एक्सप्लोरर

अमेरिका चाहे मिडिल ईस्ट पर अपना कब्जा, चेहरा चमकाने के लिए कुछ अंतराल पर देता है इजरायल को चेतावनी

अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन ने अभी हाल ही में इजरायल को सावधान रहने की सलाह दी है. इसके पहले भी हमास और इजरायल के बीच युद्ध को लगभग दो महीने होनेवाले हैं. इस बीच लगभग 18 हजार नागरिकों की मौत हो चुकी है. इस बार संघर्षविराम के प्रस्ताव के लिए तो खुद संयुक्त राष्ट्र के महासचिव को हस्तक्षेप करना पड़ा. उन्होंने यूएन का चार्टर 99 लागू किया, ताकि किसी भी हालत में वोटिंग हो ही. वह चाहते थे कि किसी भी तरह से युद्धविराम हो. हालांकि, इजरायल लगातार बमबारी कर रहा है और इसके उसके पास अपने जायज कारण भी हैं कि हमास को बिना हराए, बिना उससे हथियार रखवाए वह इस युद्ध को नहीं रोकेगा, लेकिन नागरिकों की जिस तरह हत्या हुई है, उससे इजरायल पूरी दुनिया, बल्कि कहें तो पश्चिमी देशों की भी सहानुभूति खो रहा है. इस बार तो कनाडा ने भी उसके खिलाफ वोट दिया है.

अगर हम देखें तो 2 वर्षों में रूस-यूक्रेन युद्ध के दौरान जो हताहतों की संख्या है, उसकी तुलना 2 महीने के हमास-इजरायल संघर्ष से करने पर पता चल जाता है कि हताहतों की संख्या गाजापट्टी में अधिक है. इससे यह भी ऊंगली अमेरिका पर उठती है कि वह मानवाधिकारों के उल्लंघन में साथ है, कोई कार्रवाई इजरायल पर नहीं कर रहा है. अमेरिका इसीलिए बस अपना चेहरा बचाना चाह रहा है और वह नहीं चाहता है कि ग्लोबल साउथ, खासकर भारत जैसी उभरती ताकतें, उस पर आरोप न लगाए कि एक तरफ तो सार्वजनिक स्तर पर इजरायल की वे आलोचना करते हैं औऱ दूसरी तरफ तत्काल संघर्षविराम के लिए जब वोटिंग होती है तो अमेरिका वीटो पावर का भी इस्तेमाल करता है. 

अमेरिका चला रहा दोहरी नीति

ये जो दोहरी नीति पर अमेरिका चल रहा है, वह बहुत अधिक दिनों तक नहीं चलनेवाला है. मुस्लिम देशों में भी इस युद्ध को लेकर खासी नाराजगी है और अमेरिका को इसका भी खामियाजा भुगतना पड़ सकता है. कई बार अमेरिका की यह नीति रही है, खासकर अगर हम पिछले दो-तीन दशकों का अगर खाका उठाएं, तो अमेरिका के प्रति मुस्लिम देशों में कभी तो नाराजगी रही है और कभी दिलचस्पी. कभी वे खुश रहे हैं और कभी नाराज रहे हैं. हालांकि, बीते दिनों जो अल-कायदा और आइसिस का खात्मा हुआ था, उससे कुल मिलाकर अमेरिका के प्रति मुस्लिम देश प्रसन्न ही थे. अमेरिका ने जो अब्राहम-अकॉर्ड या आइ2यू2 वाले बहुपक्षीय या द्विपक्षीय समझौते किए, उनका भी एक सकारात्मक असर ही पड़ा है.

हालांकि, मौजूदा हमास-इजरायल युद्ध ने यह मामला भी ठंडे पानी में डाल दिया है. अमेरिका के जो दोस्त मुस्लिम देश थे, वे अब दूसरी ओर झुक रहे हैं. सऊदी अरब बहुत पुराना दोस्त था, जो अब विकल्प तलाश रहा है. उसी तरह बाकी मुस्लिम देश भी रूस या चीन में दोस्तों को खोज रहे हैं. यह कहना भी गलत नहीं होगा कि आनेवाले दिनों में मिडल-ईस्ट में केवल इजरायल बचा रहे जो अमेरिका के साथ खड़ा हो. दरअसल, यूएई और सऊदी ने तो अमेरिका को (इजरायल संबंधी) उनका समर्थन ही दिया था, जब वे समझौता करना चाहते थे, बीच की कोई राह निकालना चाहते थे. आखिर, मुस्लिम देशों की जो अपनी घरेलू राजनीति है, जो उनकी अपनी कांस्टिट्यूएन्सी है, उसको भी तो उन्हें एड्रेस करना ही है. इसलिए, यहां अमेरिका की हालत बिल्कुल खड्ग की धार पर चलने जैसी हो गयी है. 

मुस्लिम देशों पर स्वार्थ हावी

दुनियावी राजनीति हालांकि इतनी सीधी और सरल नहीं होती कि हम कह दें कि हमास-इजरायल युद्ध (य़ा ऐसे किसी भी संघर्ष में) में इस एक देश की हार हो गयी या इसकी जीत हो गयी है. दो वर्षों से रूस और यूक्रेन का युद्ध चल रहा है, हम देख रहे हैं कि अमेरिका विश्व-जनमत को रूस के खिलाफ करना चाहता है, लेकिन ऐसा कुछ हो नहीं रहा है. मुस्लिम देश भी बंटे हैं औऱ उनके भी अपने हित सर्वोपरि हैं. कहें तो पिछले लगभग दशक भर से तो फिलिस्तीन मसले का कोई नामलेवा ही नहीं था. दुनिया में आइसिस, सीरिया और अल-कायदा जैसी समस्याएं थीं.

हालिया हमले ने बल्कि दुनिया के सामने फिर से वही हालात ला दिए हैं, जब फिलिस्तीन हरेक देश की कार्यसूची में ऊंचे स्थान पर था. मुस्लिम देशों की एकता पहले भी बहुत गंभीर नहीं था. वे मिलते-जुलते हैं, प्रस्ताव पारित करते हैं और बाकी समय अमेरिका की गुलामी करते हैं. मुस्लिम देश एक कोशिश करके सार्वजनिक विचार का निर्माण कर सकते हैं, ताकि अमेरिका पर दबाव बने और वह अपनी नीतियों को बदलने की कोशिश करे, खासकर बात अगर इजरायल के संदर्भ में हो रही है तो. इजरायल को बहुत अधिक दबाव डालना मुश्किल है, साथ ही मुस्लिम देश भी उसे रोक दें, इतनी ताकत अभी ईरान के पास भी नहीं है. बाकी मुस्लिम देश भी केवल बयान जारी कर सकते हैं, खुद मैदान में नहीं उतर सकता. 

भारत की नीति सर्वोत्तम

हमास औऱ इजरायल के बीच युद्ध को लेकर भारत सरकार ने बहुत बढ़िया संतुलन साधा है. भारत ने मानवीय त्रासदी वाले प्रस्ताव का समर्थन किया है, टू-नेशन थियरी का भी समर्थन किया है. इतना ही नहीं, भारत ने तो पहला आतंकी हमला होते ही उसकी कड़ी निंदा की थी. तो, इस तरह के किसी भी मसले का हल भारत हमेशा ही बातचीत (द्विपक्षीय) और शांति से निकालने के समर्थन में रहा है. भारत की यह दो-टूक है कि आतंक पर कोई समझौता नहीं होगा और मानवीय त्रासदी को किसी भी तरह बढ़ावा नहीं दिया जाएगा. भारत इस वक्त पसंदीदा स्थिति में है. भारत पर कोई ऊंगली नहीं उठा रहा, भले ही यहां के विपक्षी दल उठा रहे हों औऱ भारत ने बहुत शानदार ढंग से संतुलन साधा हुआ है. 

[नोट- उपरोक्त दिए गए विचार लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं. यह ज़रूरी नहीं है कि एबीपी न्यूज़ ग्रुप इससे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ़ लेखक ही ज़िम्मेदार हैं.]

View More

ओपिनियन

Sponsored Links by Taboola
25°C
New Delhi
Rain: 100mm
Humidity: 97%
Wind: WNW 47km/h

टॉप हेडलाइंस

श्रीनगर एयरपोर्ट से इंडिगो एयरलाइंस की दूसरी बार उड़ानें रद्द, यात्रियों की बढ़ी परेशानी
श्रीनगर एयरपोर्ट से इंडिगो एयरलाइंस की दूसरी बार उड़ानें रद्द, यात्रियों की बढ़ी परेशानी
अचारी बैगन के साथ लच्छा पराठा और..., राष्ट्रपति भवन में पुतिन को 'शाही डिनर' में क्या-क्या परोसा गया?
अचारी बैगन के साथ लच्छा पराठा और..., राष्ट्रपति भवन में पुतिन को 'शाही डिनर' में क्या-क्या परोसा गया?
Bigg Boss 19: शो में जाने से पहले क्या अमाल मलिक को डेट कर चुकी हैं मालती चाहर? बता दी सच्चाई
शो में जाने से पहले क्या अमाल मलिक को डेट कर चुकी हैं मालती चाहर? बता दी सच्चाई
गौतम गंभीर पर भड़के रविचंद्रन अश्विन, ये ऑलराउंडर है वजह; कहा- वो खुद की पहचान...
गौतम गंभीर पर भड़के रविचंद्रन अश्विन, ये ऑलराउंडर है वजह; कहा- वो खुद की पहचान...
ABP Premium

वीडियोज

PPF में ये गलती मत करें! वरना बंद हो जाएगा Tax-Free Interest| Paisa Live
LIC के नए Protection Plus & Bima Kavach! क्या ये Plans आपके लिए सही हैं?| Paisa Live
Education Inflation 15% तक! बच्चों की पढ़ाई के लिए 2 करोड़ कैसे बनाएं? पूरी planning समझें|
Indigo Flight News: जनता की समस्या को मिला समाधान एयर इंडिय, स्पासजेट शुरु करेंगे अतिरिक्त उड़ान !
Interview: Tarun Garg, COO, Hyundai Motor India on Hyundai Creta electric | Auto Live

पर्सनल कार्नर

टॉप आर्टिकल्स
टॉप रील्स
श्रीनगर एयरपोर्ट से इंडिगो एयरलाइंस की दूसरी बार उड़ानें रद्द, यात्रियों की बढ़ी परेशानी
श्रीनगर एयरपोर्ट से इंडिगो एयरलाइंस की दूसरी बार उड़ानें रद्द, यात्रियों की बढ़ी परेशानी
अचारी बैगन के साथ लच्छा पराठा और..., राष्ट्रपति भवन में पुतिन को 'शाही डिनर' में क्या-क्या परोसा गया?
अचारी बैगन के साथ लच्छा पराठा और..., राष्ट्रपति भवन में पुतिन को 'शाही डिनर' में क्या-क्या परोसा गया?
Bigg Boss 19: शो में जाने से पहले क्या अमाल मलिक को डेट कर चुकी हैं मालती चाहर? बता दी सच्चाई
शो में जाने से पहले क्या अमाल मलिक को डेट कर चुकी हैं मालती चाहर? बता दी सच्चाई
गौतम गंभीर पर भड़के रविचंद्रन अश्विन, ये ऑलराउंडर है वजह; कहा- वो खुद की पहचान...
गौतम गंभीर पर भड़के रविचंद्रन अश्विन, ये ऑलराउंडर है वजह; कहा- वो खुद की पहचान...
दुनिया में कहां हैं सबसे ज्यादा हवाई अड्डे, टॉप-10 में कौन से देश? जानें किस नंबर पर है भारत
दुनिया में कहां हैं सबसे ज्यादा हवाई अड्डे, टॉप-10 में कौन से देश? जानें किस नंबर पर है भारत
न्यूक्लियर प्लांट, यूरिया प्रोडक्शन, टूरिस्ट वीजा और यूक्रेन वॉर... PM मोदी और पुतिन का ज्वाइंट स्टेटमेंट | बड़ी बातें
न्यूक्लियर प्लांट, यूरिया प्रोडक्शन, टूरिस्ट वीजा और यूक्रेन वॉर... PM मोदी और पुतिन का ज्वाइंट स्टेटमेंट | बड़ी बातें
इंडिगों के 'महासंकट' के बीच यात्रियों की परेशानी दूर करने उतरा रेलवे, कर डाला ये बड़ा ऐलान
इंडिगों के 'महासंकट' के बीच यात्रियों की परेशानी दूर करने उतरा रेलवे, कर डाला ये बड़ा ऐलान
जमीन विवाद में घिरे खली, तहसीलदार ने किया बड़ा खुलासा, बोले- 'सेलिब्रिटी कानून से ऊपर नहीं'
जमीन विवाद में घिरे खली, तहसीलदार ने किया बड़ा खुलासा, बोले- 'सेलिब्रिटी कानून से ऊपर नहीं'
Embed widget