मेरठ में रावण के पुतले को पिलाई जाती है शराब, दहन से पहले का अनोखा टोटका
Dussehra 2024: मेरठ में दशहरा पर रावण दहन के लिए अनोखी परंपरा अपनाई जाती है. यहां रावण के पुतले को पहले शराब पिलाई जाती है और उसके बाद पुतले को खड़ा किया जाता है.
Dussehra 2024: देशभर में आज बुराई पर अच्छाई की जीत के प्रतीक दशहरा का त्योहार मनाया जा रहा है. आज के दिन जगह-जगह रावण के पुतले जलाए जाते हैं. लेकिन यूपी के मेरठ में एक ऐसी जगह है जहां रावण के पुतले को पहले शराब पिलाई जाती है और उसके बाद जिस जगह रावण का पुतला खड़ा किया जाता है, वहां पर भी शराब के छीटें लगाए जाते हैं. जिसके बाद पुतले का दहन किया जाता है.
ये जानकर भले ही आपको थोड़ी हैरानी होगी लेकिन ये सच है. मेरठ में श्रीराम लीला कमेटी छावनी परिषद भैंसाली मैदान में रामलीला का मंचन करती है. रामलीला का ये मंचन करीब 64 साल से किया जा रहा है. तभी से दशहरे पर जब रावण का पुतला खड़ा किया जाता है तो उसे शराब पिलाई जाती है. इसी के साथ ही जहां पर रावण का पुतला खड़ा होता है वहां पर भी शराब डाली जाती है. ये एक टोटका है जिसे सुनकर आप भी चौंक जाएंगे.
रावण को पिलाई जाती है शराब
बड़े बुजुर्ग और पुराने लोग पिछले 64 साल से इस काम को करते नजर आ रहे हैं. बड़ों ने रावण के पुतले को लेकर जो टोटका किया था वो आज भी चला आ रहा है. रावण के पुतले के लिए शराब मंगाई जाती है और फिर पिलाई जाती है. इसे लेकर श्रीराम लीला कमेटी छावनी परिषद के महामंत्री गणेश अग्रवाल ने कहा कि हमने दो बार ऐसा किया था कि रावण के पुतले को शराब नहीं पिलाई तो रावण का पुतला खड़ा ही नहीं हुआ. पूरी कोशिशें की गई और जब ज्यादा लोगों को रावण का पुतला खड़ा करने के लिए लगाया गया तो पुतला बीच में टूट गया.
जिसके बाद कमेटी के पुराने लोगों और इलाके के बुजुर्गो ने कहा कि शराब पिला दो ये टोटका है और फिर रावण का पुतला खड़ा करो. रावण के पुतले को जोड़कर जैसे ही शराब पिलाई गई तो आसानी से पुतला खड़ा हो गया. जिसके बाद से ये चलन शुरू हो गया, यहां रावण, कुंभकरण और मेघनाद तीनों के पुतले को खड़ा करने से पहले शराब पिलाई जाती है और फिर उसे खड़ा किया जाता है.
मेरठ के भैंसाली मैदान में पिछले 64 सालों रामलीला के मंचन किया जा रहा है. यहां रावण का 130, कुंभकरण का 120 फीट और मेघनाद का 110 फीट ऊंचे पुतले का दहन होता है. रामलीला कमेटी का कहना है कि अगर रावण के पुतले को शराब नहीं पिलाई जाएगी तो पुतला खड़ा ही नहीं होगा.