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Prayagraj News: प्रयागराज में मेयर सीट ओबीसी के लिए रिजर्व होने से बदले समीकरण, अबतक कोई पार्टी दो बार नहीं जीत सकी चुनाव

Prayagraj News: प्रयागराज की जनता ने अब तक पांच मेयर चुने हैं. हालांकि पांचों बार अलग-अलग पार्टियों को ही कामयाबी मिली है. कोई भी पार्टी अब तक दो बार चुनाव नहीं जीत पाई है.

Prayagraj Mayor Seat: संगम नगरी प्रयागराज (Prayagraj) में मेयर की सीट इस बार ओबीसी (OBC) वर्ग के लिए रिजर्व हो गई है. ये पहला मौका है जब प्रयागराज की सीट जातीय आधार पर किसी वर्ग के लिए आरक्षित हुई है. सीट रिजर्व होने से टिकट के दावेदारों की संख्या घटने पर बड़ी पार्टियों को जहां फौरी राहत मिल गई है, वहीं रिजर्व कैटेगरी से सबसे बेहतरीन उम्मीदवार छांटकर सियासी समीकरण साधते हुए उसे जीत दिलाने की चुनौती जरूर बढ़ गई है. सियासी पार्टियां अब नए सिरे से अपनी रणनीति तैयार करने में जुट गई हैं. प्रयागराज की सीट सियासी पार्टियों के लिए कितनी अहम है, इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि देश के दो-दो पूर्व प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलल नेहरू और लाल बहादुर शास्त्री भी यहां के मेयर रह चुके हैं.
 
सीट रिजर्व होने से बड़ी सियासी पार्टियों के सामने मुश्किलें थोड़ा बढ़ जरूर गई है, लेकिन इसके बावजूद हर पार्टी अब भी पूरे दमखम व मजबूती के साथ चुनाव लड़ने का दावा कर रही है. बीजेपी नेता शैलेश पांडेय का दावा है कि उनकी पार्टी कार्यकर्ताओं, मुद्दों और अपनी सरकारों की उपलब्धियों के दम पर चुनाव लड़ेगी. पार्टी के पास ओबीसी ही नही, बल्कि हर वर्ग से दर्जनों मजबूत नेता मैदान में हैं. पार्टी इस बार प्रयागराज में इतिहास रचेगी. दूसरी तरफ सपा नेता संदीप यादव का दावा है कि प्रयागराज को उसके नाम व पहचान के मुताबिक अपेक्षित विकास नहीं मिल सका है. जनता के मन में इसकी कसक है. यही वजह है कि लोग इस बार यहां बदलाव की तैयारी में है और समाजवादी पार्टी को ही वोट करेंगे. 
 
बीजेपी-सपा में सीधा मुकाबला
चुनाव मैदान में वैसे तो कांग्रेस-बीएसपी और आम आदमी पार्टी भी लड़ेंगी, लेकिन राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि बीजेपी और सपा में ही सीधा मुकाबला होने की उम्मीद है. पत्रकार पवन द्विवेदी के मुताबिक मुख्य मुकाबला भले ही बीजेपी व सपा में होने की उम्मीद है, लेकिन दूसरी पार्टियों की भूमिका को भी कतई कमतर नहीं आंका जा सकता. उनके मुताबिक पूर्व बाहुबली सांसद अतीक अहमद की पत्नी शाइस्ता परवीन और किन्नर अखाड़े की महामंडलेश्वर व किन्नर कल्याण बोर्ड की सदस्य कौशल्या नंद गिरि उर्फ टीना मां इस चुनाव को और दिलचस्प बना सकती हैं.
 
पार्टी के सिंबल पर चुनाव की उम्मीद
मेयर के चुनाव के लिए प्रयागराज में इस बार तकरीबन 14 लाख वोटर मतदान करेंगे. परिसीमन के बाद यहां नगर निगम के वार्डों की संख्या 80 से बढ़कर 100 हो गई है. सीट ओबीसी वर्ग के लिए रिजर्व होने से पिछले दो चुनावों से लगातार निर्वाचित हो रही मौजूदा मेयर अभिलाषा गुप्ता नंदी इस बार चुनाव नहीं लड़ सकेगीं वैसे अकेले अभिलाषा ही नहीं बल्कि तमाम पार्टियों के तकरीबन तीन चौथाई दावेदार चुनाव की रेस से बाहर हो चुके हैं. यहां इस बार का चुनाव पार्टियों के सिंबल के साथ ही चेहरे पर भी होने की उम्मीद है.
 
जानिए इस सीट का इतिहास
74वें संशोधन विधेयक के बाद प्रयागराज की जनता ने अब तक पांच मेयर चुने हैं. हालांकि पांचों बार अलग-अलग पार्टियों को ही कामयाबी मिली है. कोई भी पार्टी अब तक दो बार चुनाव नहीं जीत पाई है. 1995 में रीता बहुगुणा जोशी यहां निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर सबसे पहला चुनाव जीती थीं. साल 2000 में सपा के डॉक्टर केपी श्रीवास्तव को जीत मिली थी, जबकि 2006 में कांग्रेस के चौधरी जितेंद्र नाथ सिंह मेयर चुने गए थे. साल 2012 में मौजूदा मेयर अभिलाषा गुप्ता नंदी बीएसपी के टिकट पर चुनाव जीती थी, जबकि 2017 में उन्होंने पहली बार बीजेपी का कमल खिलाया था.
 
नए परिसीमन में 20 वार्ड बढ़ने के बाद सपा पिछली बार के मुकाबले कुछ मजबूत हुई है. प्रयागराज में मेयर की सीट इस बार ओबीसी के लिए रिजर्व भले ही हो गई हो, लेकिन इससे पहले यहां जो भी चुनाव हुए हैं उनमें हमेशा उच्च जाति के उम्मीदवारों को ही कामयाबी मिली है. 
 
मेयर के टिकट के लिए प्रयागराज में अब तक अलग-अलग पार्टियों के जो नेता टिकट के लिए दावेदारी कर रहे थे, उनमें तीन चौथाई उच्च जाति से थे. बड़ी पार्टियों में दावेदारों की संख्या सौ के करीब थी, जो अब घटकर 30 के आसपास रह गई है. इससे पार्टियों पर टिकट का दबाव कुछ कम भले ही हो गया हो, लेकिन बदले हुए हालात में उनकी मुश्किलें व चुनौतियां दोनों ही और बढ़ गई हैं. टिकट बंटवारे में सभी बड़ी सियासी पार्टियों का फोकस पटेल मौर्य निषाद और यादव जाति के दावेदारों पर ही रहने की उम्मीद है. 
 
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