(Source: ECI / CVoter)
Noida Fraud: चीनी ऐप से लोन लेने वालों को ब्लैकमेल कर वसूली का काला धंधा, 46 दबोचे गए, मिली अहम जानकारी
Noida News: डीसीपी ने बताया, ये कंपनियां कर्जदारों के संपर्क, स्थान, तस्वीर और वीडियो जैसी गोपनीय निजी डेटा का इस्तेमाल कर, उनका उत्पीड़न करती हैं और डरा धमकाकर ब्लैकमेल करती हैं.
Uttar Pradesh News: चीनी लोन ऐप के माध्यम से कर्ज लेने वाले लोगों को धमकाकर और उनकी अश्लील फोटो आदि सार्वजनिक कर उन्हें बदनाम करने वाले गिरोह के 46 लोगों को बुधवार को नोएडा पुलिस (Noida Police) की साइबर सेल (Cyber Cell) ने गिरफ्तार किया. एक अधिकारी ने यह जानकारी दी. उन्होंने बताया कि ये लोग सेक्टर 63 में अवैध रूप से कॉल सेंटर (Illegal Call Center) चला रहे थे. गिरफ्तार आरोपियों में 10 महिलाएं भी शामिल हैं. इनसे पूछताछ के आधार पर पुलिस को कई अहम जानकारी हासिल हुई है.
पुलिस उपायुक्त (अपराध) (डीसीपी) अभिषेक वर्मा ने बताया कि नोएडा पुलिस साइबर सेल के प्रभारी बलजीत सिंह ने एक सूचना के आधार पर सेक्टर 63 के ई-ब्लॉक में स्थित एक कॉल सेंटर पर छापा मारा. डीसीपी ने बताया कि वहां से सिंह ने पुनीत, रजनीश, राहुल, सिद्धार्थ, शिवम, जितेंद्र, नीरज, अजीम, अफजल, सहित 46 लोगों को हिरासत में लिया, जिनमें 10 युवतियां भी शामिल हैं. उन्होंने बताया कि आरोपियों के पास से पुलिस ने 15 लैपटॉप, 37 डेस्कटॉप, डेढ़ लाख रुपये नकद, करीब 140 मोबाइल फोन के सिम कार्ड आदि बरामद किए हैं.
धमकी देकर वसूली
अधिकारी ने बताया कि पूछताछ के दौरान पुलिस को पता चला कि चीनी ऐप से कुछ दिनों के लिए छोटे-छोटे लोन लेने वाले लोगों को ये लोग धमकी देकर उनसे पैसा वसूलते थे. पैसा नहीं देने वाले व्यक्ति से ये लोग गाली-गलौज करते थे और उक्त व्यक्ति की फोटो से छेड़छाड़ कर अश्लील फोटो बनाकर उनके परिचितों और रिश्तेदारों को भेज देते हैं. उन्होंने बताया कि पुलिस आरोपियों से गहनता से पूछताछ कर रही है.
किया जाता है ब्लैकमेल
डीसीपी ने बताया कि चीनी लोन ऐप कंपनी गैरकानूनी तरीके से विशेषकर कमजोर और निम्न आय वर्ग के लोगों को ऊंची ब्याज दरों पर कम अवधि के लिए कर्ज देती है और इसमें छिपे शुल्क भी होते हैं. ये कंपनियां कर्जदारों के संपर्क, स्थान, तस्वीर और वीडियो जैसी गोपनीय निजी डेटा का इस्तेमाल कर, उनका उत्पीड़न करती हैं और उन्हें डरा धमका कर ब्लैकमेल भी करती हैं. उन्होंने बताया कि जांच में यह पाया गया है कि यह एक संगठित साइबर अपराध है, जिसे अस्थाई ई-मेल, वर्चुअल नंबर, अनजाने लोगों के खातों, मुखौटा कंपनियों, भुगतान सेवा प्रदाताओं, एपीआई सेवाओ, क्लाउड होस्टिंग और क्रिप्टो करेंसी के जरिए अंजाम दिया जाता है.
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