Salary Hike In 2023: खुशखबरी! 2022 से ज्यादा 2023 में बढ़ने वाला है आपका वेतन, 9.8% औसतन बढ़ सकती है सैलेरी
Salary Hike In 2023 Update: मंदी और वैश्विक आर्थिक संकट के बावजूद कॉरपोरेट जगत अपने कर्मचारियों के सैलेरी में जबरदस्त बढ़ोतरी करने की तैयारी में है.
Salary Hike In 2023: भले ही वैश्विक संकट के चलते 2023 में कॉरपोरेट जगत के सामने ढेरों चुनौतियां हो लेकिन 2022 के मुकाबले 2023 में भारतीय कॉरपोरेट जगत अपने कर्मचारियों के सैलेरी में ज्यादा बढ़ोतरी करने की तैयारी में हैं. एक सर्वे के मुताबिक 2022 में जहां 9.2 फीसदी औसतन वेतन में बढ़ोतरी हुई थी लेकिन 2023 में उससे ज्यादा 9.8 फीसदी की बढ़ोतरी होने की उम्मीद है और जो लोग भी ज्यादा प्रतिभाशाली हैं उनकी वेतन में और भी ज्यादा बढ़ोतरी देखने को मिल सकती है.
कोर्न फेर्री (Korn Ferry) के लेटेस्ट सर्वे के मुताबिक कंपनियां का फोकस इस बात पर है कि ज्यादा टैलेंटेड लोग कंपनियां छोड़कर कहीं और ना जाएं. इसके लिए कंपनियां शानदार प्रदर्शन करने वाले एम्पलॉयज को अलग अलग प्रकार के टैलेंट मैनेजमेंट कदम और फॉर्मल रिटेंशन और ज्यादा वेतन देकर रोकने की जुगत में जुटी हैं. 818 कंपनियों में ये सर्वे किया गया जिसमें ये माना गया कि 2023 में 9.8 फीसदी औसतन वेतन में बढ़ोतरी हो सकती है. 2020 में कोरोनाकाल के दौरान एम्पलॉयज की केवल 6.8 फीसदी औसतन वेतन बढ़ोतरी हुई थी.
सर्वे के मुताबिक लाइफ साइसेज और हेल्थकेयर में 10.2 फीसदी और हाई टेक्नोलॉजी सेक्टर्स में 10.4 फीसदी औसतन वेतन बढ़ोतरी देखने को मिल सकती है. इसके अलावा सर्विसेज में 9.8 फीसदी, ऑटोमोटिव में 9 फीसदी, केमिकल्स में 9.6 फीसदी, कंज्यूमर गुड्स में 9.8 फीसदी और रिटेल में 9 फीसदी के दर से औसतन वेतन बढ़ोतरी होने का अनुमान है.
Korn Ferry के रीजनल मैनेजिंग डायरेक्टर नवनीत सिंह ने कहा कि पूरी दुनिया में मंदी और वैश्विक आर्थिक संकट की बातें की जा रही है लेकिन भारतीय अर्थव्यवस्था को लेकर सकारात्मक सोच है कि भारत का जीडीपी 6 फीसदी के ऊपर रहने का अनुमान है. उन्होंने कहा कि कंपनियों में टॉप टैलेंट वाले लोगों की सैलेरी में 15 से 30 फीसदी तक की वेतन बढ़ोतरी देखने को मिल सकती है.
सर्वे के मुताबिक मैक्रोइकॉनमिक आउटलुक पॉजिटिव है लेकिन कस्टमर के लगातार बदलते प्रीफ्रेंस, डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन, बढ़ती साझदारी के चलते कारोबार पर नए प्रकार का दबाव बढ़ता जा रहा है. इस दबाव में आगे बने रहने और मांग का सामना करने के लिए कॉरपोरेट्स को वर्कफोर्स को ट्रांसफॉर्म करना होगा. 60 फीसदी कंपनियों ने सर्वे में कहा कि उन्होंने हाईब्रिड मॉडल अपना रखा है.
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