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श्रीलंका की अशोक वाटिका में अब भी मौजूद हैं सीता के निशान!

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कोलंबोः विजयदशमी के मौके पर एबीपी न्यूज आपके लिए लाया है  श्रीलंका से एक खास रिपोर्ट . क्या सच है अशोक वाटिका जहां सीता रही थीं ? लंका में कहां है सीता-कुंड? क्यों अशोक वाटिका की मिट्टी का रंग है काला?  ऐसे ही कई सवालों के जवाब ढूंढती एबीपी न्यूज संवाददाता पिंकी राजपुरोहित की खास रिपोर्ट. कोलंबो के बाद एबीपी न्यूज का सफर शुरू हुआ नुरालिया के लिए जहां कहा जाता है कि रावण के महल से लेकर सीता माँ से जुड़े तमाम सबूत यहां मौजूद है.हरियाली के बीच होते हुए हमारा रास्ता नुरालिया की ओर बढ़ रहा था. नुरालिया ऊँची पहाड़ी पर स्थित है. कम तापमान और चारो तरह चाय के बागान के बीच ये बेहद ही खूबसूरत जगह है. यहां की हरियाली और झरने इसे और भी खूबसूरत बना देते है. लेकिन एबीपी न्यूज को यहां तलाश थी रामायण से जुड़ी उन चुनिंदा जगहों की जिसे लेकर कई दावे किये गए है. इसी तरह लोगों से पूछते हुए हम पहुंचे सीता इलैया जिसे अशोक वाटिका भी कहा जाता है. हालांकि अब तो यहाँ सब कुछ नया नया बना है. हमने माँ सीता और रावण से जुड़ी जगहों के बारे में जानना चाहा. हमारी मुलाक़ात यहां के ही एक पुजारी से हुई. उन्होंने हमें इस पुरे अशोक वाटिका की जानकारी देना शुरू किया. इस जगह पर 5000 साल पुरानी भगवान राम, लक्ष्मण, जानकी और हनुमान जी की मुर्तियां हैं. मान्यता है कि जब रावण ने माँ सीता का हरण किया था तब रावण ने पहले तो मंदोदरी के महल में उन्हें रखा था लेकिन बाद में उन्हें अशोक वाटिका में रख गया था. माँ सीता ने यहां 11 महीने गुज़ारे थे. उस वक़्त यहां अशोक का विशाल वृक्ष हुआ करता था. हालांकि आज इस वाटिका में केवल एक-दो अशोक के वृक्ष बचे हैं. माँ सीता के बैठने की जगह किसी के पैरों तले ना पड़े इसीलिए यहां ये मंदिर बनाया गया है. हर दिन यहां भारत से ही नही बल्कि कईं विदेशी सैलानी भी आते है. SRILANKA 3 सीता कुंड या सीता नदी: ये वो जगह है जहां माँ सीता अशोक वाटिका में नहाया करती थी. मान्यता है कि माँ सीता यहीं नहाया करती थीं इस कारण इसका नाम सीता कुंड रखा गया. यहां पानी १२ महीने इसी तरह बहता है. हालांकि ये कोई नहीं जानता कि कहाँ से बहता है और कहाँ पर जाकर खत्म होता है. मिट्टी आज भी है काली: अशोक वाटिका में हमने देखा कि दो अलग अलग जगह पर अलग अलग मिट्टी मौजूद है. मान्यता है कि तलाश में जब हनुमान लंका पहुंचे थे और अशोक वाटिका में मेघनाथ से युद्ध के बाद जब उन्हें बह्रमास्त्र के प्रयोग से बंदी बना लिया था और रावण के सामने पेश किया गया था तब रावण ने उनकी पूँछ में आग लगाने की आज्ञा दी थी. जब हनुमान जी की पूँछ में आग लगाईं गयी तो हनुमान ने लंका को जल दिया था. लेकिन केवल माँ सीता के रहने की जगह और विभीषण के घर को कुछ नही किया. माना जाता है यहीं कारण है कि अशोक वाटिका यानी सीता इलैया में दो अलग अलग तरह की मिटटी देखने को मिलती है. एक सामान्य मिट्टी जिसका रंग भूरे जैसा और दूसरी उस तरफ की मिट्टी जहां जलने के कारण काली दिखाई देती है. SRILANKA 4 अशोक वाटिका में हनुमान जी के आने के सबूत: अशोक वाटिका में सीता कुंड से थोड़ा आगे बढ़ते ही हमें नज़र आये दो विशाल पैरों के निशान. जिन्हें अब पीले पेंट से संजोये रखा है. माना जाता है कि सीता की तलाश में जब हनुमान लंका पहुंचे थे तो अशोक वाटिका में पड़े ये उनके पहले चरण थे. हनुमान ने अपने साथ राम की भेजी अंगूठी को सीता को सौंपी था और भरोसा दिलाया कि राम रावण को पराजय करने और उन्हें यहां से ले जाने ज़रूर आएंगे. ये निशान उसी की गवाही देते है. नुरालिया के बंदरों की पूँछ भी काली: कहा जाता है कि जब रावण ने हनुमान जी की पूँछ में आग लगवाई थी तो सभा में बैठे सभी लोगों को भी अपने अंग वस्त्र उतार देने पड़े थे कारण ये कि हनुमान ने अपनी इच्छा शक्ति से पूँछ लंबी कर दी थी जिससे आग लगाने वालों को काफी मेहनत करनी पड़ी थी. शायद यहीं कारण है कि आज भी यहां के बंदरों की पूँछ लंबी और काले रंग की है. कहा तो ये भी जाता है कि हनुमान लंका में अपनी प्रजाति छोड़ गए थे. नॉरलिया के बाद हमारा सफर बढ़ा रावण के हवाईअड्डों की तलाश में, हालांकि इसका भी कोई सबूत तो मौजूद नहीं लेकिन ये दावा ज़रूर किया जाता है कि जब कुंभकर्ण की मृत्यु हो गई तो रावण स्वयं श्रीराम से युद्ध करने पहुंचा. वह पुष्पक विमान में श्रीराम से युद्ध करने पहुंचा. यह वही विमान था जो उसने भाई कुबेर से छीन लिया था और माँ सीता को इसी विमान में अपरहरण करके लाया था. बिना ईंधन का यह विमान चालक की इच्छा के अनुसार चलता था. रावण का वध करने के बाद लंका से अयोध्या जाते समय राम, लक्ष्मण, सीता एवं हनुमान जी इसी विमान से अयोध्या लौटे थे. आधुनिक खोज में पता चला कि लंका में रावण के पास चार हवाई अड्डे थे. इनमें से एक का नाम एक का नाम उसानगोड़ा जिसे हनुमानजी ने लंका दहन कर जला दिया था. शेष तीन हवाई अड्डे जो उस समय सुरक्षित थे वो क्रमशः गुरूलोपोथा, तोतूपोलाकंदा और वारियापोला थे. हालांकि अब उसकी आधिकारिक निशानी मौजूद नहीं है. लेकिन रामायण रिसर्च कमेटी ने ये दावा ज़रूर किया है. रावण का ममी: ऐसा माना जाता है कि लंका के जंगलों में एक विशालकाय पहाड़ी पर रावण की गुफा है, जहां उसने घोर तपस्या की थी. उसी गुफा में आज भी रावण का शव सुरक्षित रखा हुआ है. इन घने जंगलों और गुफाओं में कोई नहीं जाता है, क्योंकि यहां जंगली और खूंखार जानवरों का बसेरा है. कहा जाता है रावण की यह गुफा 8 हजार फुट की ऊंचाई पर स्थित है. जहां 17 फुट लंबे ताबूत में रावण का शव रखा है. इस ताबूत के चारों तरफ एक खास लेप लगा है जिसके कारण यह ताबूत हजारों सालों से जस का तस रखा हुआ है. गौरतलब है कि मिस्र में प्राचीनकाल में ममी बनाने की परंपरा थी, जहां आज भी पिरामिडों में हजारों साल से कई राजाओं के शव रखे हुए हैं. मान्यता है कि जब राम ने रावण का वध किया था तब नागा लोगों ने रावण के शरीर पर जड़ी बूटी लगा कर सहेज रखा था जिसे संजीवनी से ज़िंदा किया जा सके. ठीक उसी तरह जिस तरह से लक्ष्मण को जीवनदान मिला था. नुरालिया और कैंडी से होते हुए हम केलनिया पहुंचे जहां लक्ष्मण ने भगवान राम के कहने पर विभीषण का राज्याभिषेक किया था. दरअसल राम को 14 साल वनवास मिलने के कारण वे किसी भी राजसभा में नही जाते थे यहीं कारण है कि लक्ष्मण को उनका राज्याभिषेक करने भेजा गया था. दिलचस्प बात ये कि यहाँ कई लोग रावण को नहीं जानते लेकिन विभीषण को यहां पूजा जाता है. विभीषण का यहां एक देवालय भी बना हुआ है. यहाँ तक कि उनकी मूर्ति श्री लंका के पार्लियामेंट में भी नज़र आ सकती है. यहां लोग उन्हें धर्म और न्याय के देव के रूप में पूजते है. उसी के कुछ सबूत केलनिया के इस मंदिर की दीवारों पर देखे जा सकते है.
Published at : 11 Oct 2016 05:42 PM (IST) Tags: Vijayadashmi Sri Lanka
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