एक्सप्लोरर

मणिपुर में दो महीने से जारी हिंसा से सूबे की अर्थव्यवस्था कैसे तबाह हुई?

उत्तर-पूर्व भारत में मैतेई और कुकी समुदायों के बीच हिंसा जारी है. इस हिंसा की वजह से राज्य को बड़ा आर्थिक नुकसान हुआ है. जिसकी भरपाई करने में एक लंबा वक्त लग सकता है.

मणिपुर में इसी साल मई की शुरुआत में जातीय संघर्ष शुरू हुआ और अभी तक जारी है. जातीय संघर्ष बहुसंख्यक मैतेई समुदाय और अल्पसंख्यक कुकी जनजाति के बीच हो रहा है. भारत के उत्तर-पूर्वी राज्यों में जातीय प्रतिद्वंद्विता का इतिहास 1947 में देश की आजादी से पहले का है. मणिपुर में मैतेई और कुकी समुदाय के बीच पहले भी कई बार हिंसा भड़क चुकी है. 

हाल ही में दोनों समुदायों के बीच तनाव फिर से बढ़ गया. सरकार पर कुकी के खिलाफ भेदभाव करने वाली नीतियों का पालन करने का आरोप लगाया गया था. जिसमें जबरन बेदखली शामिल थी. ये आरोप लगा कि सरकार की नई नीति कुकी समुदाय की भूमि की सुरक्षा को खतरे में डालती है. ये भी आरोप लगाए गए कि सरकार की नई नीतियां कुकी समुदाय को अवैध आप्रवासियों में शामिल करती हैं. 

हिंसा मार्च में एक अदालत के फैसले के बाद भड़की थी. इस फैसले में बहुसंख्यक मैतेई को "अनुसूचित आदिवासी का दर्जा" दिया गया था, जिससे उन्हें अल्पसंख्यक कुकी के समान आर्थिक लाभ और सरकारी नौकरियों और शिक्षा में कोटा मिल गया था. इसने मैतेई को पहाड़ियों में जमीन खरीदने की भी अनुमति दी, जहां कुकी मुख्य रूप से रहते हैं, जिससे डर बढ़ गया कि उनकी जमीन, नौकरियां और अवसर छीन लिए जाएंगे. मणिपुर में जारी हिंसा में अबतक 130 लोगों की जान जा चुकी है. कम से कम 400 लोग घायल हैं. 

मणिपुर कहां है

पूर्वोत्तर भारत में स्थित मणिपुर को "रत्नों की भूमि" के रूप में जाना जाता है. मणिपुर की आबादी में कई जातीय समुदाय शामिल हैं. प्रमुख जातीय समूहों में मैतेई, नागा, कुकी और पंगल शामिल हैं.

मैतेई मणिपुर का सबसे बड़ा जातीय समूह है जो मुख्य रूप से उपजाऊ घाटियों में रहते हैं. नागा और कुकी पहाड़ी क्षेत्रों में रहते हैं. इन तीनों ही समुदाय के लोग अलग-अलग भाषा भी बोलते हैं. जैसे मैतेई लोग मीतेइलोन (मणिपुरी) बोलते हैं. दूसरी भाषा में तांगखुल, थाडौ शामिल है.

बता दें कि राज्य की जनसांख्यिकी में हिंदू धर्म, ईसाई धर्म, इस्लाम के सहित अलग-अलग धर्मों के मानने वाले लोग शामिल हैं. 

मणिपुर के लोगों की दिक्कतें

मणिपुर में विवाद का इतिहास पुराना है. मणिपुर ने लंबे समय तक विद्रोह और उग्रवाद का सामना किया है. इससे हिंसा की  छिटपुट घटनाएं सामने आती रही हैं और राज्य की शांति और स्थिरता प्रभावित करती रही हैं.

मणिपुर के पहाड़ी और घाटी क्षेत्रों के बीच विकास के मामले में भी असमानता है. पहाड़ी क्षेत्रों में पर्याप्त बुनियादी ढांचे, बुनियादी सुविधाओं और आर्थिक अवसरों की कमी रही है, जिससे वहां रहने वाले समुदायों हाशिए के बीच जिंदगी गुजारते हैं. 

बेरोजगारी : मणिपुर में बेरोजगारी और अल्प रोजगार का मुद्दा भी रहा है.  राज्य में संसाधनों की कमी है. जिससे वहां के लोगों को नौकरी या काम के लिए हमेशा से दिक्कतों का सामना करना पड़ा है. 

मणिपुर वनों की कटाई, निवास स्थान के नुकसान और प्रदूषण जैसी पर्यावरणीय चुनौतियों का सामना करता है. 

नशीली दवाओं के दुरुपयोग और तस्करी: मणिपुर में नशीली दवाओं के दुरुपयोग और तस्करी में बड़े पैमाने पर बढ़ोत्तरी देखी गई है. इस मुद्दे को हल करने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए हैं. इसकी सबसे बड़ी वजह जागरूकता अभियान और सख्त कानून की कमी है.

बुनियादी ढांचे की कमी: मणिपुर में बुनियादी ढांचे  में भी सुधार की जरूरत है. दूरदराज के इलाकों में  बेहतर सड़क संपर्क, बिजली आपूर्ति, और  स्वास्थ्य देखभाल और शिक्षा सुविधाओं तक पहुंच पूरी आबादी तक नहीं है.

जातीय तनाव:  मणिपुर में विभिन्न जातीय समुदायों रहती है. कई बार विभिन्न समूहों के बीच तनाव पैदा होता है. इतिहास इस बात का गवाह है कि राज्य में पलायन और आक्रमण ने इसे तनाव के अंधेरे में ढकेला है. 

ग्रिक सीटी टाइम्स में छपी एक खबर के मुताबिक अंग्रेजों ने मणिपुर की धरती पर पैर रखा, तो वो अपने साथ प्रशासनिक सुधारों की एक लहर लेकर आए. सुधारों के नाम पर उन्होंने सीमाओं को फिर से तैयार किया. यहीं से  मणिपुर के विविध लोगों के बीच विभाजन के बीज बोने की शुरुआत हुई. 

भारत की आजादी के साथ मणिपुर में अशांति का नया अध्याय शुरू हुआ. जातीय तनाव बढ़ने लगा क्योंकि विभिन्न समुदाय अपने हितों की रक्षा करने और अपनी अनूठी पहचान पर जोर देने के लिए उत्सुक थे. इसी वजह से अलग प्रशासनिक इकाइयों या स्वायत्त क्षेत्रों की मांग एक नारा बन गई. वहां के लोग इसे गर्व का प्रतीक मानते थे लेकिन यही आगे चल कर विवाद की सबसे बड़ी वजह बनी.

अलग-अलग समुदायों की आकांक्षाओं में आपसी टकराव बढ़ता गया और शिकायतें बढ़ती गईं. शुरुआत मैतेई-नागा संघर्ष से हुई. घाटी क्षेत्र में रहने वाले मैतेई को घाटी क्षेत्र में रहने वाले नागा खतरे के तौर पर देखने लगे. इसने हिंसक झड़पों और स्थायी विद्रोह को बढ़ावा दिया है. विद्रोह की वजह से समुदायों को विस्थापन भी हुआ.  

विद्रोह कुकी समुदाय से भी हुआ, इस समुदाय को पहाड़ियों और घाटी में रहने वाला एक 'स्वदेशी समूह' माना जाता है. कुकी समुदाय ने राज्य में मान्यता और स्वायत्तता के लिए बहादुरी से लड़ाई लड़ी है और विवादास्पद भूमि विवादों को लेकर अक्सर नगा समुदाय के साथ उनके मतभेद होते रहते हैं. इस लंबे संघर्ष की वजह से हिंसा, जबरन विस्थापन और गहरी नफरत पैदा हुई. 

मणिपुर में एक और अल्पसंख्यक पंगल हैं. इस समुदाय को हाशिए और भेदभाव का सामना करना पड़ा है. सांस्कृतिक मतभेदों की वजह से पंगल और अन्य समुदायों के बीच तनाव भड़कता रहा है नतीजतन छिटपुट झड़पें भी होती रही हैं. 

भारत सरकार ने मणिपुर में जातीय संघर्षों से निपटने के लिए कदम उठाए हैं. सुरक्षा बलों को तैनात किया गया है, और सशस्त्र बल विशेष शक्तियां अधिनियम (AFSPA) जैसे कानूनों को लागू किया गया है. सरकार की कोशिशों से विभिन्न समूहों के साथ संगठन से बातचीत शुरू की गई है.  इन सब में नागरिक समाज संगठनों, स्थानीय नेताओं और शांति कार्यकर्ताओं ने समुदायों के बीच अंतर को पाटने में अहम भूमिका निभाई है. लेकिन मौजूदा जारी हिंसा कई सवालों को पैदा कर रही है. 

मणिपुर दंगा 2023

मणिपुर में जारी हिंसा इंफाल घाटी में रहने वाले मैतेई और कुकी के बीच हो रहा है.  ये विवाद लंबे समय से चला आ रहा है.

भारतीय संविधान का हवाला देकर मैतेई जाति अनुसूचित जनजाति के दर्जे की वकालत कर रहे थे. इनका मकसद आदिवासी समुदायों के बराबर विशेषाधिकार हासिल करना है. हालांकि, आदिवासी समुदायों ने शुरू से इस मांग का विरोध किया, कूकी भी इस मांग को खारिज करते आए हैं.  उनका ये तर्क  है कि अगर मैतेई को अनुसूचित जनजाति का दर्जा मिलता है तो उन्हें अनुचित रूप से नुकसान पहुंचाएगा.

3 मई 2023 को चुराचांदपुर में एक शांतिपूर्ण आदिवासी एकता रैली के बाद हिंसा भड़क उठी, जिसके बाद कुकी और जो जाति की भीड़ ने मैतेई समुदाय और उनकी संपत्तियों को निशाना बनाया. अशांति तेजी से राज्य के अन्य हिस्सों में फैल गई, जिससे व्यवस्था बहाल करने के लिए भारत सरकार के सैनिकों की तैनाती हुई.

कई इलाकों में कर्फ्यू लगा दिया गया है और इंटरनेट संपर्क बंद कर दिया गया है. ये दंगे मणिपुर में गहरे जातीय तनाव को उजागर करते हैं. मौजूदा हालात को देखते हुए ये नहीं कहा जा सकता है कि राज्य में स्थिरता कब बहाल होगी.

बता दें कि जारी हिंसा के परिणामस्वरूप 30,000 से ज्यादा लोग विस्थापित हुए हैं, 1,700 से ज्यादा इमारतों (धार्मिक सहित) को जला दिया गया है, और 100 से ज्यादा लोगों की मौत का अनुमान है. भारतीय सेना और अर्धसैनिक बल क्षेत्र में शांति और सुरक्षा बहाल करने के अपने प्रयास जारी रखे हुए हैं.

मणिपुर दंगा 2023 की वजह 

मैतेई समुदायों का अनुसूचित जनजाति के दर्जे की मांग इस विवाद की बड़ी वजह है. मणिपुर में बहुसंख्यक जातीय समूह वाले मैतेई लोग लंबे समय से अनुसूचित जनजाति के दर्जे को मान्यता देने की वकालत कर रहे हैं. बता दें कि यहां पर आदिवासी समुदाय सरकारी रोजगार और शैक्षणिक संस्थानों में आरक्षण सहित कई तरह के फायदे उठाते आए हैं, ये फायदा मैतेई लोगों को नहीं मिलता है. 

अनुसूचित जनजाति के दर्जे की यह मांग एक विवादास्पद मुद्दा रहा है, जिससे मैतेई लोगों का आदिवासी समुदायों और कुकी के बीच तनाव पैदा हो गया है. 

म्यांमार से कुकी शरणार्थियों की आमद
पिछले कुछ सालों में मणिपुर ने म्यांमार से कुकी शरणार्थियों की आमद बढ़ी है. इस आमद का नतीजा ये हुआ कि राज्य भूमि और संसाधनों के लिए प्रतिस्पर्धा बढ़ गई है, जिससे मैतेई और कुकी समुदायों के बीच मौजूदा तनाव बढ़ गया है. 

सरकार की नाकामयाबी 
मणिपुर सरकार मैतेई लोगों और आदिवासी समुदायों के बीच संघर्ष को कम करने में प्रभावी ढंग से नहीं निपट पाई है. नतीजतन असंतोष और दुश्मनी की भावना दोनों समूहों में बढ़ती गई.

मणिपुर में विवाद का असर देश की अर्थव्यवस्था पर कितना गहरा
मणिपुर दंगे ने राज्य में व्यापार पर गहरा असर डाला है.  दंगों ने मणिपुर में माल के उत्पादन और परिवहन को बुरी तरह से बाधित कर दिया है. इससे राज्य में व्यवसायों और श्रमिकों की आय का सीधा नुकसान हुआ है. 

मणिपुर हस्तशिल्प विकास निगम (एमएचडीसी) को हिंसा की वजह से इंफाल और चुराचांदपुर में अपने शोरूम बंद करने के लिए मजबूर होना पड़ा है. इससे एमएचडीसी और उसके कर्मचारियों को राजस्व का नुकसान हुआ है.

मणिपुर हस्तशिल्प विकास निगम की रिपोर्ट के मुताबिक एमएचडीसी में 1,000 से ज्यादा लोग कार्यरत हैं, और इसके शोरूम बंद होने से राजस्व में 10 करोड़ रुपये से ज्यादा का नुकसान हुआ है . दंगों ने राज्य के बाहर के बाजारों में माल पहुंचने से भी रोक लगा दिया है. इससे राज्य की निर्यात आय पर निगेटिव असर पड़ रहा है. 

मणिपुर राज्य हथकरघा बुनकर सहकारी समिति (एमएसएचडब्ल्यूसीएस) हिंसा के कारण भारत के अन्य हिस्सों में अपने उत्पादों का निर्यात नहीं कर पा रही है. इससे एमएसएचडब्ल्यूसीएस और उसके सदस्यों को राजस्व का नुकसान हुआ है.

मणिपुर राज्य हथकरघा बुनकर सहकारी समिति की रिपोर्ट के मुताबिक एमएसएचडब्ल्यूसीएस में 10,000 से ज्यादा सदस्य हैं, और निर्यात आय का नुकसान 100 करोड़ से ज्यादा  होने का अनुमान है .

आय के नुकसान के अलावा दंगों से संपत्ति का नुकसान भी हुआ है. कई व्यवसायों को लूट लिया गया है या पूरी तरह नष्ट कर दिया गया है. संपत्ति के नुकसान की कुल लागत  1,000 करोड़ से ज्यादा होने का अनुमान है.

पर्यटन पर प्रभाव
दंगों का मणिपुर में पर्यटन राजस्व पर नकारात्मक असर पड़ा है. हिंसा की वजह से पर्यटक राज्य का दौरा करने से कतरा रहे हैं. राज्य सरकार का अनुमान है कि दंगों से राज्य को पर्यटन राजस्व में 100 करोड़ रुपये से ज्यादा का नुकसान हुआ है. लंबी चल रही हिंसा से राज्य के लिए भविष्य में पर्यटकों को आकर्षित करना और मुश्किल हो सकता है.

मणिपुर पर्यटन विभाग की रिपोर्ट के मुताबिक मणिपुर में पर्यटन उद्योग 1,000 करोड़ से ज्यादा का है, और पर्यटन राजस्व का नुकसान राज्य की अर्थव्यवस्था पर खराब असर  डाल सकता है.

निवेश पर प्रभाव
हिंसा ने निवेशकों को मणिपुर में निवेश करने से सावधान कर दिया है. इसका राज्य की अर्थव्यवस्था पर बहुत लंबे तक असर पड़ सकता है. दंगों ने रहने और काम करने के लिए एक सुरक्षित स्थान के तौर पर मणिपुर पर सवालिया निशान पैदा कर दिए हैं. इससे राज्य के लिए भविष्य में निवेश और पर्यटन को आकर्षित करना और मुश्किल हो सकता है.

मणिपुर में निवेश का माहौल पहले से ही चुनौतीपूर्ण रहा है. राज्य सरकार विनिर्माण और आईटी क्षेत्रों में निवेश आकर्षित करने की कोशिश कर रही है, लेकिन हिंसा ने इसे और ज्यादा मुशकिल बना दिया है.

बुनियादी ढांचे पर प्रभाव
दंगों ने सड़कों और पुलों जैसे बुनियादी ढांचे को नुकसान पहुंचाया है. बुनियादी ढांचे को नुकसान से राज्य की अर्थव्यवस्था का पुनर्निर्माण करना भी ज्यादा महंगा हो जाएगा. हिंसा की वजह से  इम्फाल-जिरीबाम राष्ट्रीय राजमार्ग कई स्थानों पर क्षतिग्रस्त हो गया है. इससे दोनों शहरों के बीच माल ले जाना मुश्किल हो गया है. 

भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) की रिपोर्ट के मुताबिक बुनियादी ढांचे को नुकसान की कुल लागत  500 करोड़ से ज्यादा होने का अनुमान है.

2023 के मणिपुर दंगों का भारतीय अर्थव्यवस्था पर पूरी तरह से क्या असर पड़ा है इसकी अभी जानकारी नहीं है. लेकिन ये साफ है कि हिंसा का राज्य की अर्थव्यवस्था पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा है, और इसका राज्य के विकास पर एक लंबे वक्त के लिए प्रभाव पड़ सकता है. 

आर्थिक प्रभावों के अलावा, हिंसा का मणिपुर में सामाजिक और राजनीतिक माहौल पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ा है. हिंसा ने मणिपुर के लोगों में असुरक्षा और भय की भावना पैदा कर दी है, और इसने सरकार के लिए प्रभावी ढंग से काम करना मुश्किल बना दिया है. 

और देखें
Advertisement
Advertisement
25°C
New Delhi
Rain: 100mm
Humidity: 97%
Wind: WNW 47km/h
Advertisement

टॉप हेडलाइंस

Election Fact Check: क्या अमित शाह ने की एससी-एसटी और ओबीसी आरक्षण खत्म करने की बात? जानें वायरल दावों का सच
क्या अमित शाह ने की एससी-एसटी और ओबीसी आरक्षण खत्म करने की बात? जानें वायरल दावों का सच
सुनीता केजरीवाल ने वेस्ट दिल्ली में किया रोड शो, बोलीं- तानाशाही की तरफ जा रहा देश
सुनीता केजरीवाल ने वेस्ट दिल्ली में किया रोड शो, बोलीं- तानाशाही की तरफ जा रहा देश
जब 17 की उम्र में कास्टिंग काउच का शिकार हुई ये हसीना, 7 दिन तक रही थीं घर में कैद! फिर'बुआ' बनकर जीता फैंस का दिल
जब 17 की उम्र में कास्टिंग काउच का शिकार हुई ये हसीना, 7 दिन तक रही घर में कैद!
Will Jacks Century: अहमदाबाद में खून के आंसू रोए गेंदबाज! विल जैक्स के विस्फोटक शतक ने तोड़े कई रिकॉर्ड
अहमदाबाद में खून के आंसू रोए गेंदबाज! विल जैक्स के विस्फोटक शतक ने तोड़े कई रिकॉर्ड
Advertisement
for smartphones
and tablets

वीडियोज

Himanta Biswa Sarma से सुनिए- वो क्यों मुस्लिम समाज की जातीय जनगणना करवाना चाह रहे? | 2024 ElectionPrajwal Revanna Scandal Detailed: जानिए देवगौड़ा के पोते प्रज्वल रेवन्ना का अश्लील वीडियो मामलाअभिनेता साहिल खान को मुंबई STF ने किया गिरफ्तार, 1 मई तक पुलिस की रिमांड में साहिल खानदेखिए Rahul Gandhi के किस बयान को PM Modi ने बना लिया चुनावी हथियार | Loksabha Election 2024

फोटो गैलरी

पर्सनल कार्नर

टॉप आर्टिकल्स
टॉप रील्स
Election Fact Check: क्या अमित शाह ने की एससी-एसटी और ओबीसी आरक्षण खत्म करने की बात? जानें वायरल दावों का सच
क्या अमित शाह ने की एससी-एसटी और ओबीसी आरक्षण खत्म करने की बात? जानें वायरल दावों का सच
सुनीता केजरीवाल ने वेस्ट दिल्ली में किया रोड शो, बोलीं- तानाशाही की तरफ जा रहा देश
सुनीता केजरीवाल ने वेस्ट दिल्ली में किया रोड शो, बोलीं- तानाशाही की तरफ जा रहा देश
जब 17 की उम्र में कास्टिंग काउच का शिकार हुई ये हसीना, 7 दिन तक रही थीं घर में कैद! फिर'बुआ' बनकर जीता फैंस का दिल
जब 17 की उम्र में कास्टिंग काउच का शिकार हुई ये हसीना, 7 दिन तक रही घर में कैद!
Will Jacks Century: अहमदाबाद में खून के आंसू रोए गेंदबाज! विल जैक्स के विस्फोटक शतक ने तोड़े कई रिकॉर्ड
अहमदाबाद में खून के आंसू रोए गेंदबाज! विल जैक्स के विस्फोटक शतक ने तोड़े कई रिकॉर्ड
NEET UG 2024: एडमिट कार्ड रिलीज को लेकर सामने आया ये बड़ा अपडेट, जारी होने के बाद ऐसे करें डाउनलोड
नीट यूजी एडमिट कार्ड रिलीज को लेकर सामने आया ये बड़ा अपडेट, जारी होने के बाद ऐसे करें डाउनलोड
राजनीति में अपराध, मेंडक से सासाराम और रेप से पोक्सो एक्ट के आरोपित तक...
राजनीति में अपराध, मेंडक से सासाराम और रेप से पोक्सो एक्ट के आरोपित तक...
Lok Sabha Election 2024: 'एग्जाम में लिख देते हैं जय श्रीराम तो मिल जाते हैं 50 फीसदी नंबर', असदुद्दीन ओवैसी ने BJP पर तंज
'एग्जाम में लिख देते हैं जय श्रीराम तो मिल जाते हैं 50 फीसदी नंबर', ओवैसी का BJP पर तंज
UP News: पति को छोड़ सास के प्यार में डूबी बहू, समलैंगिक संबंध बनाने का डाल रही दबाव, जानें अजब प्रेम कहानी
पति को छोड़ सास के प्यार में डूबी बहू, संबंध बनाने का डाल रही दबाव
Embed widget