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भारतीय कंपनियां अमेरिकी अर्थव्यवस्था के लिए क्यों हैं बेहद महत्वपूर्ण, द्विपक्षीय संबंधों को भी मिल रही है मजबूती

CII Report: भारत-अमेरिका संबंधों की मजबूती में भारतीय कंपनियों की बड़ी भूमिका है. ये कंपनियां अमेरिका में बड़े पैमाने पर निवेश कर रही हैं, जिससे अमेरिकी अर्थव्यवस्था को मजबूती मिल रही है.

Indian Firms Across US: भारत और अमेरिका के संबंध 21वीं सदी में लगातार मजबूत होते जा रहे हैं. इसमें भारतीय कंपनियों की भी बड़ी भूमिका है. भारतीय कंपनियां बड़े पैमाने पर अमेरिका में न सिर्फ़ निवेश कर रही हैं, बल्कि वहां भारतीय कंपनियों की वजह से लाखों नौकरियां भी पैदा हुई हैं.भारत की 163 कंपनियों ने अमेरिका में अब तक 40 अरब डॉलर से ज्यादा का निवेश किया है. इससे अमेरिका में करीब सवा चार लाख नौकरियां पैदा हुईं हैं.

भारतीय उद्योग परिसंघ (CII) के 'इंडियन रूट्स, अमेरिकन सॉयल' शीर्षक वाले सर्वे से ये जानकारी सामने आई है. वाशिंगटन में सीआईआई के इस सर्वे को 3 अप्रैल को अमेरिका में भारत के राजदूत तरनजीत सिंह संधू (Taranjit Singh Sandhu) ने जारी किया. इस मौके पर भारत के लिए नामित अमेरिकी राजदूत एरिक गार्सेटी (Eric Garcetti) भी मौजूद थे. ये सर्वे अमेरिकी धरती पर भारतीय मूल के लोगों की ओर से निवेश और वहां उद्यमी माहौल के विकास में योगदान से जुड़ा है.

भारतीय कंपनियों का R&D पर भी काफी खर्च

भारतीय कंपनियां अमेरिका में कॉरपोरेट सामाजिक दायित्व (CSR) पर भी काफी राशि खर्च कर रही हैं. CII की रिपोर्ट से पता चलता है कि भारतीय कंपनियों मे अमेरिका में कॉरपोरेट सामाजिक दायित्व पर लगभग 18.5 करोड़ डॉलर खर्च किए हैं. इसके साथ ही भारतीय कंपनियां अमेरिका में शोध और विकास (R&D) पर भी बड़ी राशि खर्च कर रही हैं.  CII की रिपोर्ट से ही जाहिर होता है कि भारतीय कंपनियां की ओर से अमेरिका आधारित अनुसंधान और विकास परियोजनाओं में एक अरब डॉलर की राशि खर्च की गई है. रिपोर्ट में कहा गया है कि भारतीय कंपनियों की ओर से अमेरिका में अनुसंधान और विकास के साथ ही कॉरपोरेट सामाजिक दायित्व पर भी खर्च लगातार बढ़ रहा है.

भारतीय फर्म  से अमेरिकी अर्थव्यवस्था में मजबूती

भारतीय कंपनियों के प्रतिनिधि एक सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए अमेरिका के दौरे पर थे. उसी दौरान हुए एक कार्यक्रम में CII की रिपोर्ट जारी किया गया. इस मौके पर अमेरिका में भारतीय राजदूत  तरनजीत सिंह संधू ने कहा कि भारतीय कंपनियों की वजह से अमेरिकी अर्थव्यवस्था में मजबूती, जुझारूपन और प्रतिस्पर्धा आ रही है और ये रोजगार पैदा करने के साथ ही स्थानीय समुदायों को समर्थन दे रही हैं. इस मौके पर CII के महानिदेशक चंद्रजीत बनर्जी ने भी माना कि भारतीय कंपनियों ने अमेरिकी बाजार में अपनी जुझारू क्षमता और प्रतिबद्धता का प्रदर्शन किया है. इसके अलावा निवेश बढ़ाने के साथ रोजगार के कई मौके भी पैदा किए हैं. इससे अमेरिका के अलग-अलग सेक्टर में विविधीकरण हुआ है.

अमेरिका के हर क्षेत्र में हैं भारतीय कंपनियां

सीआईआई की ओर सर्वेक्षण की गई भारतीय कंपनियों में से 29 प्रतिशत लाइफ साइंस और फार्मास्यूटिकल्स फर्म थीं, 21% सूचना प्रौद्योगिकी और दूरसंचार फर्म थीं, 18% विनिर्माण कंपनियां थीं. इसके अलावा 10% वित्तीय, कानूनी, लॉजिस्टिक्स और डिजाइन सेवा क्षेत्र से जुड़ी थीं, वहीं 5% ऑटोमोटिव क्षेत्र से संबंधित कंपनियां थीं. भारतीय कंपनियां अमेरिका के सभी 50 राज्यों में निवेश कर रही हैं, जिससे हर राज्य में नौकरियां पैदा हो रही हैं. रिपोर्ट के मुताबिक इन फर्मों की ओर से निवेश के मामले में शीर्ष पांच राज्यों में टेक्सास, जॉर्जिया, न्यू जर्सी, न्यूयॉर्क और मैसाचुसेट्स शामिल हैं.

भारतीय फर्म से टेक्सास में सबसे ज्यादा नौकरी

भारतीय कंपनियों से नौकरी लाभ हासिल करने वाले अमेरिकी राज्यों में टेक्सास पहले पायदान पर है. यहां 20,906 नौकरियां भारतीय कंपनियों से लोगों को हासिल हुई है. इसमें दूसरे नंबर पर न्यू यॉर्क है, जहां भारतीय कंपनियों से 19, 162 नौकरियां हासिल हुई है. उसके बाद न्यू जर्सी में  17,713 नौकरियां, वाशिंगटन में 14,525 नौकरियां और फ्लोरिडा 14,418 नौकरियां भारतीय कंपनियों की वजह से मिली है. इसके अलावा कैलिफोर्निया में 14,334, जॉर्जिया में 13,945, ओहियो में 12,188  मोंटाना में 9,603 नौकरियां और  इलिनॉयस में 8,454 नौकरियां भारतीय कंपनियों की देन है. ये आंकड़े बताने के लिए काफी है कि अमेरिका के हर बड़े शहर में भारतीय कंपनियों का कारोबार है और वहां ये कंपनियां अमेरिकी अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने में सहयोग कर रही हैं.

भारत-अमेरिका संबंधों को मजबूती

सीआईआई की रिपोर्ट के इस सातवें संस्करण से पता चलता है कि भारतीय उद्योग अमेरिकी अर्थव्यवस्था और इसके लोगों की समृद्धि के लिए तो प्रतिबद्ध है ही. साथ ही एफडीआई और रोजगार सृजन को जारी रखते हुए, भारतीय कंपनियां अमेरिकी बाजारों की लचीलापन को मजबूत कर रही हैं. इसके अलावा भारतीय कंपनियां 21वीं सदी की परिभाषित साझेदारी के रूप में भारत-अमेरिका संबंधों को मजबूती भी दे रही हैं. अमेरिका में भारतीय कंपनियों जिस तरह से काम कर रही हैं, वो भारत-अमेरिका द्विपक्षीय साझेदारी के विकास और वृद्धि में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है. निजी क्षेत्र और नीति निर्माताओं, जो गहरे संबंधों को विकसित करने में रुचि रखते हैं, दोनों के लिए सीआईआई की ये रिपोर्ट काफी अहमियत रखती है.

व्यापार और निवेश संबंधों की आधारशिला

भारत, संयुक्त राज्य अमेरिका के लिए एक नैसर्गिक व्यापार और निवेश भागीदार है. भारत-अमेरिकी आर्थिक रिश्ते दोनों ही देशों के भविष्य के नजरिए से बेहद महत्वपूर्ण है. हम कह सकते हैं कि व्यापार और निवेश भारत और अमेरिका के द्विपक्षीय संबंधों की आधारशिला है. इसी कड़ी में भारतीय कंपनियां जिस तरह से अमेरिका में निवेश के जरिए बड़े पैमाने पर रोजगार का सृजन कर रही हैं, वो आपसी संबंधों के लिए भविष्य में संजीवनी का काम करेगा. फिलहाल पिछले दो साल से अमेरिका भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है. हाल ही में साल 2022-23 के लिए व्यापारिक आंकड़े सामने आए थे. इसमें कहा गया था कि इस साल भी अमेरिका, चीन को पीछे छोड़ते हुए भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार बना रहा. दरअसल अमेरिका ने इस मामले में चीन को 2021-22 में पीछे छोड़ दिया था और उस साल ही भारत का सबसे बड़ा साझेदार बन गया था. यही स्थिति  2022-23 में भी बनी रही. इस दौरान भारत-अमेरिका के बीच द्विपक्षीय व्यापार 128.55 अरब डॉलर तक पहुंच गया. वित्त वर्ष 2022-23 के दौरान भारत-अमेरिका के बीच द्विपक्षीय व्यापार में 7.65% प्रतिशत की वृद्धि हुई है.

आर्थिक संबंध लगातार मजबूत हो रहे हैं

ये आंकड़े बताने के लिए काफी है कि दोनों देशों में आर्थिक संबंध लगातार मजबूत हो रहे हैं. वैश्विक नजरिए से अमेरिका के लिए भारत बेहद मायने रखता है. इसमें व्यापार की भूमिका बहुत बड़ी है. यही वजह है कि दो साल में आपसी व्यापार में 48 अरब डॉलर की वृद्धि हुई है. सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार होते हुए भी भारत, अमेरिका को आयात से ज्यादा निर्यात करता है. यानी अमेरिका से व्यापार के मामले में भारत का पक्ष ज्यादा मजबूत है. वहीं भारत का चीन के साथ व्यापार घाटा लगातार बढ़ते जा रहा है. अमेरिका के साथ व्यापारिक संबंधों की मजबूती में भारतीय कंपनियों का भी बड़ा हाथ है.

भारत की स्थिति लगातार हो रही है मजबूत

बदलते वैश्विक परिदृश्य में भारत की स्थिति लगातार मजबूत हो रही है. यही वजह है कि अमेरिका की ओर से लगातार कोशिश की जा रही है कि भारत के साथ उसके संबंधों को नई ऊंचाई मिले. जहां दुनिया के तमाम बड़े देश मंदी की आशंकाओं से घिरे हैं, वहीं भारत के लिए मंदी की संभावना न के बराबर है. उन सब पहलुओं पर गौर करते हुए अमेरिका, भारत के साथ हर प्रकार से जुड़ाव को बढ़ावा चाहता है.

सबसे बेहतर दौर में द्विपक्षीय संबंध

ऐसे तो व्यापार और निवेश भारत और अमेरिका के द्विपक्षीय संबंधों की आधारशिला है, लेकिन इसके अलावा भी कई सारे ऐसे क्षेत्र हैं जिनमें दोनों देशों के बीच सहयोग तेजी से बढ़ रहा है. इनमें रक्षा से लेकर तकनीक जैसे क्षेत्र शामिल हैं. यही वजह है कि भारत में अमेरिका के नवनियुक्त राजदूत एरिक गार्सेटी ने कुछ दिन पहले भी कहा था कि भारत-अमेरिका के बीच मजबूत संबंध पूरी दुनिया के भविष्य के लिए बेहद महत्वपूर्ण है. अभी जिस तरह के संबंध है, दोनों देश कई मुद्दों पर मिलकर काम कर रहे हैं. इससे पहले ऐसा कभी नहीं हुआ है. अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन भी इस बात पर ज़ोर देते रहे हैं कि वैश्विक नजरिए से ये नाजुक दौर है और ये समय भारत-अमेरिका के बीच संबंधों के लिहाज से भी अहम है.

पढ़ाई के लिए अमेरिका पसंदीदा जगह

पढ़ाई के लिए अमेरिका जाने के मामलों में भी भारतीय छात्रों की संख्या बढ़ी है. अमेरिका के आव्रजन और सीमा शुल्क प्रवर्तन की वार्षिक रिपोर्ट में बताया गया है कि 2022 में भारतीय छात्रों की संख्या बढ़ी है और चीन के छात्रों की संख्या में कमी आई है. इस रिपोर्ट के मुताबिक पिछले साल के मुकाबले 2022 में भारत ने 64,300 अधिक छात्रों को भेजा, वहीं  चीन से यहां आने वाले छात्रों की संख्या 2021 के मुकाबले 24,796 कम रही.

सितंबर में भारत आएंगे जो बाइडेन

भारत और अमेरिका के बीच संबंधों के लिए 2023 का साल बेहद अहम साबित होने जा रहा है. जो बाइडेन के जनवरी 2021 में अमेरिका का राष्ट्रपति बनने के बाद इस साल एक ऐसी घटना होने वाली है, जिससे भारत-अमेरिकी रिश्तों में  और प्रगाढ़ता आएगी. जो बाइडेन के राष्ट्रपति बने दो साल से ज्यादा का वक्त हो गया है, लेकिन अभी तक वे भारत की यात्रा पर नहीं आए हैं. इस साल जो बाइडेन बतौर राष्ट्रपति पहली भारत यात्रा पर आने वाले हैं. भारत की अध्यक्षता में G20 का सालाना  शिखर सम्मेलन 9 और 10 सितंबर को नई दिल्ली में होगा. इस सम्मेलन में शामिल होने के लिए अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन भारत आएंगे और ये राष्ट्रपति के तौर पर उनका नई दिल्ली का पहला राजकीय दौरा भी होगा.

द्विपक्षीय रक्षा सहयोग को मिलेगा नया आयाम

चाहे व्यापार हो या फिर रक्षा सहयोग, इनके अलावा वैश्विक समस्याओं से जुड़े मुद्दों पर भी  सितंबर में जो बाइडेन की पहली भारत यात्रा के दौरान G20 शिखर सम्मेलन से इतर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ बातचीत हो सकती है. रक्षा सहयोग को नया आयाम देने को लेकर भी दोनों देशों के बीच उस वक्त घोषणा हो सकती है. हाल ही में अमेरिकी मंत्री डोनाल्ड लू ने कहा था कि भारत-अमेरिका के बीच एक प्रमुख द्विपक्षीय रक्षा सहयोग पर काम चल रहा है और अगले कुछ महीने में इसके बारे में घोषणा की जाएगी. ये सहयोग भारत को अत्याधुनिक आधुनिक रक्षा उपकरण बनाने में सक्षम बनाने से जुड़ा है. इससे भारत के लिए अपनी जरूरतों को पूरा करने के मकसद से विश्व स्तरीय रक्षा उपकरण का उत्पादन करने में तो मदद मिलेगी ही, साथ ही दुनिया का एक प्रमुख हथियार निर्यातक बनने के नजरिए से भी काफी अहम होगा.

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