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Life Inspirational Quotes: जवानी में हुईं ये गलतियां, पूरा जीवन कर देती हैं बर्बाद

Life Inspirational Quotes: युवावस्था जीवन का ऐसा दौर है, जिसमें व्यक्ति द्वारा किए गए कामों से उसका भविष्य निर्धारित होता है. अगर इस उम्र में आप कुछ गलतियों को करने से बच गए तो समझिए जीवन सफल हो गया.

Life Inspirational Quotes in Hindi: बड़े-बुजुर्ग हमेशा कहते हैं कि जवानी उम्र का ऐसा समय होता है, जिसमें आप अपने सुनहरे भविष्य की नींव रख सकते हैं. हालांकि यह ऐसा भी समय होता है जब आमतौर पर कई युवा कुछ गलतियों को कर बैठते हैं, जिससे उनका पूरा जीवन बर्बाद हो जाता है.

मनुष्य से गलतियां होना स्वभाविक है. लेकिन युवावस्था की उम्र में हुई जाने-अनजाने में कुछ गलतियां आपको इतनी भारी पड़ सकती है, जिसका भुगतान आपको जीवनभर करना पड़ सकता है.क्या आपकी उम्र भी 20-30 के बीच है? अगर आपका जवाब हां में है तो इन गलतियों को करने से बचें. वरना आपका पूरा जीवन बर्बाद हो सकता है. आज हम आपको ऐसी गलतियों के बारे में बताने जा रहे हैं, जिन्हें अगर आप जवानी में करने से बच गए तो आप भविष्य में होने वाले बड़े नुकसान से बच सकते हैं.

क्यों महत्वपूर्ण है जवानी का दौर

उम्र के सभी अवस्थाओ में युवावस्था वह समय होता है, जब हम अपने आसपास की सुंदरता को देखकर उसकी प्रशंसा करना सीखते हैं. इस समय हमारे दिल में प्रेम, जुनून, सपने और आदर्श अंकुरित होते हैं. लड़के-लड़कियां साहसी होकर एक-दूजे के आलिंगन में खोए रहते हैं और उनकी दुनिया केवल एक-दूजे के आंखों में समा जाती है. इस अवस्था में युवा समाज और धर्म को अपने हितैषी में नहीं बल्कि अपने शोषक के रूप में देखने लगते हैं.

लेकिन सरल सपने देखने और आनंद लेने में लोग अपने सांसारिक अस्तित्व को ही भूल जाते हैं. वह यह भी भूल जाते हैं कि युवावस्था हमारे अस्तित्व का एकमात्र काल नहीं है. बल्कि यह ऐसा बहुमूल्य समय है जिसे महान आदर्शों और सपनों को साकार करने में उपयोग किया जा सकता है, जिसे नशे, लड़ाई-झगड़े, लक्ष्यहीन, उत्तेजना, आलिंगन और शोर-शराबे आदि में बर्बाद कर दिया गया. जवानी में की गई सबसे बड़ी गलती यही होती है कि लोग अपनी उचित महत्वाकांक्षाओं को मूर्त रूप देने के बजाय भ्रमों में उलझे रहते हैं और जब यह भ्रम टूटता है तो स्वाभाविक तौर पर व्यक्ति भी खुद को टूटा हुआ पाता है. इसलिए इस बात को समझें कि, जवानी या युवावस्था ही वह चरण है जिससे जीवन की भावी दिशा को आकार दिया जा सकता है.

धर्म शास्त्र क्या कहता है?

  • भगवान को प्रसन्न कर सभी उनका आशीर्वाद प्राप्त करना चाहते हैं. इसके लिए लोग पूजा-पाठ और उपवास आदि करते हैं. शास्त्रों में भी पूजा, पाठ और व्रत को अहमियत दी गई है. लेकिन साथ ही इन कार्यों के लिए कुछ नियम भी तय किए गए हैं. पुराणों के अनुसार, जिस जीव में अंदरूनी ताकत व क्षमता होती है केवल वही धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष जैसे पुरुषार्थ करने का अधिकारी है. इसलिए कहा जाता है कि जब आपका तन स्वस्थ होगा तो मन अपने आप प्रफुल्लित होगा.
  • शास्‍त्रों का नी‌त‌ि ज्ञान मानता है कि, बहुत ज्यादा घूमने-फ‌िरने के शौकिन लोग समय से पहले बूढ़े दिखने लगते हैं. साधू-संत पूरे समय वन गमन करते थे. लेकिन चतुर्मास पड़ते ही वह भी पूरे चार महीने तक एक ही स्‍थान पर रहकर ध्यान लगाते थे और हरि चर्चा करते थे.
  • शास्त्रों में सृष्टि के संचालन के लिए मैथुन क्रिया को अभिन्न अंग माना गया है. लेकिन अत्यध‌िक मैथुन में रत रहने वाला व्यक्ति समय से पहले वृद्ध हो जाता है. साथ ही उसकी अंदरूनी ताकत और जवानी का नाश भी समय से पहले ही हो जाता है. इसलिए शास्त्रों में संबंध बनाने के लिए नियम निर्धारित किए गए हैं. इसमें वीर्य संरक्षण और ब्रह्मचर्य पालन को महत्ता दी गई है.
  • पर‌िश्रम का फल मीठा होता है, इसके सहारे मनचाही सफलता हासिल की जा सकती है. शास्त्रों में कहा गया है कि, व्यक्ति को जवानी में अपनी शारीरिक क्षमता को ध्यान में रखकर पर‌िश्रम करना चाहिए. वरना आप अपनी उम्र से पहले ताकत और जवानी का नाश कर लेंगे.

आचार्य चाणक्य क्या कहते हैं?

कष्टं च खलु मूर्खत्वं कष्ट च खलु यौवनम्।
कष्टात्कष्टतरं चैव परगृहेनिवासनम्॥  

आचार्य चाणक्य अपनी चाणक्य नीति (Chanakya Niti) के दूसरे अध्याय के आठवें श्लोक में कहते हैं कि, मूर्खता कष्ट है, यौवन भी कष्ट है. लेकिन दूसरों के घर में रहना कष्टों का भी कष्ट है.

मूर्खता सबसे बड़ा दुख: आचार्य चाणक्य कहते हैं कि, किसी भी इंसान के लिए मूर्ख होना सबसे बड़ा दुख होता है. क्योंकि मूर्ख इंसान को सही और गलत का पता नहीं होता है और वह इस कारण जीवन में सुखी नहीं रह पाता. वह बेवजह की चिंताओं में गस्त होकर अपनी जवानी और पूरा जीवन बर्बाद कर देता है. इसलिए मूर्ख व्यक्ति को समय रहते ही अपने अज्ञान को दूर करने का प्रयास करना चाहिए.

जवानी करती है दुखी: चाणक्य कहते हैं कि, जवानी भी इंसान को दुखी करती है. क्योंकि यह उम्र का ऐसा समय होता है जब इच्छाएं अधिक होती है और इनके पूरा न होने पर दुख भी अधिक होता है. इसी उम्र में इंसान जोश में अपना विवेक खो बैठता है और अगर शक्ति होती है तो शक्ति का गुमान भी हो जाता है. चाणक्य के अनुसार, जवानी व्यक्ति को विवेकहीन बना देती है और इसी कारण उसे कई परेशानियों का सामना बाद में करना पड़ता है.

दूसरे के घर रहना भी दुख का कारण: चाणक्य कहते हैं कि, जवानी और मूर्खता से अधिक कष्टदायी होता है दूसरे के घर पर रहना. क्योंकि जब इंसान किसी दूसरे के घर पर रहता है तो वह उसकी कृपा पर आश्रित हो जाता है. इस तरह से व्यक्ति अपनी स्वतंत्रता भी खो देता है. इसलिए ऐसा कहा गया है कि ‘पराधीन सपनेहु सुख नाहीं’.

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Disclaimer : यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना जरूरी है कि ABPLive.com किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.

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