(Source: ECI / CVoter)
Pulwama Attack 2019: पुलवामा हमले में शहीद हुए थे वीर जवान नारायण लाल, 4 साल बाद स्मारक के लिए अलॉट हुई जमीन
Pulwama Attack: गांव के सरपंच ने कहा कि गांव के सभी लोग लंबे समय से स्मारक बनाने की मांग कर रहे थे. इसके लिए कई बार अधिकारियों को अवगत कराया. आज चार साल बाद सरकार ने यह तोहफा दिया है.
Rajsamand Martyr: आतंकियों की कायराना हरकत वाले जम्मू-कश्मीर के पुलवामा अटैक (Pulwama Attack) को कोई नहीं भूल सकता. इस आतंकी हमले में देश के कई जवान शहीद हुए थे. इन शहीदों में एक राजसमन्द के नारायण लाल गुर्जर (Narayan Lal Gurjar) भी शामिल थे. वे राजसमन्द जिले के कुंवारिया तहसील के बिनोल (Binol) गांव के रहने वाले थे.
शहीद नारायण लाल गुर्जर के माता-पिता का देहांत हो चुका है. परिवार में उनकी पत्नी मोहनी देवी (40), पुत्री हेमलता (20) और पुत्र मुकेश (15) हैं. एक भाई गोवर्धनलाल, काका रामलाल गुर्जर के अलावा अन्य रिश्तेदार भी हैं. आज भी गांव के लोग नारायण लाल गुर्जर की शहादत को याद करते हैं. अब वहां के बालिका स्कूल का नाम शहीद नारायण लाल बालिका विद्यालय है. आइए जानते हैं चार साल बाद क्या कहते हैं गांव के लोग.
बेटी बोली पापा का सपना पूरा करूंगी
शहीद की बेटी हेमलता ने कहा कि वर्ष 2019 में जम्मू कश्मीर के पुलवामा में आतंकी हमला हुआ, जिसमें पापा नारायणलाल शहीद हो गए. आज उनके शहीद हुए चार साल हो गए हैं. आज भी गांव में उनकी बहादुरी की बात की जाती है. कहते हैं जब भी 26 जनवरी या 15 अगस्त को वह गांव में होते थे तो स्कूल में जाकर सभी बच्चों को उपहार देते थे.
आज भी उन्हें श्रद्धाजंलि देने के लिए राजसमन्द और तहसील से एसडीएम, तहसीलदार, स्कूल के बच्चे, टीचर, वार्ड पंच सहित अन्य लोग आए. हेमलता ने आगे कहा कि पापा हमेशा कहते थे कि मेरी बेटी पुलिस अफसर बनेगी. मैं पापा का यह सपना पूरा करूंगी और पुलिस में जाऊंगी. शहीद का छोटा बेटा मुकेश अभी उदयपुर में रहकर पढ़ाई कर रहा है.
गांव वाले कर रहे थे स्मारक बनाने की मांग
गांव के सरपंच ने कहा कि गांव के सभी लोग लंबे समय से स्मारक बनाने की मांग कर रहे थे. इसके लिए कई बार अधिकारियों को अवगत कराया. आज चार साल बाद सरकार ने यह तोहफा दिया है. गांव के पास साकरोद रोड पर शहीद स्मारक बनाने के लिए जमीन अलॉट की कई है. अब यहां स्मारक कैसे बनेगा, इस पर चर्चा की जाएगी.
उपजिला प्रमुख सोहनी देवी गुर्जर का कहना है कि जो जमीन अलॉट की गई है, वह गांव से दो किलोमीटर दूर है, जबकि जमीन गांव के पास ही अलॉट करनी थी, ताकि बच्चे और गांव के लोग आ जा सकते. लेकिन, दूर अलॉट हुई. अब वहां स्मारक बनाया जाएगा.
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