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हंगामेदार रह सकती है GST परिषद की कल होने वाली बैठक, राज्यों के कंपनसेशन के मुद्दे पर खिंचेंगी तलवारें

गुरुवार को होने वाली जीएसटी काउंसिल की बैठक में राज्यों के कंपनसेशन का मुद्दा एकमात्र चर्चा का विषय रहेगा.

नई दिल्ली: गुरुवार को होने वाली GST काउंसिल की बैठक बेहद हंगामेदार होने की आशंका है. इस बैठक में केंद्र और राज्य सरकार एक दूसरे के आमने-सामने होंगे. गुरुवार को होने वाली जीएसटी काउंसिल की बैठक सिर्फ एक एजेंडे को लेकर हो रही है, जो कि इस समय केंद्र सरकार और राज्य सरकारों के बीच में टकराव का सबसे बड़ा मुद्दा बना हुआ है. कल होने वाली इस बैठक में राज्यों के कंपनसेशन का मुद्दा चर्चा का एकमात्र विषय रहेगा.

कोरोना के चलते लॉकडाउन लगने की वजह से आर्थिक गतिविधियां बुरी तरह से प्रभावित हुई हैं. इसके चलते केंद्र और राज्य सरकारों का जीएसटी कलेक्शन काफी कम रहा है. केंद्र सरकार ने अप्रैल से लेकर अभी तक राज्यों का जीएसटी कलेक्शन की क्षति पूर्ति यानी कंपनसेशन नहीं दिया है. आमतौर पर यह क्षति पूर्ति हर 2 महीने बाद केंद्र सरकार राज्य सरकारों को देती है. बीते वित्त वर्ष यानी 2019-20 में केंद्र सरकार ने राज्यों को लगभग 1.65 लाख करोड़ रुपये का कंपनसेशन दिया था.

कोरोना के चलते देशभर में लगे लॉकडाउन के चलते आर्थिक गतिविधियां बुरी तरह से प्रभावित हुई हैं. इसके चलते केंद्र सरकार का जीएसटी कलेक्शन और सेस कलेक्शन तेजी के साथ घटा है. जिस कंपनसेशन सेस से केंद्र सरकार राज्य सरकारों की क्षति पूर्ति करती है, वो अप्रैल से जुलाई के बीच पिछले साल के मुकाबले 33 फ़ीसद कम रहा है. इस साल अप्रैल-जुलाई के बीच सेस कलेक्शन 21940 करोड रुपये का रहा है.

जानिए क्या है राज्यों की मांग?

राज्य सरकारें, केंद्र सरकार पर बाजार से कर्ज लेने का दबाव बनाने की कोशिश करेंगी. इसके अलावा कंपनसेशन को बढ़ाने के मकसद से ज्यादा उत्पादों को इसकी जद में लाने पर भी राज्य सरकारें सुझाव देंगी. वहीं कई राज्य सरकारें जीएसटी कंपनसेशन सेस को मौजूदा 5 साल से बढ़ाकर 10 साल करने का भी दबाव केंद्र सरकार पर बना सकती हैं.

क्या कहता है कानून

GST की शुरुआत जुलाई 2017 में हुई थी. उस समय पर जीएसटी कानून के तहत यह तय हुआ था कि अगले 5 सालों तक राज्य सरकारों को इसके चलते जो भी राजस्व में कमी झेलनी पड़ेगी उसकी भरपाई केंद्र सरकार करेगी. क्षतिपूर्ति यानी कंपनसेशन की गणना के लिए एक फार्मूला तय हुआ था, जिसके तहत 2015-16 को बेस ईयर मानते हुए हर साल 14% राजस्व में बढ़ोतरी मानी जायेगी. राज्य सरकार के असल राजस्व और प्रोजेक्टेड रेवेन्यू के अंतर को ही क्षतिपूर्ति कहा जाता है, जिसकी भरपाई केंद्र सरकार को करनी होती है.

GST एक्ट के तहत केंद्र सरकार को राज्य सरकारों को पूरा कंपनसेशन 5 वर्षों तक कंपनसेशन फंड से ही देना होगा. केंद्र सरकार कुछ चुनिंदा आइटम के ऊपर कंपनसेशन सेस लगाकर इस कंपनसेशन फंड में पैसा इकट्ठा करती है. हालांकि, अगस्त 2019 से आर्थिक सुस्ती के चलते कंपनसेशन फंड में इतना पैसा इकट्ठा ही नहीं हो पा रहा है, जिससे राज्य सरकारों को कंपनसेशन दिया जा सके. वहीं अप्रैल 2020 से लॉकडाउन के चलते केंद्र सरकार का जीएसटी कलेक्शन तेजी से घटा है और इसके चलते कंपनसेशन फंड बहुत कम हो गया है. ऐसे में अब गुरुवार को केंद्र सरकार और राज्य सरकारों के बीच होने वाली जीएसटी काउंसिल बैठक में कंपनसेशन के मुद्दे पर राज्यों और केंद्र सरकार के बीच काफी हंगामेदार चर्चा होने की उम्मीद है.

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