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MP Sickle Cell Anemia: एमपी में फैली 'सिकल सेल एनीमिया' बीमारी, जबलपुर में लोगों को बचाने के लिए आगे आयीं 3 यूनिवर्सिटी

MP Sickle Cell Anemia: एमपी के 20 जिलों के पैर पसार चुकी सिकल सेल एनीमिया बीमारी से निपटने में जबलपुर के तीन सरकारी विश्वविद्यालय जुट गए हैं. रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय ने 5 गांव को गोद लिया हैय

Sickle Cell Anemia in MP: मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के आदिवासी अंचल में पाई जाने वाली सिकल सेल एनीमिया (Sickle Cell Anemia) की बीमारी को हराने के लिए अब स्वास्थ्य विभाग की टीमों के साथ अकादमिक संस्थाएं भी सामने आई हैं. राज्यपाल मंगूभाई पटेल (Governor Mangubhai Patel) के आह्वान के बाद प्रदेश के विश्वविद्यालय सिकल सेल एनीमिया को हराने के अभियान में जुट गए हैं. प्रदेश के 20 जिलों के 42 आदिवासी गांवों में पैर पसार चुकी सिकल सेल एनीमिया बीमारी से निपटने में जबलपुर के तीन सरकारी विश्वविद्यालय लग गए हैं.

जबलपुर के जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय ने 31, रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय ने 5 और वेटरनरी विश्वविद्यालय ने 8 गांवों को गोद लिया है. पीढ़ी दर पीढ़ी परिवार को अपनी जकड़ में लेने वाली घातक बीमारी सिकल सेल एनीमिया को हराने में अब राज्य के विश्वविद्यालय अहम भूमिका निभा रहे हैं. आदिवासी बाहुल्य क्षेत्रों में विश्वविद्यालयों के द्वारा जागरूकता अभियान चलाने के साथ ही उन्हें उचित इलाज भी मुहैया कराया जा रहा है. ग्रामीणों की सैंपलिंग के साथ ही उनके इलाज की व्यवस्था की जा रही है.

रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय ने 5 गांव को लिया गोद

जबलपुर के रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय की ही बात की जाए तो विश्वविद्यालय ने मंडला जिले के 5 गांव को गोद लिया है, जिनमें करवानी, औरैया, समनापुर, जमुनिया और धोबी गांव शामिल हैं. यहां विशेष शिविर लगाकर अभी तक 75 लोगों के नमूने लिए जा चुके हैं और उन्हें उचित दवाइयां भी उपलब्ध कराई गई है. रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर कपिल देव मिश्रा के मुताबिक सिकल सेल एनीमिया बीमारी के उन्मूलन के संकल्प के साथ कई टीमों का गठन किया गया है, जिसमें एनसीसी और एनएसएस के विद्यार्थी भी शामिल हैं.

परिवार के एक सदस्य को होने पर दूसरे भी आ जाते हैं चपेट में

उन्होंने बताया कि आदिवासियों को उचित इलाज और दवाईयां मुहैया कराने के साथ-साथ उनके परिवारों को इस बीमारी से जागरूक भी किया जा रहा है, ताकि इस वंशानुगत बीमारी के प्रति आदिवासियों में जागरूकता फैले और वे अपने रहन-सहन के साथ खान-पान को सुधार कर इस बीमारी से बच सकें. दिलचस्प बात तो यह कि सिकल सेल एनीमिया की बीमारी वंशानुगत है. परिवार में एक सदस्य के इसकी जकड़ में आने के बाद दूसरे सदस्य भी धीरे-धीरे बीमारी की चपेट में आ जाते हैं, लेकिन जब तक परिजनों को इसकी खबर लगती है, तब तक काफी देर हो चुकी होती है. लिहाज़ा जागरूकता के जरिये आदिवासी परिवारों को सिकल सेल एनीमिया की बीमारी से दूर रखा जा सकता है.

राज्यपाल मंगूभाई पटेल ने जताई थी चिंता

सिकेल सेल एनीमिया एक प्रकार का रक्‍त विकार है, जिसमें लाल रक्‍त कोशिकाएं सी शेप, अर्धचंद्राकार या सिकेल शेप में बदल जाती हैं. बच्‍चों को भी यह बीमारी घेर लेती है. राज्यपाल मंगूभाई पटेल ने पिछले दिनों रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में जनजातीय समाज में अनुवांशिक रोग सिकल सेल के बढ़ते प्रभाव के प्रति चिंता व्यक्त करते हुए इसके रोकथाम की दिशा में प्रयास किए जाने पर जोर दिया था. उन्होंने कहा था कि सरकार के साथ विश्वविद्यालय भी अपने स्तर पर इसके लिए अभियान चलाएं. राज्य के प्रत्येक विश्वविद्यालय 5-5 गांव गोद लेकर सिकल सेल के रोकथाम की दिशा में कारगर प्रयास कर सकते हैं.

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