Ghazipur Lok Sabha Seat: अंसारी परिवार की विरासत को मिलेगी कड़ी टक्कर, BJP के 'पारस' देंगे चुनौती, पढ़ें यहां का सियासी समीकरण
Lok Sabha Elections 2024: गाजीपुर सीट कभी कांग्रेस का गढ़ हुआ करती थी लेकिन अब हालात बदल गए हैं. यहां सपा, बसपा और बीजेपी तीनों दलों ने जीत हासिल की है.
Lok Sabha Elections 2024: भारतीय जनता पार्टी ने यूपी की गाजीपुर सीट से उम्मीदवार के नाम का एलान कर दिया है. बीजेपी ने इस सीट से उपराज्यपाल मनोज सिन्हा के करीबी पारस नाथ राय पर को टिकट दिया है. जिसेक बाद अब गाजीपुर सीट पर लड़ाई दिलचस्प होगी. समाजवादी पार्टी की ओर से इस सीट पर मुख्तार अंसारी के बड़े भाई अफजाल अंसारी मैदान में है.
बीजेपी ने लंबे इंतजार के बाद गाजीपुर सीट से पारस नाथ राय के नाम का एलान किया है. इससे पहले मनोज सिन्हा के बेटे अभिनव सिन्हा को भी टिकट दिए जाने की चर्चा की जा रही थी लेकिन, उनकी बात नहीं बन पाई, जिसके बाद मनोज सिन्हा ने पारस नाथ राय के नाम पर अपना वीटो लगा दिया था. जिसके बाद बीजेपी ने उनकी बात पर मुहर लगा दी है.
गाजीपुर सीट का सियासी समीकरण
गाजीपुर लोकसभा सीट प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी से सटी हुई है. 2019 के चुनाव में पीएम मोदी के नाम की लहर के बावजूद इस सीट पर बीजेपी को हार का सामना करना पड़ा था. इस चुनाव में समाजवादी पार्टी और बसपा मिलकर चुनाव लड़े थे, जिसमें बसपा के अफजाल अंसारी की जीत हुई थी. हालांकि इससे पहले 2014 में जब सपा-बसपा अलग-अलग चुनाव लड़े तो यहां बीजेपी को जीत मिली थी.
गाजीपुर सीट कभी कांग्रेस का गढ़ हुआ करती थी लेकिन अब हालात बदल गए हैं. यहां सपा, बसपा और बीजेपी तीनों दलों ने जीत हासिल की है. इस सीट से पांच बार कांग्रेस, तीन बार बीजेपी, तीन बार सीपीआई, तीन बार सपा, जनता पार्टी, स्वतंत्र पार्टी और बीएसपी एक-एक बार जीत हासिल कर चुकी है.
गाजीपुर सीट पर मुस्लिम वोटर निर्णायक भूमिका है, जो चुनाव में किसी भी पार्टी की जीत-हार में अहम रोल निभाते हैं यहां के जातीय समीकरण की बात की जाए तो गाजीपुर में मुस्लिम, कुशवाह और भूमिहार वोटरों की संख्या सबसे ज्यादा है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक़ गाजीपुर में तीन लाख मुस्लिम, ढाई लाख कुशवाहा, डेढ़ लाख बिंद, दो लाख राजपूत, एक लाख ब्राह्मण और एक लाख वैश्य मतदाता है.
गाजीपुर में अंसारी परिवार का भी काफी दबदबा रहा है. लोकसभा चुनाव के बीच मुख़्तार अंसारी की मौत को लेकर जिस तरह के सवाल उठ रहे हैं उसका भी काफी हद तक इस बार चुनाव में असर देखा जा सकता है.
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