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गणतंत्र के 73 साल: भारत के संविधान में क्यों अहम हैं आयरलैंड के नीति निदेशक तत्व?
आयरलैंड से भारत ने नीति निदेशक तत्व लिए हैं, किसी भी आजाद देश को बनाने के लिए दो इकाइयां बहुत जरूरी होती हैं, पहले मौलिक अधिकार (Fundamental Right) और दूसरा राज्य के नीति निदेशक तत्व.
![गणतंत्र के 73 साल: भारत के संविधान में क्यों अहम हैं आयरलैंड के नीति निदेशक तत्व? 73 Years of the Republic Why Directive Principles of State Policy important in Constitution गणतंत्र के 73 साल: भारत के संविधान में क्यों अहम हैं आयरलैंड के नीति निदेशक तत्व?](https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2023/01/22/7cccf37e51f00711f48e6d1111aae2411674389749213315_original.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=1200&height=675)
73 Years Of Indian Constitution: दुनिया के पटल पर उभरते और निखरते भारत की असली बुनियाद 26 जनवरी 1950 को पड़ी, जब संविधान सभा के तैयार किए गए संविधान को अपने ऊपर लागू किया. इस फैसले के साथ ही भारतीय संविधान दुनिया का सबसे बड़ा लिखित संविधान बन गया.
इस संविधान की खास बात ये है कि इसकी शुरुआत हम लोग से होती है, जहां देश के सभी नागरिकों को सामाजिक, आर्थिक, वैचारिक, धार्मिक आजादी होगी. सभी नागरिकों से संविधान ने वादा किया कि वह प्रतिष्ठा और अवसर की समानता भी प्रदान करेगा. इसके साथ ही ये किताब, सिर्फ संविधान नहीं रही, बल्कि भारत की तकदीर बन गई, जिससे समाज के सभी वर्गों को रौशनी मिलती है.
आयरलैंड से भारत ने नीति निदेशक तत्व लिए हैं, राष्ट्रपति के निर्वाचन की व्यवस्था ली है, और उनके द्वारा राज्यसभा में मनोनीत किए जाने वाले 12 सदस्य भी लिए हैं. हम आपको इसके बारे में विस्तार से बताएंगे.
क्या होते हैं नीति निदेशक तत्व
किसी भी आजाद देश को बनाने के लिए दो इकाइयां बहुत जरूरी होती हैं, पहले मौलिक अधिकार (Fundamental Right) और दूसरा राज्य के नीति निदेशक तत्व (Directive Principles). नीति निदेशक तत्व ही यह निर्धारित करते हैं कि एक देश वेलफेयर स्टेट होगा या नहीं.
ब्रिटेन से आजादी मिलने के बाद आयरलैंड ने जब अपना संविधान बनाया तो उसने अपने संविधान में सबसे पहले नीति निदेशक तत्वों को जगह दी. भारत की संविधान सभा में उसकी मसौदा समिति के अध्यक्ष बाबा साहेब भी इन नीति निदेशक तत्वों से बेहद प्रभावित हुए और उन्होंने इनको भारत के संविधान में शामिल करने का फैसला किया.
भारत के संविधान के अनुच्छेद 36 से लेकर अनुच्छेद 51 तक राज्य के नीति निदेशक तत्वों के बारे में जानकारी दी गई है. भारत के संविधान के नीति निदेशक तत्वों को किसी देश के किसी भी न्यायालय में चुनौती नहीं दी जा सकेगी.
क्या है भारत के संविधान के नीति निदेशक तत्व?
भारत के पहले नीति निदेशक तत्व के अनुसार भारत एक वेलफेयर देश होगा, यानी वह अपने नागरिकों की आर्थिक, राजनीतिक और सामाजिक स्थिति की बेहतरी के लिए कानून और नीतियां बनाएगा.
समान काम के समान पैसे: नीति निदेशक तत्वों के अनुसार, भारत एक देश के रूप में महिलाओं, पुरुषों और समाज के बाकी हिस्सों की बेहतरी के लिए बिना किसी भेदभाव के काम करेगा और नीतियां बनाएगा. जिसमें महिलाओं और पुरुषों को समान काम के लिए समान पैसे दिए जाएंगे, और बच्चों को एक तय उम्र से पहले काम नहीं कराया जा सकेगा.
समान न्याय: भारत के नीति निदेशक तत्व के अनुसार देश के सभी नागरिकों को न्याय उनका अधिकार होगा, और यह अधिकार उनको बिना किसी भेदभाव के दिया जाएगा.
हर गांव में पंचायतों का निर्माण : नीति निदेशक तत्व के अनुसार राज्य इसके लिए कदम उठाएगा कि वह हर गांव में ग्राम पंचायतों का गठन करे और उनको ऐसी शक्तियां और अधिकार दे कि वह स्व-शासन की छोटी इकाइयों के रूप में काम कर सके.
सार्वजनिक सहायता : नीति निदेशक तत्व के अनुसार, राज्य, अपनी आर्थिक क्षमता और सीमाओं के भीतर विकास, रोजगार के अधिकार को सुरक्षित करने के प्रावधान बनाने की बात कर रहा है. वह यह प्रावधान शिक्षा, बेरोजगारी, वृद्धावस्था और बीमारी के मामलों में सार्वजनिक सहायता के लिए कर रहा है.
न्यूनतम वेतन की सीमा : राज्य के नीति निदेशक तत्वों के मुताबिक राज्य यह सुनिश्चित करेगा कि वह अपने सभी नागरिकों के लिए सुरक्षित, उपयुक्त कानून या आर्थिक संगठन या किसी अन्य तरीके से उसके अधीन काम करने वाले लोगों को निर्वाह योग्य वेतन जरूर देगा.
सभी नागरिकों के लिए समान नागरिक संहिता : राज्य के नीति निदेशक तत्वों के मुताबिक राज्य प्रयास करेगा कि वह देश के सभी नागरिकों को एक समान नागरिक संहिता बनाएगा.
पिछड़े, कमजोर तबकों को बढ़ावा देना : राज्य के नीति निदेशक तत्वों के मुताबिक राज्य अपने पिछड़े, कमजोर नागरिकों की सामाजिक, आर्थिक और न्यायिक प्रगति के लिए विशेष ध्यान देगा. वह अनुसूचित जाति, जनजाति और अन्य कमजोर वर्गों के शैक्षिक और आर्थिक हितों को बढ़ावा देने का काम करेगा.
सरकार और ब्यूरोक्रेसी से अलग होगी न्यायपालिका : राज्य के नीति निदेशक तत्वों के मुताबिक राज्य न्यायपालिका को स्वतंत्र रखने के लिए काम करेगा. वह सरकार, राज्य की सार्वजनिक सेवाओं को ब्यूरोक्रेसी से अलग रखेगा.
अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा को बढ़ावा देगा : राज्य के नीति निदेशक तत्वों के मुताबिक भारत दुनिया भर में अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा को बढ़ावा देने, देशों के बीच न्यायोचित और सम्मानजनक संबंध बनाए रखने, एक दूसरे के साथ अंतरराष्ट्रीय कानून और संधि के दायित्वों को पूरा करने, और मध्यस्थता करने को बढ़ावा देगा.
गणतंत्र के 73 साल: क्या है भारत के संविधान का राजनीतिक दर्शन?
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