Mahashivratri 2023: मां के सम्मान की खातिर जब शनि देव ने शुरू की शिव जी की तपस्या, फिर क्या हुआ?
Mahashivratri 2023: शनि ने शिवजी की कठोर तपस्या कर पिता सूर्य से अधिक शक्तिशाली और पूज्य होने का वरदान मांगा. फिर उन्हें सभी नौ ग्रहों में श्रेष्ठ स्थान के साथ ही दंडाधिकारी व न्यायाधीश का वरदान मिला.
Mahashivratri 2023, Mythological Story of Lord Shiva and Shani Dev: हिंदू धर्म में शनिदेव को न्याय का देवता कहा जाता है. क्योंकि वे कर्मों के आधार पर ही अपने भक्तों को फल देते हैं. महाशिवरात्रि भगवान शिव की भक्ति का दिन होता है. इस दिन भक्त महादेव की पूजा अर्चना करते हैं. इस साल महाशिवरात्रि 18 फरवरी 2023 को पड़ रही है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि शनिदेव भी शिवजी के भक्त और शिष्य थे.
शनिदेव ने शिवजी की कठोर तपस्या कर उन्हें प्रसन्न किया. इसका वर्णन पौराणिक कथाओं में मिलता है. लेकिन एक बार शनिदेव ने मां की सम्मान की खातिर शिवजी की तपस्या की थी.
जब शनि का काला वर्ण देख सूर्य को हुआ संदेह
पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार सूर्य देव की पत्नी स्वर्णा (छाया) की कठोर तपस्या से ज्येष्ठ माह की अमावस्या के दिन शनि का जन्म हुआ. शनि की माता ने भगवान शिव की तपस्या की थी. तेज गर्मी और धूप के कारण माता के गर्भ से जन्म लेने के बाद शनि का वर्ण काला हो गया. लेकिन शिव जी की तपस्या के कारण बालक शनि को अपार शक्ति का वरदान प्राप्त था.
एक बार सूर्य देव जब पत्नी छाया से मिलने पहुंचे तो पुत्र शनि के तेज के कारण उनका नेत्र ही बंद हो गया. लेकिन जब सूर्य ने अपनी दिव्य दृष्टि से शनि के काले रंग को देखा तो उन्हें विश्वास ही नहीं हुआ कि यह उनका पुत्र है. सूर्य देव ने पत्नी छाया पर शनि के स्वयं के पुत्र होने का संदेह जताया. इतना ही नहीं सूर्य देव ने शनि को पहली बार देख पुत्र प्रेम भी प्रदर्शित नहीं किया. बस इसके बाद से ही शनि के मन में अपने पिता सूर्य के प्रति शत्रु का भाव पैदा हो गया. सूर्य भले ही शनि के पिता हैं लेकिन पिता-पुत्र में शत्रुता का भाव है.
जब पिता सूर्य देव से अधि क शक्तिशाली बने शनि
इसके बाद शनिदेव ने शिवजी की तपस्या की और उन्हें प्रसन्न किया. शिवजी शनि की तपस्या से प्रसन्न हुए और उसे वरदान मांगने को कहा. शनि ने शिवजी से कहा कि, मेरे पिता सूर्य ने मेरी माता का अनादर किया है. इसलिए आप मुझे सूर्य से अधिक शक्तिशाली व पूज्यनीय होने का वरदान दीजिए. शिवजी ने शनि को ऐसा ही वरदान दिया और इसके बाद उन्हें नौ ग्रहों में श्रेष्ठ स्थान मिला और वे सर्वोच्च न्यायाधीश व दंडाधिकारी भी बन गए. शिवजी आशीर्वाद देते हुए शनि से बोले कि, केवल साधारण मानव ही नहीं बल्कि देवता, असुर, सिद्ध, विद्याधर, गंधर्व और नाग सभी तुम्हारे नाम से भयभीत होंगे.
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