Jammu Kashmir: क्या जम्मू कश्मीर में मसरत आलम भट को नियुक्त किया गया है हुर्रियत कॉन्फ्रेंस का अध्यक्ष?
Jammu Kashmir: पाकिस्तान रेडियो के सरकारी ट्विटर हैंडल से इस बात का दावा करते हुए ट्वीट किया गया है कि मसरत आलम भट को सर्वदलीय हुर्रियत कॉन्फ्रेंस का अध्यक्ष नियुक्त किया गया है.
Jammu Kashmir: क्या जम्मू कश्मीर में मसरत आलम भट को सर्वदलीय हुर्रियत कॉन्फ्रेंस का अध्यक्ष नियुक्त किया गया है? पाकिस्तान रेडियो के सरकारी ट्विटर हैंडल से इस बात का दावा करते हुए ट्वीट किया गया है कि सैयद अली शाह गिलानी कि मृत्यु के बाद यह नियुक्ति हुई है जबकि गिलानी कई सालों से हुर्रियत से अलग चल रहे थे. हुर्रियत के आखिरी अध्यक्ष अशरफ सहराई थे, जिनकी कोरोना के कारण जम्मू जेल में मई में मौत हो गई थी.
ट्वीट में जम्मू कश्मीर में सक्रिय अलगावादी संगठन ऑल पार्टी हुर्रियत कॉन्फ्रेंस (पीएचसी) का हवाला देते हुए दावा किया गया है कि मंगलवार को जारी एक बयान में श्रीनगर में हुई बैठक में सर्वदलीय हुर्रियत कॉन्फ्रेंस ने यह घोषणा की है.
#MasaratAlamButt appointed new chairman of #APHChttps://t.co/ZDjUmeheFP
— Radio Pakistan (@RadioPakistan) September 7, 2021
बयान में कहा गया है कि ऑल पार्टीज हुर्रियत कॉन्फ्रेंस ने घोषणा की कि शब्बीर अहमद शाह और गुलाम अहमद गुलजार उपाध्यक्ष होंगे, जबकि मौलवी बशीर अहमद इरफानी अमलगम के महासचिव के रूप में काम करना जारी रखेंगे. 50 वर्षीय मसरत आलम भट एक कश्मीरी नेता और जम्मू कश्मीर मुस्लिम लीग के अध्यक्ष हैं. बयान के अनुसार उन्हें सर्वदलीय हुर्रियत कॉन्फ्रेंस का अध्यक्ष घोषित करने की आज की घोषणा से पहले भट एपीएचसी के महासचिव के रूप में कार्यरत थे.
हालांकि खुफिया एजेंसियों के अनुसार श्रीनगर में हुर्रियत की किसी भी बैठक के होने या ऐसे किसी बयान के जारी होने की सूचना नहीं है. हुर्रियत के सभी नेता या तो जेल में है या फिर अलगाववादी राजनीति से अलग हो चुके है लेकिन अगर इस में सचाई है तो यह एक चिंता की भी बात है. मसरत एक कट्टरवादी नेता है और 2010 के कश्मीर विद्रोह में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी, जो कश्मीर में भारतीय सेना के जरिए किए गए माछिल मुठभेड़ के खिलाफ छिड़ गया था.
मसरत आलम को बाद में कई बार सरकार ने हिरासत में लिया है. उन पर 27 आपराधिक मामले दर्ज थे, लेकिन इनमें से अधिकांश में उन्हें या तो बरी कर दिया गया या अदालतों के जरिए जमानत दे दी गई और 1 मार्च 2015 को मुफ्ती मोहम्मद सईद के जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री के रूप में पदभार संभालने के बाद उन्हें रिहा कर दिया गया.
उन्हें सार्वजनिक सुरक्षा अधिनियम के तहत हिरासत में लिया गया था और मार्च 2015 में रिहा कर दिया गया था, जिससे एक बड़ा राजनीतिक विवाद हुआ. भारतीय संसद में मामला उठाने के बाद मसरत आलम को अप्रैल 2015 में हिरासत में लिया गया, जिसके बाद से वह जेल में है. 1971 में जन्मा मसरत अभी तक अपने जीवन के 17 साल जेल में गुजार चुका है. उसके खिलाफ करीब 27 मामले दर्ज हैं.
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