Ratan Tata: रतन टाटा के जैसा कोई और हो ही नहीं सकता, एन चंद्रशेखरन ने लिखी भावुक पोस्ट
N Chandrasekaran: टाटा संस के चेयरमैन एन चंद्रशेखरन ने लिखा कि हमारे रिश्ते प्रोफेशनल थे. धीरे-धीरे उनसे बहुत कुछ सीखा और यह रिश्ता व्यक्तिगत हो गया. रतन टाटा हमेशा हमारी यादों में जिंदा रहेंगे.
N Chandrasekaran: रतन टाटा (Ratan Tata) देश की ऐसी महान शख्सियत थे, जिनके संपर्क में आने वाले भी अपने अंदर सकारात्मक बदलाव महसूस करने लगते थे. रतन टाटा के इस दुनिया से विदा ले लेने के बाद उनके व्यवहार, मानवता, परोपकार और देश के लिए सपनों के किस्से सभी की जुबान पर हैं. रतन टाटा ने सायरस मिस्त्री (Cyrus Mistry) के बाद टाटा संस (Tata Sons) की कमान एन चंद्रशेखरन (N Chandrasekaran) को सौंप दी थी. उन्होंने सोमवार को एक स्पेशल पोस्ट के जरिए रतन टाटा से जुड़ी अपनी यादें साझा की हैं.
रतन टाटा के संपर्क में आने से ही होने लगते थे बदलाव महसूस
टाटा संस के चेयरमैन एन चंद्रशेखरन ने लिखा कि रतन टाटा के जैसा कोई और हो ही नहीं सकता. उन्होंने हर उस आदमी पर अपना प्रभाव छोड़ा, जो उनके संपर्क में आया. वह एक शानदार लीडर थे. वह कर्मचारियों, समाज, देश, कारोबार से लेकर जानवरों तक के भले के लिए काम करते थे. वह देश को आगे बढ़ाने के सपने देखा करते थे. एन चंद्रशेखरन को साल 2017 में टाटा संस की कमान मिली थी. उन्होंने इसे याद करते हुए लिखा कि पहले हमारे रिश्ते प्रोफेशनल थे. फिर धीरे-धीरे उनसे एक व्यक्तिगत रिश्ता बन गया. वह हमेशा हमारी यादों में जिंदा रहेंगे.
कर्मचारियों और उनके परिवार का रखते थे विशेष ख्याल
एन चंद्रशेखरन ने लिखा कि वह अपने कर्मचारियों और उनके परिवार के बारे में बहुत गंभीरता से सोचते थे. हर समस्या का हल निकालते समेत वह इन बातों का बड़ा ख्याल रखते थे. टाटा मोटर्स (Tata Motors) में जब साल 2017 में विवाद खड़े हुए तो उन्होंने सबसे ज्यादा ध्यान इसी बात पर दिया कि किसी भी कर्मचारी पर गलत प्रभाव न पड़े. उन्होंने मेरे साथ यूनियन के नेताओं से वार्ता की. उन्होंने क्षमा मांगी कि समस्या का समाधान जल्दी नहीं निकल पाया. वह टाटा ग्रुप की हर कंपनी के कर्मचारियों के बारे में ऐसे ही विचार रखते थे. यही वजह थी कि टाटा ग्रुप ने कारोबार जगत को कई बेहतरीन बिजनेस लीडर दिए.
बॉम्बे हाउस में बदलाव कर की जाएगी आवारा कुत्तों की देखभाल
उन्होंने कहा कि हम आवारा कुत्तों की देखभाल के लिए उनके सपने को पूरा करेंगे. इसके लिए टाटा ग्रुप के हेडक्वार्टर बॉम्बे हाउस (Bombay House) में जरूरी बदलाव किए जा रहे हैं. वह इसकी डिजाइन देखकर बेहद खुश हुए थे. रतन टाटा का स्वर्गवास 86 वर्ष की उम्र में 9 अक्टूबर को हो गया था. उनका अंतिम संस्कार पूरे राजकीय सम्मान के साथ किया गया था. उनके जाने के बाद नोएल टाटा (Noel Tata) को टाटा ट्रस्ट्स (Tata Trusts) की जिम्मेदारी सौंपी गई है.
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