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जानिए 79 साल की बीमार अभिनेत्री सविता बजाज के अकेलेपन की दर्द भरी दास्तां

हिंदी सिनेमा‌ में तरह-तरह के रोल‌ निभाती आ रहीं अभिनेत्री सविता बजाज कोरोना से ठीक होकर घर तो लौट चुकी हैं लेकिन उन्होंने इस दौर में किसी रिश्तेदार से मदद ना मिलने पर दुख जताया है.

मुम्बई: हिंदी सिनेमा‌ में 70 के‌ दशक से तरह-तरह के रोल‌ निभाती आ रहीं अभिनेत्री सविता बजाज की उम्र 79 साल है. कुछ महीने पहले कोरोना संक्रमण से जूझते हुए मुम्बई के एक अस्पताल में दाखिल होने के बाद आज सविता बजाज कोरोना उपरांत होने वाली जटिलताओं से जूझने को मजबूर हैं.

ऐसे में कोरोना नेगेटिव होने के बावजूद भी सविता को और दो बार अस्पताल में भर्ती होना पड़ा. इलाज के दौरान उनकी बची-कुची सेविंग्स भी खत्म हो गईं. मगर इलाज को रोका नहीं जा सकता था. यही वजह है कि अस्पताल के भारी-भरकम बिलों को चुकाने के लिए सविता बजाज को बॉलीवुड से जुड़े लोगों से मदद को मजबूर होना पड़ा.

अस्पताल में इलाज के बाद सिने ऐंड टेलिविज़न आर्टिस्ट्स एसोसिएशन (सिंटा) की सदस्य और फिल्म व टीवी अभिनेत्री नूपुर अलंकार उनकी बेहतर देखभाल करने के लिए उन्हें अपनी बहन जिज्ञासा के कांदिवली स्थित घर में ले आईं. यहां पर आने के बाद से ही सविता बजाज बेहद खुश हैं और अब नुपूर और जिज्ञासा को ही अपना परिवार मानती हैं.

पत्रिकाओं और क‌ई अखबारों में भी स्तंभकार के तौर पर कॉलम लिखा करती थीं सविता 

'आनंद', 'नदिया के पार', 'चक्र' निशांत', 'रॉकी', 'आहिस्ता आहिस्ता', 'उसकी रोटी', जैसी तमाम फिल्मों में चरित्र भूमिकाएं निभा चुकीं सविता बजाज अपनी जिंदगी का अधिकांश हिस्सा अकेलेपन‌ में गुजरा. जिसका दर्द उनकी बातों में साफ झलकता भी है. एबीपी न्यूज़ ने जब‌ सविता बजाज से निजी तौर पर मुलाकात की तो उन्होंने अपनी जिंदगी के सुनहरे सफर और बाद में पैदा हुए संघर्ष के हालात के बारे में एबीपी न्यूज़ को विस्तार से बताया.

अभिनेत्री नुपूर अलंकार की ओर से मिल रही मदद और उनकी बहन जिज्ञासा‌ के घर में मिले आश्रय से बेहद खुश सविता बजाज सिर्फ फिल्मों, टीवी और नाटकों में अभिनय करने के लिए नहीं जाती हैं,‌ बल्कि एक जमाने वो रेडियो के लिए डबिंग आर्टिस्ट होने के साथ-साथ 'धर्मयुग', 'माधुरी' जैसी प्रतिष्ठित पत्रिकाओं और क‌ई अखबारों में भी स्तंभकार के तौर पर कॉलम लिखा करती थीं.

विभिन्न माध्यमों से अपनी कमाई‌ के दौर में किसी की भी आर्थिक मदद करने से पीछे नहीं हटने वाली सविता बजाज आज पाई-पाई को मोहताज हैं. मगर उन्हें अपनी मौजूदा माली हालत से ज्यादा अपनों के किसी‌ काम नहीं आने और उन्हें भुला देने का गम है.

इस दौर में किसी रिश्तेदार से नहीं मिली मदद- सविता 

एबीपी न्यूज़ से खास बातचीत के दौरान सविता बजाज अपने‌ पारिवारिक जिंदगी के बारे में ज्यादा कुछ नहीं बताने‌ की दलील देते हुए कहती हैं, "मेरे रिश्तेदारों की बात ना की जाए तो बेहतर है. मगर थोड़ा सोचने के बाद वो बड़ी तल्खी से कहती हैं, "अपनों के पास जब ज्यादा पैसे आते हैं तो वो आलिशान घर खरीदते हैं, बड़ी-बड़ी गाड़ियां खरीदते हैं, जरूरतंद रिश्तेदार की मदद कोई नहीं करता. उनकी बात ना की जाए तो अच्छा है. मौके पर वे किसी जरूरतंद के‌ किसी काम नहीं आते हैं."

सविता बजाज के मुताबिक, उनके अमीर रिश्तेदारों की कोई कमी नहीं है. कई करीबी रिश्तेदारों देश से लेकर विदेशों तक में अच्छा पैसा कमा रहे हैं, मगर मुसीबत के वक्त में सविता की मदद‌ करने के लिए कोई भी हाजिर नहीं हुआ. ऐसे में एक अर्से‌ से वे अकेले ही मुम्बई ‌में किराये के‌ घर में अपनी जिंदगी गुजारती रहीं. इस सबके बावजूद सविता बजाज अपने किसी भी रिश्तेदार का नाम लेकर उन्हें बदनाम करने के बारे में नहीं सोचती हैं. यही वजह है कि ना तो उन्होंने अपने किसी रिश्तेदार का नाम‌ बताया और ना ही वो अपनी शादी होने ना होने के बारे में कुछ कहती हैं.

कुछ सीक्रेट्स नहीं बताये जा सकते- सवीता

नैशनल स्कूल ऑफ ड्रामा‌ की‌ पास आउट सविता बजाज स्कूली दिनों से ही नाटकों में सक्रिय रहीं और वो एक बेहद पढ़ाकू किस्म की छात्रा थीं. सविता को अपने अध्ययन के दिनों में ही एक लड़के‌ से प्यार हो गया था. इश्क दोतरफा था मगर दोनों के परिवारों को ये रिश्ता मंजूर ना था. मसला न सिर्फ लड़के‌ के दूसरे जाति से होने से जुड़ा था, बल्कि उसकी खराब माली हालत भी सविता के परिवार के लिए एक बड़ा मुद्दा था. सविता कहती हैं, "वो मेरा पहला और सच्चा प्यार था." चेहरे पर शिकन लाकर आगे वो‌ कहती हैं‌, "मां-बाप ने उसी लड़के‌ से शादी करा दी होती तो बहुत अच्छा होता." तो फिर क्या इसके बाद कभी उन्होंने शादी नहीं की? इस पर थोड़ा चिढ़कर सविता बजाज कहती हैं, "हर एक‌‌ की ज़िंदगी में क‌ई सीक्रेट्स होते हैं... हर बात तो बताई नहीं जा सकती है ना."

उल्लेखनीय है कि अस्पताल में भर्ती होकर‌ इलाज करा रहीं सविता बजाज की‌ माली हालत के बारे में आयुष्मान खुराना, जैकी श्रॉफ, 'नदिया के पार' में उनके को-स्टार रहे सचिन पिलगांवकर को जब पता चला तो‌ उन्होंने आर्थिक तौर पर उनकी मदद कर उनके अस्पताल के बिल चुकाए. सोनू सूद‌ ने ऑक्सीजन कंसेन्ट्रेटर भेजकर उनकी मदद की. नुपूर अलंकार बताती हैं, "इन‌ सितारों के अलावा कई चैरिटेबल ट्रस्ट ने‌ भी अलग-अलग तरह से मदद का हाथ बढ़ाया. इसके अलावा पिछले 6 सालों से सिंटा और राइटर्स एसोसिएशन भी उन्हें मासिक रूप से एक निश्चित रकम मदद के रूप‌ में दे‌ती आ रही हैं."

हादसे के चलते अस्पताल में भर्ती होने के बाद सारे पैसे खत्म हो गए- सविता

हाल ही में सचिन पिलगांवकर ने एक इंटरव्यू के दौरान कहा था कि लोगों को भविष्य की मुसीबतों से बचने के लिए बचत करनी चाहिए ताकि बुरे‌ वक्त में वो पैसे काम आ सके. इस पर सविता कहतीं हैं, "उन्होंने मेरी आर्थिक मदद की, जिसकी मुझे बेहद खुशी है. मगर सचिन को ऐसा नहीं कहना चाहिए था. मेरी भी तो कोई मजबूरी रही होगी,‌ तभी तो मुझे लोगों की मदद‌ लेनी पड़ रही है ना... ऐसा नहीं है कि पहले मेरे पास सेविंग्स नहीं थीं... कुछ साल पहले हुए हादसे और फिर कई बार अस्पताल में भर्ती होकर इलाज कराने के चलते सारे पैसे खत्म हो गए... और आप ही बताइए, एक चरित्र अभिनेत्री को काम के कितने पैसे मिलते हैं?"

सविता बजाज कहती हैं,‌ "मैंने हमेशा से खुद ही पैसे कमाकर अपना जीवन चलाया है. जिंदगी भर दूसरों से मदद लेने‌ में गुरेज करती रही. मगर मेरे हालात ही कुछ ऐसे बन गए थे कि मुझे इंडस्ट्री के लोगों से मदद लेनी पड़ी. मैं सभी कॊ बहुत शुक्रगुजार हूं... सभी बहुत अच्छे लोग हैं. अब मुझे नुपूर का प्यार और रहने के‌ लिए जिज्ञासा का घर मिल गया है तो मैं बहुत खुश हूं और यही मेरा नया परिवार भी है."

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