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यूपी चुनाव: चुनावी इतिहास में पहली बार आवारा पशु भी आ धमके सियासी अखाड़े में !
![यूपी चुनाव: चुनावी इतिहास में पहली बार आवारा पशु भी आ धमके सियासी अखाड़े में ! UP Elections For the first time in electoral history stray animals also came in the political arena यूपी चुनाव: चुनावी इतिहास में पहली बार आवारा पशु भी आ धमके सियासी अखाड़े में !](https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2022/02/23/afddeb53d942c3100f8ab878f1a1835a_original.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=1200&height=675)
किसी प्रदेश के विधानसभा चुनाव में आवारा पशु भी एक बड़ा चुनावी मुद्दा बन जाए ऐसा देश के राजनीतिक इतिहास में पहली बार देखने को मिल रहा है. लेकिन उत्तर प्रदेश के चुनाव में ये एक बड़ा मुद्दा बन चुका है जिसने काफी हद तक बीजेपी की चिंता इसलिए भी बढ़ा दी है कि इससे खासी मात्रा में किसानों की नाराजगी झेलनी पड़ेगी.
शायद इसलिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को योगी सरकार द्वारा बनाये गए इस कठोर कानून के बचाव में आकर किसानों को ये भरोसा दिलाना पड़ा कि यूपी के किसानों को छुट्टा जानवरों से हो रही दिक्कतों को हम गंभीरता से ले रहे हैं. साथ ही हमने इसके रास्ते भी खोजे हैं जिस पर 10 मार्च को चुनावी नतीजे आने के बाद अमल होगा. लेकिन उनके इस ऐलान पर भी सियासत गरमा गई है और कांग्रेस ने उस पर बेहद तल्ख भाषा में निशाना साधा है.
चुनाव के पांचवे चरण में यूपी के 10 जिलों की 60 सीटों पर 27 फरवरी को मतदान होना है जहां खेतीहर किसानों के लिए आवारा पशुओं से उनकी फसल चौपट होना एक बड़ा मुद्दा बन चुका है. इसके खतरे को भांपते हुए ही पीएम मोदी ने मंगलवार को एक चुनावी रैली को संबोधित करते हुए कहा कि 'यूपी के किसानों को छुट्टा जानवरों से हो रही दिक्कतों को हम गंभीरता से ले रहे हैं. हमने रास्ते खोजे हैं. 10 मार्च को आचार संहिता समाप्त होने के बाद. नई सरकार बनने के बाद, योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में उन सारी नई योजनाओं को हम लागू कर देंगे.
दरअसल, पांच साल पहले यूपी की सत्ता में काबिज होते ही योगी आदित्यनाथ सरकार ने अवैध बूचड़खानों के खिलाफ सख्ती बरतना शुरु कर दी थी लेकिन सरकार ने गाय की रक्षा के लिए बेहद सख्त कानून बना दिया. जून 2020 में योगी सरकार ने एक अध्यादेश के जरिये गौ हत्या करने पर अधिकतम 10 साल की सजा और 5 लाख रुपये तक के जुर्माने वाले प्रावधान वाला कानून बना दिया.
गौकशी करने और गोवंश के खिलाफ होने वाले अपराधों को संज्ञेय व गैरजमानती बना दिया गया है. हालांकि 2020 से पहले तक गोवंश को नुकसान पहुंचाने पर सजा का कोई प्रावधान नहीं था. लेकिन ये कानून बन जाने के बाद प्रदेश के किसान आवारा पशुओं से बेहद परेशान हैं. किसानों को अपनी फसल को बचाने के लिए खेतों में बाड़े तो लगाने ही पड़ रहे हैं साथ ही उन्हें रातभर जागकर निगरानी भी करनी पड़ती है. इसके बावजूद ऐसे छुट्टा पशुओं से फसलों को बचाना किसानों के लिए काफी मुश्किल साबित हो रहा है. विपक्ष ने किसानों की परेशानी की नब्ज समझते हुए इसे फौरन लपक लिया और इसे एक प्रमुख चुनावी मुद्दा बनाकर बीजेपी को घेरने की रणनीति भी बना ली. लेकिन अहम बात ये है कि इस मसले पर अपने चुनावी- प्रचार में समाजवादी पार्टी और कांग्रेस ने जो बातें कहीं उसका असर भी किसानों पर होते दिखा.
कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी और समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव इस मुद्दे पर बीजेपी को लगातार घेरने में कोई कसर बाकी नहीं रख रहे हैं. वे अपनी-अपनी रैलियों में पुरजोर तरीके से इसका जिक्र करते आ रहे हैं. लेकिन किसानों को लुभाने के लिए अखिलेश यादव ने तो ये घोषणा भी कर दी है कि प्रदेश में उनकी सरकार बनी तो सांडों की वजह से जान गंवाने वाले को 5 लाख रुपये की मदद मिलेगी. वहीं, प्रियंका गांधी ने यूपी के मतदाताओं से वादा किया है कि कांग्रेस की सरकार बनने पर छत्तीसगढ़ के मॉडल की तर्ज़ पर ही आवारा पशुओं की समस्या का समाधान किया जाएगा. इसके तहत किसानों से गोबर खरीदने का वादा किया गया है.
चूंकि जमीन पर काम कर रहे संघ के स्वयंसेवकों को जब ये अहसास हुआ कि यूपी के ग्रामीण इलाकों में ये एक बड़ा मुद्दा बन गया है और योगी सरकार के इस फैसले का बीजेपी को खामियाजा भी भुगतना पड़ सकता है तब उन्होंने जिलेवार अपना पूरा फीडबैक ऊपर बैठे पदाधिकारियों तक पहुंचाया. सूत्रों की मानें तो संघ ने इसे गंभीरता से लेते हुए बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व को आगाह किया कि इस मुद्दे पर किसानों की नाराजगी को थामने के लिए पार्टी के मंच से ही कोई ठोस भरोसा दिए जाने की जरुरत है अन्यथा इसका नुकसान उठाना पड़ सकता है.
राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि उसके बाद ही पीएम मोदी ने इस मुद्दे पर लोगों की चिंताएं दूर करने का मोर्चा खुद संभाला और मंगलवार को बहराइच में हुई रैली में इसका जिक्र करते हुए किसानों को भरोसा दिलाने का बीड़ा उठाया. यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ अगर यही बात कहते तो हो सकता है कि लोग उनकी बात पर इतना भरोसा न करते क्योंकि उन्हीं की सरकार ने इतना कड़ा कानून बनाया था. लेकिन देखना ये है कि यूपी चुनाव के बाकी बचे तीन चरणों में किसान पीएम की बात पर भरोसा करते हुए बीजेपी का कितना साथ देते हैं?
(नोट- उपरोक्त दिए गए विचार लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं. ये जरूरी नहीं कि एबीपी न्यूज ग्रुप इससे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.)
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