एक्सप्लोरर

कोरोना संकट: कोविड-19 से कैसे निपटेगा भारत?

रोकने का उपाय बताया जा रहा है. यह उम्मीद तो है कि टीका और दवा बना ली जाएगी लेकिन तब तक यह वायरस दुनिया की आबादी के एक बड़े हिस्से को संक्रमित कर चुका होगा और लाखों लोगों को लील चुका होगा!

चीन से चले कोरोना ने पूरे विश्व को दिखा दिया है कि रोगाणुओं का संसार अनादि व अनंत है और मनुष्य पर यह उनका आखिरी हमला नहीं है. लिहाजा, यह सिर्फ जी को बहलाने जैसी बात है कि आधुनिक विज्ञान ने संक्रामक रोगों पर विजय प्राप्त कर ली है और मात्र साबुन से हाथ धोने जैसे उपाय करके उनसे बचा जा सकता है.

विश्व स्वास्थ्य संगठन, पब्लिक हेल्थ इंग्लैंड और नेशनल हेल्थ सर्विस (एनएचएस) ने कोरोना संक्रमण से बचने की जो गाइडलाइन जारी की है उसका पालन सामर्थ्यवान मनुष्य तो कर लेगा, लेकिन जो अपनी रोजी-रोटी अथवा कार्य की प्रकृति के चलते मजबूर होगा वह घर में अकेले कैसे पड़ा रह सकेगा? किसी मजदूर को आप मजदूरी करने से कैसे रोकेंगे? किसी होटल या ढाबे को क्यों बंद करेंगे? फल-फूल बेचने वालों, ब्रेड-दूध-सब्जियां-अखबार बेचने वालों, रेहड़ी-पटरी वालों को ठेले न लगाने के लिए कैसे मनाएंगे? किसी डॉक्टर, इंजीनियर, वकील, शिक्षक या पत्रकार को काम पर निकलने से क्यों कर रोकेंगे? लेकिन सबके मन में यह भय तो पसर ही चुका है कि वर्तमान में इस वायरस का न कोई चारागर है न कोई दवा! यह एक ऐसा दैत्य है जो एक बार संपर्क में आने पर जिंदा नहीं छोड़ेगा.

एकअनुमान के मुताबिक दुनिया के 70 देशों में लगभग 5800 लोग कोरोना वायरस के चलते मारे जा चुके हैं और इनमें से 3100 लोग सिर्फ चीन के हुबेई प्रांत में ही मारे गए. यही वजह है कि आज कोरोना के कहर से हर देश कांप रहा है. यहां तक कि ब्रिटेन की महारानी एलिजाबेथ द्वितीय को बिजी बर्मिंघम पैलेस छोड़कर कम भीड़भाड़ वाले विंडसर कासल में शरण लेनी पड़ी है! दुनिया भर में लोग घर से बाहर न निकलने को सबसे सुरक्षित मान रहे हैं. फेसबुक, गूगल और अमेजन जैसे इंटरनेशनल कॉरपोरेट ने अपने अधिकतर कर्मचारियों से पहले ही ‘वर्क फ्रॉम होम’ मोड में डाल दिया है.

किसी भी बीमारी के संदर्भ में आदर्श वाक्य है- ‘सावधानी और रोकथाम ही सुरक्षा है.’लेकिन कोविड-19 उर्फ कोरोना वायरस के मामले में यह आदर्श वाक्य एक लाचारी बन गया है क्योंकि इस वायरस से बचने का कारगर टीका या दवा की टिकिया दुनिया का कोई भी आविष्कारक विकसित नहीं कर पाया है. तथ्य यह भी है कि इस वायरस को झेलने या उपचार करने का किसी जीवित व्यक्ति को अनुभव ही नहीं है. इसीलिए दुनिया भर के चिकित्सक कोई दवा खाने की नहीं बल्कि मात्र सावधानी बरतने की सलाह ही दे पा रहे हैं. दूसरे देशों से आए या लाए गए लोगों को क्वारंटीन और आइसोलेट करना ही इसके प्रसार को

रोकने का उपाय बताया जा रहा है. यह उम्मीद तो है कि टीका और दवा बना ली जाएगी लेकिन तब तक यह वायरस दुनिया की आबादी के एक बड़े हिस्से को संक्रमित कर चुका होगा और लाखों लोगों को लील चुका होगा!

मनुष्य जाति के इतिहास में युद्ध, महामारी, अकाल, बाढ़, भूकंप और अन्य प्राकृतिक आपदाओं से हुई मौतों के आंकड़े अनंत हैं. लेकिन उन मामलों में दुश्मन दृश्यवान रहता था. उसका सामाजिक, आर्थिक या सैन्य इलाज किया जा सकता था. स्पेनिश इन्फ्लुएंजा, चेचक, हैजा, पोलियो, इंसेफेलाइटिस, एड्स, स्वाइन फ्लू या बर्ड फ्लू के मामलों में मच्छर, बंदर, सुअर या पक्षियों को वायरस का वाहक मान कर उनका सफाया किया गया और प्रतिरोधी वैक्सीन बना ली गईं. लेकिन कोरोना दुश्मन अदृश्य है और इसीलिए प्रलयंकर बन गया है. अभी मात्र अनुमान ही लगाया जा रहा है कि पहले यह वायरस मात्र जंगली जानवरों में होता था लेकिन इन जानवरों के प्राकृतिक आवास नष्ट हो जाने के चलते यह मनुष्यों कीआबादी में प्रविष्ट हो गया. एक कयास यह भी है कि इसे जैविक हथियार के रूप में किसी ताकतवर देश ने विकसित किया है. लेकिन इस दौर में न तो मनुष्य का जानवरों के प्राकृतिक इलाकों में अतिक्रमण रोका जा सकता, न ही इसकी काट में कोई जैविक हथियार विकसित किया जा सकता.

अगर हम विभिन्न देशों में कोरोना वायरस से संक्रमण की हफ्तेवार प्रगति देखें, तो भारत में यह सबसे कम रही है. फ्रांस में पहले हफ्ते 12 लोक संक्रमित बताए गए और चौथे हफ्ते में यह संख्या 4499 हो गई, स्पेन में इसी अवधि में 8 से 6043 हुई, ईरान में पहले से पांचवें हफ्ते तक 2 से 12727 पहुंच गई, इटली में इसी अवधि में 3 से 21157 हो गई, जबकि भारत में पहले से तीसरे हफ्ते तक यह संख्या 3 से बढ़ कर मात्र 105 तक ही पहुंची. फिलहाल भारत में मौतों का आंकड़ा भयावह नहीं है. एहतियात के तौर पर लगभग हर राज्य में स्कूल, कॉलेज, पुस्तकालय, सिनेमा हॉल, मैरिज हॉल, चिड़ियाघर, फिल्मों की शूटिंग, परीक्षाएं आदि बंद या स्थगित हैं तथा न्यायालयों का कामकाज सीमित कर दिया गया है. लेकिन लोग यह सोचने लगे हैं कि जब चीन, यूरोपीय यूनियन और अमेरिका जैसे विकसित देश इस वायरस का मुकाबला कर पाने में अक्षम हैं तो भारत जैसे अविकसित और सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवा वंचित देश इसका क्या खाकर मुकाबला करेंगे!

भारत में संक्रमित मरीजों की संख्या कम दिखने की एक वजह यह भी हो सकती है कि लगभग 130 करोड़ की आबादी में से अब तक 6-7 हजार लोगों का ही विधिवत परीक्षण हुआ है और यह परीक्षण भी कुछ हवाई अड्डों और बंदरगाहों पर मात्र विदेश से आने वाले व्यक्तियों तक सीमित है. सामुदायिक परीक्षण की हमारे यहां संकल्पना ही नहीं है. बाहर से भारत आया बिना प्रारंभिक लक्षण वाला कोई व्यक्ति अगर अपने समुदाय में घूम कर कई

लोगों को संक्रमित कर चुका है, तो उन्हें पहचानने और आइसोलेट करने की क्या तैयारी है? इसके बरक्स तमिलनाडु से भी कम आबादी वाला देश दक्षिण कोरिया 250,000 से ज्यादा लोगों का परीक्षण कर चुका है और उसने सड़कों के किनारे तक परीक्षण केंद्र खोल रखे हैं.

आम भारतीयों की आदत है कि वे खाट पकड़ लेने से पहले तक डॉक्टर के पास जाने से कतराते हैं. आज घबरा कर अगर कोई कोरोना संक्रमण का परीक्षण कराना भी चाहे तो जिला स्तर कोई केंद्र ढूंढे नहीं मिलेगा. आईसीयू, वेंटीलेटर और श्वसन संबंधी आपात प्रबंधनदूर की कौड़ी है. भारत के कई जिले छोटे-मोटे देशों से बड़े होते हैं और इनकी आबादी 50- 60 लाख तक की होती है. साफ-सफाई को तरसते जिला सरकारी अस्पताल वायरल बुखार या डायरिया तक के मरीजों का इलाज करने के लिए सुसज्जित नहीं रहते. ऐसे में किसी जिले की 1% संक्रमित आबादी को भी कोई सेंटर या अस्पताल कैसे संभालेगा?

भारत में कोरोना के प्रवेश का यह शुरुआती चरण है. इसे युद्ध स्तर पर यहीं रोकना होगा और स्थानीय अस्पतालों को आपातकालीन मोड पर रखना होगा. नेशनल हेल्थ सिस्टम्स रिसोर्स सेंटर, दिल्ली के पूर्व प्रमुख और स्कूल ऑफ हेल्थ सिस्टम्स स्टडीज, टीआईएसएस मुंबई के डीन रह चुके टी. सुंदरारमन का मानना है कि अगर भारत में इस वायरस ने फ्लू के नियमित पैटर्न के अनुसार मानसून के बाद जुलाई के आसपास जोर पकड़ा, तो पहले से ही गरीबी, प्रदूषण, बीमारी, कुपोषण और चिकित्सकीय सुविधाओं का भारी अभाव झेल रहे हमारे राष्ट्र को इसे संभाल पाना बेहद मुश्किल होगा.

लेखक से ट्विटर पर जुड़ने के लिए क्लिक करें- https://twitter.com/VijayshankarC और फेसबुक पर जुड़ने के लिए क्लिक करें- https://www.facebook.com/vijayshankar.chaturvedi

(नोट- उपरोक्त दिए गए विचार व आंकड़े लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं. ये जरूरी नहीं कि एबीपी न्यूज ग्रुप इससे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.)

View More

ओपिनियन

Sponsored Links by Taboola
25°C
New Delhi
Rain: 100mm
Humidity: 97%
Wind: WNW 47km/h

टॉप हेडलाइंस

Indigo CEO Summoned: DGCA के सामने पेशी से पहले इंडिगो के सीईओ ने मांगी एक दिन की मोहलत, इन सवालों के देने होंगे जवाब
DGCA के सामने पेशी से पहले IndiGo के CEO ने मांगी एक दिन की मोहलत, इन सवालों के देने होंगे जवाब
UP में शिक्षामित्रों के लिए खुशखबरी, गृह जिले में होगी वापसी, हजारों विवाहित महिलाओं को होगा फायदा
UP में शिक्षामित्रों के लिए खुशखबरी, गृह जिले में होगी वापसी, हजारों विवाहित महिलाओं को होगा फायदा
इस टीम के मेंटॉर और बैटिंग कोच बने दिनेश कार्तिक, जिम्मेदारी मिलने पर बोले- यह सपना सच होने जैसा
इस टीम के मेंटॉर और बैटिंग कोच बने दिनेश कार्तिक, जिम्मेदारी मिलने पर बोले- यह सपना सच होने जैसा
SIR पर जोरदार बहस, वकील ने चुनाव आयोग के अधिकारों पर उठाए सवाल तो सुप्रीम कोर्ट ने सख्ती से पूछा- तो क्या संदिग्ध लोगों को...
SIR पर जोरदार बहस, वकील ने चुनाव आयोग के अधिकारों पर उठाए सवाल तो सुप्रीम कोर्ट ने सख्ती से पूछा- तो क्या संदिग्ध लोगों को...
ABP Premium

वीडियोज

Census 2027 High Tech: Real Time Monitoring से बदल जाएगा पूरा System | Paisa Live
IndiGo Crisis:  इंडिगो पर सरकार का ताबड़तोड़ एक्शन, अब यात्रियों को नहीं होगी परेशानी! #indigoupdate
Aniruddhacharya Controversy:  ज्ञानी बाबा पर कोर्ट लगाएगी क्लास, अब तो माफी मांगनी पड़ेगी!
Goa Nightclub Fire:  लूथरा ब्रदर्स का थाईलैंड पार्टी पुलिस ने ऐसे किया EXPOSE
Aniruddhacharya Controversy: महिलाओं का अपमान करना कब बंद करेंगे बाबा?

पर्सनल कार्नर

टॉप आर्टिकल्स
टॉप रील्स
Indigo CEO Summoned: DGCA के सामने पेशी से पहले इंडिगो के सीईओ ने मांगी एक दिन की मोहलत, इन सवालों के देने होंगे जवाब
DGCA के सामने पेशी से पहले IndiGo के CEO ने मांगी एक दिन की मोहलत, इन सवालों के देने होंगे जवाब
UP में शिक्षामित्रों के लिए खुशखबरी, गृह जिले में होगी वापसी, हजारों विवाहित महिलाओं को होगा फायदा
UP में शिक्षामित्रों के लिए खुशखबरी, गृह जिले में होगी वापसी, हजारों विवाहित महिलाओं को होगा फायदा
इस टीम के मेंटॉर और बैटिंग कोच बने दिनेश कार्तिक, जिम्मेदारी मिलने पर बोले- यह सपना सच होने जैसा
इस टीम के मेंटॉर और बैटिंग कोच बने दिनेश कार्तिक, जिम्मेदारी मिलने पर बोले- यह सपना सच होने जैसा
SIR पर जोरदार बहस, वकील ने चुनाव आयोग के अधिकारों पर उठाए सवाल तो सुप्रीम कोर्ट ने सख्ती से पूछा- तो क्या संदिग्ध लोगों को...
SIR पर जोरदार बहस, वकील ने चुनाव आयोग के अधिकारों पर उठाए सवाल तो सुप्रीम कोर्ट ने सख्ती से पूछा- तो क्या संदिग्ध लोगों को...
पॉपुलर एक्ट्रेस कृतिका कामरा ने कंफर्म किया रिलेशनशिप, क्रिकेट होस्ट गौरव कपूर को कर रहीं डेट
पॉपुलर एक्ट्रेस कृतिका कामरा ने कंफर्म किया रिलेशनशिप, क्रिकेट होस्ट को कर रहीं डेट
Kidney Damage Signs: आंखों में दिख रहे ये लक्षण तो समझ जाएं किडनी हो रही खराब, तुरंत कराएं अपना इलाज
आंखों में दिख रहे ये लक्षण तो समझ जाएं किडनी हो रही खराब, तुरंत कराएं अपना इलाज
छात्रों के लिए बड़ा मौका, RBI में पा सकते हैं इंटर्नशिप; ये है अप्लाई करने की आखिरी तारीख
छात्रों के लिए बड़ा मौका, RBI में पा सकते हैं इंटर्नशिप; ये है अप्लाई करने की आखिरी तारीख
मौत के बाद हिंदुओं में की जाती है तेरहवीं, मुस्लिमों में क्या है रिवाज?
मौत के बाद हिंदुओं में की जाती है तेरहवीं, मुस्लिमों में क्या है रिवाज?
Embed widget