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2 जी केस: 2 फरवरी 2012 को SC ने कहा था- स्पेक्ट्रम को पैसे की ताकत रखने वाले लोगों ने हथिया लिया

जिस तरह से लेटर ऑफ इंटेंट जारी किए गए, वो पूरी तरह से शक के घेरे में है. साफ लगता है कि पूरी प्रक्रिया पूरी योजना के साथ इस तरह से चलाई गई कि 2004 से 2006 के बीच आवेदन करने वाले पीछे रह जाएं.

नई दिल्ली: टूजी स्पेक्ट्रम मामले में दिल्ली की स्पेशल सीबीआई कोर्ट ने दूरसंचार मंत्री ए राजा और डीएमके सांसद कनिमोझी समेत सभी आरोपियों को बरी कर दिया है. कैग ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया था कि इस घोटाले की वजह से देश को करीब एक लाख 76 हजार करोड़ का नुकसान उठाना पड़ा. इस मामले में ए राजा और डीएमके सांसद कनिमोझी को जेल तक जाना पड़ा था. इनके अलावा कई कंपनियां और कई कारोबारी भी इसमें आरोपी थे.जानें- क्या है देश का सबसे बड़ा 2G घोटाला, कौन-कौन थे आरोपी?

2जी स्पेक्ट्रम घोटाला मामले की सुनवाई कर रही एक विशेष अदालत ने पूर्व दूरसंचार मंत्री ए. राजा और द्रमुक नेता कनिमोझी दोनों को इस मामले में बरी कर दिया. अदालत ने इस मामले में अन्य 15 आरोपियों और तीन कंपनियों को भी बरी कर दिया है.

मामले में बरी किये गए अन्य लोग हैं- दूरसंचार विभाग के पूर्व सचिव सिद्धार्थ बेहुरा, राजा के पूर्व निजी सचिव आर. के. चंदोलिया, स्वान टेलीकॉम के प्रोमोटर्स शाहिद उस्मान बलवा और विनोद गोयनका, यूनिटेक लिमिटेड के प्रबंध निदेशक संजय चन्द्रा और रिलायंस अनिल धीरूभाई अंबानी समूह (आरएडीएजी) के तीन शीर्ष कार्यकारी अधिकारी गौतम दोशी, सुरेन्द्र पिपारा और हरी नायर. Full Coverage- 2जी घोटाला मामले में ए.राजा, कनिमोझी समेत 17 लोग और तीन कंपनियां बरी

अदालत से बरी होने वाले अन्य लोग हैं- कुसेगांव फ्रूट्स एंड वेजीटेबल्स प्राइवेट लिमिटेड के निदेशक आसिफ बलवा और राजीव अग्रवाल, कलैग्नार टीवी के निदेशक शरद कुमार और बॉलीवुड फिल्म निर्माता करीम मोरानी. इनके अलावा अदालत ने तीन कंपनियों- स्वान टेलीकॉम प्राइवेट लिमिटेड, रिलायंस टेलीकॉम लिमिटेड और यूनिटेक वायरलेस (तमिलनाडु) लिमिटेड को भी आरोपों से बरी कर दिया है.2G घोटाला: फैसला आते ही कांग्रेस ने कहा- विनोद राय देश से माफी मांगे, जानें- बड़े नेताओं का रिएक्शन

सीबीआई के विशेष न्यायाधीश ओ. पी. सैनी ने 2जी घोटाला मामले में फैसला सुनाया. इस मामले ने यूपीए सरकार को बहुत परेशान किया था. राजा और अन्य आरोपियों के खिलाफ अप्रैल 2011 में दायर अपने आरोपपत्र में सीबीआई ने आरोप लगाया था कि 2जी स्पेक्ट्रम के 122 लाइसेंसों के आवंटन के दौरान 30,984 करोड़ रुपये की राजस्व हानि हुई थी. उच्चतम न्यायालय ने दो फरवरी, 2012 को इन आवंटनों को रद्द कर दिया था. सुनवाई के दौरान सभी आरोपियों ने अपने खिलाफ लगे आरोपों से इनकार किया था.

सुप्रीम कोर्ट और विशेष सीबीआई कोर्ट के फैसलों में अंतर को इन पॉइंटर्स के ज़रिए समझें :- # 2 फरवरी 2012 को सुप्रीम कोर्ट ने फैसला दिया. सभी ए राजा के मंत्री रहते बांटे गए सभी 2जी लाइसेंस रद्द किए. इसके 5 साल 10 महीने बाद 21 दिसंबर 2017 को आज विशेष सीबीआई कोर्ट ने माना है कि लाइसेंस बांटने में गड़बड़ी को आरोप पक्ष साबित नहीं कर पाया है # सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि इस मामले में प्राकृतिक संसाधनों की लूट हुई. खास लोगों को फायदा पहुंचाने के लिए नियमों में बदलाव किया गया. CBI कोर्ट ने कहा कि ये पूरा मामला लोगों में बनी धारणा, अफवाहों और अनुमानों पर आधारित है. इन्हें किसी आपराधिक मामले में फैसले का आधार नहीं बनाया जा सकता # सुप्रीम कोर्ट ने लाइसेंस प्रक्रिया में गड़बड़ी और अलग फर्म बना कर लाइसेंस लेने के लिए यूनिटेक, टाटा टेलेसर्विसेस, स्वान, लूप, सिस्टम श्याम जैसी कंपनियों पर 50 लाख से 5 करोड़ रुपए तक का जुर्माना लगाया. CBI जज ओपी सैनी ने लिखा है- "मैं 7 साल तक लगातार 10 से 5 बजे तक सुनवाई करता रहा. गर्मी की छुट्टियों में भी सुनवाई की. मैं इंतज़ार करता रहा कि कभी कोई कोर्ट में ऐसा सबूत लेकर आए जिसे कानूनी तौर पर माना जा सके. लेकिन ऐसा नहीं हुआ. # सुप्रीम कोर्ट ने ये भी कहा कि 10 जनवरी 2008 को अचानक नियम बदले गए. कंपनियों को आवेदन के लिए कुछ घंटे का समय मिल. जो लोग टेलीकॉम मंत्री ए राजा के करीबी थे, उन्हें पहले से जानकारी थी. उन्होंने तुरंत आवेदन कर दिया. विशेष CBI जज ने आरोप पक्ष को पूरी तरह नाकाम कहा. जज ने लिखा है, "शुरू में आरोप पक्ष ने बड़े उत्साह से केस लड़ा. जैसे जैसे समय आगे बढ़ा, उनका रवैया बदलता गया. ये समझ ही नहीं आ रहा था कि वो क्या साबित करने चाहते हैं. इस दौरान वरिष्ठ अधिकारियों का भी रवैया भी ढीला नज़र आया. आरोप पक्ष ये साबित नहीं कर पाया कि राजा ने किसी को फायदा पहुंचाने के लिए नियम बदलवाए."

2 फरवरी 2012 को सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस जी एस सिंघवी और ए के गांगुली की बेंच का फैसला :-

1. स्पेक्ट्रम एक दुर्लभ प्राकृतिक संसाधन है जिसे सेना ने देश के लिए छोड़ा. लेकिन पैसे की ताकत रखने वाले लोगों ने उसे हथिया लिया. 2. जिस तरह से लेटर ऑफ इंटेंट जारी किए गए, वो पूरी तरह से शक के घेरे में है. साफ लगता है कि पूरी प्रक्रिया पूरी योजना के साथ इस तरह से चलाई गई कि 2004 से 2006 के बीच आवेदन करने वाले पीछे रह जाएं. 2007 में आवेदन करने वालों को लाइसेंस मिल जाए. लाइसेंस पाने वाले भी ये सब जानते थे. 3.संचार मंत्री ने कानून मंत्री और प्रधानमंत्री के सुझावों को दरकिनार कर दिया. इस तरह के कई और पहलुओं की चर्चा करते हुए, सुप्रीम कोर्ट ने फैसला दिया है कि -- 10 जनवरी 2008 को और उसके बाद बांटे गए सभी लाइसेंस रद्द किए जाते हैं.

ये आदेश 4 महीने बाद लागू होगा.

दो महीने मे TRAI 2जी स्पेक्ट्रम की नीलामी की प्रक्रिया तय करे.

TRAI की सिफारिशों पर एक महीने के भीतर केंद्र सरकार विचार कर फैसला ले.

2, 3 और 9 ने टेलिकॉम विभाग के पूरी तरह से मनमाने और असंवैधानिक फैसलों का फायदा उठाया. बाद में हज़ारों करोड़ रुपए के फायदे पर अपने शेयर बेचे. उन्हें 5-5 करोड़ रुपए का दंड देना होगा. 4, 6, 7 और 10 को 50-50 लाख रुपए का जुर्माना देना होगा.

जमा रकम का 50 फीसदी सुप्रीम कोर्ट की लीगल एड सेवा को दिया जाए और 50 फीसदी प्रधानमंत्री राहत कोष में जमा हो.

हम ये साफ करना चाहते हैं कि सीबीआई और निचली अदालत इस फैसले में हमारी किसी भी टिप्पणी से प्रभावित हुए बिना अपना काम करें.

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