीजेपी में शामिल होना 'साउथ मिशन' के लिए फायदेमंद होगा? क्या दिग्गज कांग्रेसी एके एंटनी के बेटे अनिल एंटनी बीजेपी का सपना पूरा कर पाएंगे?

केरल की राजनीति में बीजेपी की स्थिति

केरल की राजनीति बिल्कुल अलग तरीके की रही है. राज्य में वामपंथी गठबंधन और कांग्रेस गठबंधन बारी-बारी से सत्ता में आते-जाते रहे हैं. यहां की राजनीति अभी तक दो ध्रुवीय ही है. एक तो कांग्रेस के साथ बाकी पार्टियां और दूसरा लेफ्ट का गठबंधन है.  इस राज्य में पिछले कई विधानसभा चुनावों से बीजेपी अपनी जमीन तैयार करने की कोशिश में लगी है. बीच में उसे एकाध सीटें भी मिली, लेकिन जिस तरीके से भाजपा ने वहां प्रयास किया है, उस तरह की पैठ अभी उसकी नहीं बन पाई है. राजनीतिक हलकों में तो चर्चा इस बात की भी होती है कि केरल एक ऐसी चट्टान है जहां मोदी लहर भी टकराकर वापस लौट गई.

अनिल एंटनी का बीजेपी में शामिल होना पार्टी के लिए इतना अहम क्यों 

37 साल के अनिल एंटनी केरल के दिग्गज नेता एके एंटनी के सियासी वारिस माने जाते रहे हैं उनका जन्म केरल के तिरुवनंतपुरम में हुआ. राजनीति के अलावा वह एक टेक इंटरप्रेन्योर भी हैं. अनिल ने केरल की राजधानी त्रिवेंद्रम से इंजीनियरिंग की पढ़ाई की है. इसके बाद उन्होंने कैलिफोर्निया की स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी से मास्टर्स किया. 

अनिल की बीजेपी में जाना पार्टी के लिए इसलिए अहम हो जाता है क्योंकि एके एंटनी ईसाई समुदाय के बड़े नेता माने जाते हैं. केरल  में ईसाई समुदाय कांग्रेस का भरोसेमंद वोटर रहा है. अनिल एंटनी भले ही बड़े नेता न रहे हों, लेकिन उनका एके एंटनी का बेटा होना ही ईसाई समुदाय का भरोसा जीतने के लिए काफी है और यहीं अनिल एंटनी का सियासी महत्व बढ़ जाता है. 

क्या बीजेपी का सपना पूरा करने में कामयाब हो पाएंगे अनिल 

दक्षिण भारत में बीजेपी की स्थिति की बात करें तो कर्नाटक को छोड़कर बीजेपी तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु और केरल हर जगह उतनी मजबूत स्थिति में कभी नहीं रही है. इसमें भी केरल वो राज्य है जहां उनका जनाधार बाकी राज्यों की तुलना में सबसे कम है. 

धीरे धीरे ही सही लेकिन तेलंगाना और तमिलनाडु में बीजेपी अपनी उपस्थिति दर्ज कराने में कामयाब हो रही है, लेकिन केरल में अभी तक पार्टी सफल नहीं हो पाई है. यही कारण है कि बीजेपी इस राज्य में अपनी राजनीतिक जमीन तलाशने की कोशिश में जुटी है. ऐसे में एके एंटनी के बेटे को अपनी पार्टी में शामिल करना पार्टी के लिए किसी बड़ी उपलब्धि से कम नहीं है. भारतीय जनता पार्टी दशकों से केरल में ईसाई समुदाय पहुंच बनाने की कोशिश में लगी थी. इसके अलावा उनके पास कोई ऐसा चेहरा भी नहीं था जिसपर भरोसा कर के ईसाई वोटर वोट दे सके. 

ईसाई समुदाय को साधने लगी है बीजेपी

बीजेपी इस राज्य में अब तक एक भी लोकसभा सीट अपने नाम करने में कामयाब नहीं हो पाई है. ऐसे में भारतीय जनता पार्टी यहां के ईसाई समुदाय को अपने पाले में लाने के लिए लगातार कोशिशों में जुटी है. पिछले साल क्रिसमस पर पार्टी ने इस समुदाय के लोगों के घरों में केक बांटा था.

अनिल एंटनी को प्रमुख अल्पसंख्यक चेहरे के रूप में पेश करेगी बीजेपी

केरल में पिछले चुनावों में बीजेपी के प्रदर्शन को देखें तो उन्हें इस बात अहसास तो है कि पार्टी सिर्फ उच्च जातियों से मिल रहे समर्थन से सीटें नहीं जीत पाएगी. अगर केरल में आने वाले विधानसभा चुनाव में सत्ता पाना है तो उन्हें अल्पसंख्यकों, एससी/एसटी और ओबीसी का समर्थन हासिल करना ही होगा. ऐसे में पार्टी अनिल एंटनी को प्रमुख अल्पसंख्यक चेहरे के रूप में पेश करेगी. 

इसके अलावा बीजेपी एंटनी परिवार से केरल के लोगों के जुड़ाव का फायदा उठाना चाहती है. माना जा रहा है कि भविष्य पार्टी अनिल एंटनी को चेहरा बना सकती है. अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव यानी 2024 के लोकसभा चुनाव में अनिल एंटनी को बीजेपी चुनाव भी लड़वा सकती है. उसके साथ ही केरल में 2026 में अगला विधानसभा चुनाव होना है. उस नजरिए से भी अनिल एंटनी बीजेपी के लिए फायदेमंद साबित हो सकते हैं.

बढ़ रहा है बीजेपी का वोट शेयर 

6 अप्रैल 1980, ये वो दिन था जब बीजेपी अस्तित्व में आई थी. उसके बाद से अब तक केरल एकमात्र ऐसा राज्य है, जहां इस पार्टी ने अब तक अपनी राजनीतिक पकड़ बनाना नहीं बनाई है. इस राज्य में साल 1989 से भारतीय जनता पार्टी लोकसभा चुनाव में हाथ-पांव मार रही है, लेकिन आज तक सफलता हासिल नहीं कर पाई है. साल 2016 में हुए विधानसभा चुनाव में बीजेपी किसी तरह से एक सीट जीतने में कामयाब हो पाई थी.

इस राज्य में बीजेपी अपना जनाधार बढ़ाने के लिए लगातार कोशिश कर रही है. राज्य में 50 फीसदी से ज्यादा अल्पसंख्यक (क्रिश्चयन और मुस्लिम) हैं. यहां आरएसएस का कैडर भी काफी मजबूत है जो वामदलों का वैचारिक प्रतिद्वंदी है. 

भारतीय जनता पार्टी की लगातार कोशिश के कारण वोट शेयर जरूर बढ़ता जा रहा है. साल 2011 के विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी को 6.03 प्रतिशत वोट मिला था. साल 2014 के लोकसभा चुनाव में यही पार्टी 10.85 फीसदी वोट पाने में कामयाब हुई. साल 2016 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी-एनडीए को 14.96 फीसदी और 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी-एनडी को 15.2 फीसदी वोट मिले हैं. इतना ही नहीं पिछले साल यानी साल 2020 में हुए पंचायत चुनावों में भारतीय जनता पार्टी को करीब 17 प्रतिशत वोट मिले. 

अनिल एंटनी ने क्यों छोड़ी कांग्रेस 

अनिल एंटनी का कांग्रेस के साथ मनमुटाव जनवरी 2023 की शुरुआत से ही शुरू हो गया था. उस वक्त उन्होंने गुजरात दंगों पर डॉक्यूमेंट्री को लेकर बीबीसी की आलोचना की थी जिससे केरल की राजनीति में भूचाल आ गया था. उन्होंने कहा था, ब्रिटिश ब्रॉडकास्टर के विचारों को भारतीय संस्थानों के ऊपर रखना देश की संप्रभुता को कमजोर करेगा. 

एंटनी के इस कदम को केरल कांग्रेस के नेता नाराज थे और उन पर जमकर निशाना भी साधा था. इसके बाद अनिल एंटनी ने केपीसीसी डिजिटल मीडिया और एआईसीसी सोशल मीडिया और डिजिटल कम्युनिकेशंस सेल में अपने पदों से इस्तीफा दे दिया था. 

बेटे के फैसले पर एके एंटनी ने क्या कहा 

अनिल एंटनी के बीजेपी में शामिल होने के फैसले पर उनके पिता और कांग्रेस के दिग्गज नेता एके एंटनी ने कहा कि बेटे के इस फैसले ने उन्हें दुख पहुंचाया है. उन्होंने कहा, 'भारत का आधार एकता और धार्मिक सद्भाव है. साल 2014 से देश को अस्थिर करने के प्रयास हो रहे हैं. जहां तक मेरा सवाल है, मैं 82 साल का हूं और अपने जीवन के अंतिम पड़ाव पर हूँ और मैं बता दूं कि मैं आखिरी सांस तक कांग्रेस के साथ रहूंगा.'

अनिल एंटनी के बीजेपी में शामिल होने पर छोटे भाई ने क्या कहा 

अनिल एंटनी के छोटे भाई और एके एंटनी के बेटे अजीत एंटनी ने मीडिया से बातचीत में कहा कि बीजेपी में शामिल होने के लिए अनिल एंटनी के अपने कारण हो सकते हैं. शायद उन्हें लगा हो कि बीजेपी में शामिल होना उनके राजनीतिक भविष्य के लिए सही होगा. मैं यही कहूंगा कि बीजेपी उन्हें दूध में पड़ी मक्खी की तरह निकाल फेंकेगी.

 

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