एक्सप्लोरर

अमेरिका की सड़कों पर विरोध में उतरीं महिलाएं आखिर क्या चाहती हैं?

अमेरिका के एक प्रांत टेक्सास में बने नए कानून ने पूरे देश की महिलाओं को हिलाकर रख दिया है और वे इसके विरोध में सड़कों पर उतर आईं हैं. ईसाई धर्म में गर्भपात करने-कराने को एक पाप माना गया है और उसी मान्यता के आधार पर टेक्सास प्रशासन ने गर्भपात के खिलाफ सख्त कानून बनाया है, जो एक सितंबर से लागू हो गया है.

इसके खिलाफ तमाम मानवाधिकार कार्यकर्ता और महिला संगठन अपने संवैधानिक अधिकारों की दुहाई देते हुए लगातार प्रदर्शन कर रहे हैं. लेकिन अमेरिका के सुप्रीम कोर्ट ने इनके जख्मों को हरा करते हुए विरोध की आग और भड़का दी है. सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को दिए अपने फैसले में टेक्सास के कानून पर रोक लगाने से साफ इंकार कर दिया है. इसका असर पूरे देश पर हुआ है और तकरीबन सभी राज्यों में महिलाओं की चिंगारी भड़क उठी है, जिसे बुझाने के लिए राष्ट्रपति जो बाइडेन को अब सीनेट के जरिये कोई निर्णायक फैसला लेना पड़ेगा.

चूंकि टेक्सास में राष्ट्रपति बाइडेन विरोधी रिपब्लिकन पार्टी की सरकार है, इसलिए ऐसी खबरें हैं कि रिपब्लिकन अपने शासन वाले अन्य प्रान्तों में भी इस कानून को लागू करने की तैयारी में हैं. इसलिए फिलहाल बाइडेन की प्राथमिकता यही है कि वे सीनेट से एक नया कानून पारित करवाकर विभिन्न राज्यों की सरकार से पास किये जाने वाले ऐसे रूढ़िवादी क़ानून के अमल पर रोक लगा सके.

अमेरिकी समाज को दुनिया में सबसे अधिक प्रगतिशील समझा जाता है,जहां महिलाएं गर्भपात कराने को बुरा नहीं समझती हैं, बल्कि वे इसे अपना मौलिक व संवैधानिक अधिकार मानती हैं और उनका पूरा यकीन है कि कोई कानून बनाकर उनसे ये हक़ छीना नहीं जा सकता.

टेक्सास के इस कानून में आखिर ऐसा क्या है?

इस कानून के मुताबिक गर्भ धारण करने के छह हफ्तों के बाद अगर कोई महिला गर्भपात कराती है, तो वह अपराध माना जायेगा. इसमें प्रावधान किया गया है कि ऐसी किसी भी घटना की खबर मिलने पर कोई भी नागरिक आरोपी महिला और गर्भपात कराने वाले क्लीनिक और डॉक्टर-नर्सों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करा सकेगा. आरोप साबित होने पर मुकदमा दर्ज कराने वाला व्यक्ति आरोपियों से दस हजार डॉलर यानी तकरीबन साढ़े सात लाख रुपये का मुआवजा पाने का अधिकारी होगा.

दरअसल, पिछली 19 मई को पारित किया गया यह कानून एक तरह से विचित्र  इसलिये भी समझा जा रहा है क्योंकि ये हर नागरिक को यह अधिकार देता है कि वो छह हफ्तों की समय सीमा के बाद गर्भपात कराने वाली महिला की मदद करने वाले किसी भी व्यक्ति के खिलाफ मुकदमा दर्ज करा सकें.इस तरह के कानून को 'हार्टबीट' गर्भपात बैन कहा जाता है और ऐसे कानून रिपब्लिकन सरकारों वाले अन्य राज्यों में भी लाए तो गए हैं लेकिन कोर्ट में लंबित मामलों के चलते उन्हें अब तक लागू नहीं किया जा सका है. इन कानूनों का उद्देश्य है कि भ्रूण के कार्डिएक टिश्यू के धड़कने का पता चल जाने के बाद गर्भपात कराना संभव ना हो सके. लेकिन टेक्सास के कानून को अब दोनों स्तरों पर अदालती हरी झंडी मिल गई है.इसीलिये महिलाओं में ये डर है कि अन्य राज्यों में भी अब इसे जल्द ही प्रभावी बना दिया जायेगा.

अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने 1973 के 'रो बनाम वेड' मामले में ऐतिहासिक फैसला देते हुए गर्भपात को कानूनी मान्यता दी थी,जिसे अब एक तरह से वहां की शीर्ष अदालत ने ये कहते हुए पलट दिया है कि ऐसे कानून को न्यायिक चुनौती तो दी जा सकती है लेकिन फ़िलहाल वो टेक्सास के इस कानून पर रोक लगाने का कोई आदेश नहीं दे रहे हैं.हालांकि ये फैसला सुनाते हुए भी वहां के जजों में आपस में मतभेद नज़र आये लेकिन 5-4 के बहुमत के आधार पर ये फैसला सुना दिया गया.विरोध करने वालों में शामिल एक महिला जज ने अपना फैसला लिखने में बेहद तल्ख टिप्पणी की है,जो अब वहां की महिलाओं के लिए सबसे बड़ा हथियार बन गई है.

वैसे तो राष्ट्रपति बनने के बाद से ही बाइडेन इस नाजुक मसले पर कुछ बोलने से बचते रहे हैं लेकिन अब उन्हें अपनी चुप्पी तोड़ने के लिए मजबूर होकर ये कहना पड़ा है कि,"टेक्सास का कानून ‘महिलाओं के संवैधानिक अधिकारों पर अभूतपूर्व हमला’ है." पर्यवेक्षकों के मुताबिक इससे पहले बाइडन ने गर्भपात के मसले पर इतनी सख्त भाषा का इस्तेमाल कभी नहीं किया था.बाइडन ने कानून में शामिल किए गए प्रावधानों को ‘विचित्र’ बताते हुए कहा कि इससे संवैधानिक अफरातफरी मच सकती है. साथ ही राष्ट्रपति ने ये भी संकल्प जताया है कि वे गर्भपात कराने के महिलाओं के अधिकार की रक्षा करेंगे. लेकिन विशेषज्ञों के मुताबिक राष्ट्रपति ऐसा कैसे करेंगे, यह अभी साफ नहीं है. व्हाइट हाउस ने अब तक यह नहीं बताया है कि वह इस मामले में क्या ठोस कदम उठाने का इरादा रखता है.

हालांकि आलोचकों का कहना है कि बाइडन प्रशासन ने पहले ऐसे कानूनों को गंभीरता से नहीं लिया क्योंकि वह इस भ्रम में रहा कि सुप्रीम कोर्ट इन कानूनों को रद्द कर देगा.डेमोक्रेटिक पार्टी के चुनाव सर्वेक्षकों में से एक मार्क मेलमैन ने टीवी चैनल सीएनएन से कहा- ‘डेमोक्रेटिक पार्टी के लिए ताजा घटना नीतिगत रूप से विनाशकारी है लेकिन इससे अब पार्टी नेताओं को यह समझ में आएगा कि गर्भपात के अधिकार का मुद्दा ऐसा नहीं है, जिसे अंतिम रूप से सुलझा हुआ समझ लिया जाए.'

बता दें कि ईसाई धर्म में गर्भपात के सम्बन्ध में भिन्न-भिन्न विचार हैं. कुछ बुद्धिजीवियों का पुराने ईसाई विचारों से विरोध है ,तो कुछ लोग आज भी यह मानते हैं कि गर्भपात करना अथवा करवाना किसी जीवित व्यक्ति की हत्या के समान ही है. हालांकि रोमन कैथोलिक ईसाइयों के सर्वोच्च धर्मगुरू पोप फ्रांसिस ने एक सितंबर 2015 को कहा था कि "गर्भपात कराने वाली महिलाओं को माफ किया जाना चाहिए.चर्च गर्भपात को पाप मानता है लेकिन अगर अब गर्भपात कराने वाली महिलाएं और इस काम में उनकी मदद करने वाले इसे स्वीकार कर लें,तो उन्हें माफ किया जा सकता है." लेकिन, यह बदलाव हमेशा के लिए नहीं है.यह सिर्फ 8 दिसंबर 2015 से शुरू होकर 20 नवंबर 2016 तक चलने वाले ईसाई समुदाय के पवित्र साल में ही लागू होगा.

वैसे अभी तक कि परंपरा यही है कि गर्भपात कराने वाली महिला खुद-ब-खुद कैथोलिक चर्च द्वारा बहिष्कृत कर दी जाती है. उस पर लगी पाबंदी तभी हटती है,जब कोई बिशप इसकी अनुमति देता है. वैटिकन ने तब जारी किये गए एक बयान में कहा था, "गर्भपात के गुनाह को माफ करने का अर्थ गर्भपात का समर्थन करना या इसके गंभीर नतीजों को कम करके आंकना नहीं है." पोप ने कहा था, "कई महिलाओं को लगता है कि उनके पास कोई अन्य विकल्प नहीं था,लिहाज़ा उनकी मजबूरियों को समझते हुए ये छूट दी गई है."

नोट- उपरोक्त दिए गए विचार लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं. ये जरूरी नहीं कि एबीपी न्यूज ग्रुप इससे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

और देखें

ओपिनियन

Advertisement
Advertisement
25°C
New Delhi
Rain: 100mm
Humidity: 97%
Wind: WNW 47km/h
Advertisement

टॉप हेडलाइंस

Weather Update: IMD ने दी खुशखबरी, इन राज्यों में पहले आएगा मानसून, दिल्ली-UP में हीटवेव का अलर्ट, जानें कब मिलेगी राहत
IMD ने दी खुशखबरी, इन राज्यों में पहले आएगा मानसून, दिल्ली-UP में हीटवेव का अलर्ट, जानें कब मिलेगी राहत
महाराष्ट्र में NDA को क्यों मिली कम सीटें? रामदास अठावले ने किया ये दावा
महाराष्ट्र में NDA को क्यों मिली कम सीटें? रामदास अठावले ने किया ये दावा
जब भरे सेट पर सोनाली बेंद्रे को मारने के लिए तैयार हो गई थीं ये कोरियोग्राफर, जानें किस्सा
जब भरे सेट पर सोनाली को मारने वाली थीं ये कोरियोग्राफर, जानें किस्सा
T20 WC 2024: यह पाकिस्तान क्रिकेट का सबसे निचला स्तर है, इससे नीचे नहीं गिर सकता... पाक ऑलराउंडर ने कह डाली बड़ी बात
यह पाकिस्तान क्रिकेट का सबसे निचला स्तर है, इससे नीचे नहीं गिर सकता... पाक ऑलराउंडर ने कह डाली बड़ी बात
metaverse

वीडियोज

Sheena Bora Murder Case: शीना बोरा हत्याकांड में आया सनसनीखेज मोड़ | ABP News | Breaking | CBINEET Row: NEET परीक्षा में कैसे की गई घपलेबाजी ? देखिए पूरी रिपोर्ट | ABP News  | BreakingBreaking News: केंद्रीय गृहमंत्री Amit Shah की मौजूदगी में 5.30 घंटे तक चली बैठक | ABP NewsNEET Row: NEET पेपर में गड़बड़ी का खुलासा होने के बाद क्या बोले छात्र ? | ABP News |  Breaking News

पर्सनल कार्नर

टॉप आर्टिकल्स
टॉप रील्स
Weather Update: IMD ने दी खुशखबरी, इन राज्यों में पहले आएगा मानसून, दिल्ली-UP में हीटवेव का अलर्ट, जानें कब मिलेगी राहत
IMD ने दी खुशखबरी, इन राज्यों में पहले आएगा मानसून, दिल्ली-UP में हीटवेव का अलर्ट, जानें कब मिलेगी राहत
महाराष्ट्र में NDA को क्यों मिली कम सीटें? रामदास अठावले ने किया ये दावा
महाराष्ट्र में NDA को क्यों मिली कम सीटें? रामदास अठावले ने किया ये दावा
जब भरे सेट पर सोनाली बेंद्रे को मारने के लिए तैयार हो गई थीं ये कोरियोग्राफर, जानें किस्सा
जब भरे सेट पर सोनाली को मारने वाली थीं ये कोरियोग्राफर, जानें किस्सा
T20 WC 2024: यह पाकिस्तान क्रिकेट का सबसे निचला स्तर है, इससे नीचे नहीं गिर सकता... पाक ऑलराउंडर ने कह डाली बड़ी बात
यह पाकिस्तान क्रिकेट का सबसे निचला स्तर है, इससे नीचे नहीं गिर सकता... पाक ऑलराउंडर ने कह डाली बड़ी बात
EVM row: 'ईवीएम को अनलॉक करने के लिए OTP की जरूरत नहीं,' सांसद रवींद्र वायकर की सीट पर छिड़ा बवाल तो चुनाव आयोग ने दी सफाई
'ईवीएम को अनलॉक करने के लिए OTP की जरूरत नहीं,' सांसद रवींद्र वायकर की सीट पर छिड़ा बवाल तो चुनाव आयोग ने दी सफाई
भाजपा के लिए माननीय की भूमिका निभा रहे मोहन भागवत, मजबूती के लिए समीक्षा जरूरी
भाजपा के लिए माननीय की भूमिका निभा रहे मोहन भागवत, मजबूती के लिए समीक्षा जरूरी
Ashadha Month: धार्मिक और सेहत के लिहाज से महत्वपूर्ण है आषाढ़, इस महीने इन देवताओं का रहता है प्रभाव
धार्मिक और सेहत के लिहाज से महत्वपूर्ण है आषाढ़, इस महीने इन देवताओं का रहता है प्रभाव
Income Tax Return: करना है आईटीआर फाइल तो इन डॉक्यूमेंट्स को रखें तैयार, नहीं होगी कोई दिक्कत
करना है ITR फाइल तो इन डॉक्यूमेंट्स को रखें तैयार, नहीं होगी कोई दिक्कत
Embed widget